साइकिलिंग के जुनून ने PU के लाइब्रेरियन मोहिंद्र काे दिलाया सिटी साइकिल मेयर का ताज Chandigarh News
राकेश ने कहा कि दैनिक जागरण द्वारा साइकिल से ही कल..अभियान लोगों को काफी जागरूक कर रहा है पहली बार किसी समाचार पत्र द्वारा ट्रैफिक समस्या को इतने प्रभावी तरीके से लिया है।
चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। समाज में कुछ लोग साधारण से लगने वाले अच्छे काम की शुरुआत कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्नोत बन जाते हैं। कुछ ऐसी ही जानी मानी शख्शियत हैं पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ में लाइब्रेरियन पर कार्यरत्त राकेश मोहिंद्र। लोग इन्हें साइकिल मैन के तौर पर जानते हैं।साइकिल के प्रति जुनून ऐसा है कि अब तक राकेश कश्मीर से कन्याकुमारी के अलावा विदेशों में भी हजारों मील का टूर कर चुके हैं। अपने खास अंदाज में राकेश लोगों को स्वस्थ रहने और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरुक करते हैं।
राकेश ने कहा कि दैनिक जागरण द्वारा साइकिल से ही कल..अभियान लोगों को काफी जागरूक कर रहा है, पहली बार किसी समाचार पत्र द्वारा ट्रैफिक समस्या को इतने प्रभावी तरीके से लिया है। चंडीगढ़ में साइकिल ट्रैक अन्य शहरों के मुकाबले अच्छी कंडीशन में हैं।
साइकिलिंग के लिए नीदरलैंड ने दिया बड़ा सम्मान
साइकिल मैन राकेश रुटीन में घर से ऑफिस और अन्य रुटीन के काम साइकिल पर ही करते हैं। हर रोज 30 से 40 किलोमीटर अाैर छुट्टी के दिन 50 से 100 किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं। 2016 में कश्मीर से कन्याकुमारी पांच हजार किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया। 2002 में स्वीजरलैंड में पांच हजार किलोमीट तक साइकिल चलाई। 2007 में टूर टू हिमालय मास्टर कैटेगरी में 600 किलोमीटर साइकिलिंग की है।
राकेश मोहिंद्र कई अवॉर्ड भी मिले
साइकिलिंग प्रमोशन के लिए राकेश काे कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं, जिसमें हरियाणा से अदम्य साहस पुरस्कार, नीदरलैंड की बाइक्स फाउंडेशन द्वारा चंडीगढ़ साइकिल मेयर सम्मान से नवाजा है। सिक्किम टूरिज्म के जीपीएस मैपिंग प्रोजेक्ट को भी इन्होंने साइकिल पर ही पूरा किया है। नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर साइकिलिंग में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले फते जंग और प्रीतपाल सिंह को राकेश मोहिंद्र ने ही ट्रेनिंग दी है।
आठवीं क्लास से ही चला रहे हैं साइकिल
राकेश 1978 से लगातार साइकिल चला रहे हैं। आठवीं कक्षा में पुरानी साइकिल को खुद ही मॉडिफाई कर उसे चलाना शुरू कर दिया। साइकिल के प्रति ऐसा लगाव है कि घर में 10 से अधिक साइकिल हैं। घर में सभी सदस्य साइकिल चलाते हैं।
बेटी अदिति भी साइकिलिंग को कर रही प्रमोट
साइकिलिंग का जुनून सिर्फ राकेश मोहिंद्र में ही नहीं, बेटी अदिति भी पिता के नक्शेकदम पर हैं। पीयू एमएससी माइक्रोबायोलॉजी कर रही 22 साल की अदिति साइकिलिंग को प्रमोट कर रही हैं। अदिति ने लड़कियों में साइकिल प्रमोट करने के लिए कैंपस में गल्र्स साइकिल क्लब बनाया है। वह साइकिल इवेंट्स में नेशनल लेवल की प्रतिभागी रही हैं। अदिति ने बताया की पिता के साथ चंडीगढ़-शिमला का टूर साइकिल से ही किया हैं। इनका मानना है कि शहर की खूबसूरती को बचना है तो इसे वाहन मुक्त बनाना होगा।