पूर्व स्टूडेंट काउसिंल छोड़ गई टूटी फर्नीचर और गंदगी से अटे कमरे
पंजाब यूनिवर्सिटी की नई स्टूडेंट काउंसिल चुन ली गई है। 14 सितंबर को नई काउंसिल के पदाधिकारियों का शपथ ले चुके हैं।
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी की नई स्टूडेंट काउंसिल चुन ली गई है। 14 सितंबर को नई काउंसिल के पदाधिकारियों का शपथ ले चुके हैं। सबको कार्यालय भी दिए जा चुके हैं लेकिन इनको नए पदाधिकारियों को देने से पहले बाकायदा पूर्व सेक्रेटरी व पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी के ऑफिस में फर्नीचर टूटा पाया। दोनों पूर्व पदाधिकारियों पर सवाल खड़ा हो रहा है। इनमें से पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी ने तो इसका ठीकरा डीएसडबल्यू कार्यालय पर फोड़ा है। पूर्व सेक्रेटरी वाणी सूद जिस कुर्सी पर बैठती थी वो तक टूटी हुई मिली। पूर्व प्रेसीडेंट व वाइस प्रेसीडेंट के कार्यालय में भी गंदगी के ढ़ेर लगे पड़े थे और सारा सामान तीतर बीतर हालत में था। लापरवाही का आलाम ये है कि पूर्व सेक्रेटरी को तो यह तक नही पता कि इन्होंने कार्यालय डीएसडबल्यू कार्यालय को कब सौंपा। जिन पदों पर इनको पीयू के स्टूडेंट्स ने बैठाया है, उनका सम्मान नहीं करना उन स्टूडेंट्स की भावनाओं से भी यह खिलवाड़ है। पद का गरिमा का नहीं रखते ख्याल
पदाधिकारी बनने के पद व कुर्सी की अपनी गरिमा होती है। लेकिन पदाधिकारियों की कुर्सी पर उनके दोस्तों व जानकारों का बैठना या इस पर पैर फैलाकर विराजमान होना आम है। पिछले साल 20 सितंबर 2017 को भी ऐसा ही नजारा सामने आया था जिसमें पूर्व प्रेसीडेंट जश्न काबोज की कुर्सी पर उनका दोस्त गगन और पूर्व सेक्रेटरी करण रंधावा की कुर्सी पर उनका दोस्त बलशरण बैठा था। पद और कुकुर्सी की गरिमा का जमकर मजाक उड़ाया जाता है। जरुरी सामान व फोन नीच पड़े थे
चारों पदाधिकारियों को प्रशासन की तरफ से वेल फर्निश्ड कमरा दिया जाता है। इसमें फर्नीचर , पंखे और लैंड लाइन फोन की सुविधा होती है। लेकिन 14 सितंबर से पहले एक पदाधिकारी के कमरे में तो लैंड लाइन फोने भी नीचे फेंक रखा। संबंधित कार्यालय के कर्मचारियों ने बताया कि यह पूरी तरह से गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए। बैठने वाली बड़ी टेबल के नीचे गंदगी का आलम था। मामले को एक बार चैक करवा लेते हैं। 14 सितंबर शपथ र्ग्रहण समारोह से पहले जो भी जरुरी कदम होंगे वो उठाए जाएंगे।
प्रो एम्युनल नाहर, डीएसडबल्यू समय पर डीएसडबल्यू कार्यालय को बतौर ज्वाइंट सेक्रेटरी रहते मैंने अपने ऑफिस की सौंप दी थी। इसके बाद जो हुआ मुझे नहीं पता। इसके बारे में डीएसडबल्यू कार्यालय को जवाब देना चाहिए।
करण रंधावा, पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी मुझे ध्यान नहीं है कि मैंने काउंसिल का कार्यालय कब छोड़ा था, कुर्सी टूटी होने के बारे में मैं आपको कुछ नहीं बता सकती। सही से ध्यान नहीं है कुछ ।
वाणी सूद , पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी