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पहले वाला फंड खर्च नहीं फिर क्यों दिए पार्षदों को एक-एक करोड़ अतिरिक्त

करोड़ रुपये की राशि विकास कार्यो के लिए देने का फासवेक ने विरोध किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 07:25 PM (IST)
पहले वाला फंड खर्च नहीं फिर क्यों दिए पार्षदों को एक-एक करोड़ अतिरिक्त
पहले वाला फंड खर्च नहीं फिर क्यों दिए पार्षदों को एक-एक करोड़ अतिरिक्त

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रशासन की ओर से अतिरिक्त फंड मिलने पर हर वार्ड पार्षद को एक-एक करोड़ रुपये की राशि विकास कार्यो के लिए देने का फासवेक ने विरोध किया है। फासवेक की सेक्टर-43 में मासिक बैठक हुई। बैठक में प्रतिदिन गिरती हुई चंडीगढ़ की स्थिति पर चिता भी जाहिर की गई। फासवेक के चेयरमैन बलजिदर सिंह बिट्टू ने सवाल उठाया कि जब पार्षद अपनी डेवलपमेंट फंड राशि ही विकास कार्यो में नहीं लगा पा रहे हैं तो ऐसे में जो प्रशासन से विशेष ग्रांट मिली है, उसमें से एक-एक करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि देने का क्या औचित्य है। नगर निगम को यह पैसा अपने पास रखना चाहिए और सोच-समझकर इसका उपयोग करना चाहिए। मालूम हो कि नगर निगम के हर वार्ड पार्षद को पहले 40-40 लाख रुपये वार्ड डेवलपमेंट के लिए मिलता था जोकि इस साल से 80 लाख रुपये हो गया है। इसके अलावा नगर निगम ने यह तय किया है कि हर पार्षद को वार्ड के कामों के लिए एक-एक करोड़ अलग से भी दिए जाएंगे। प्रदूषण पर रोक जरूरी

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फासवेक के मुख्य प्रवक्ता एवं सेक्टर-38वेस्ट आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि चंडीगढ़ में प्रदूषण स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इसे नियंत्रित करने की कोई योजना प्रशासन के पास नहीं है। निजी एवं व्यवसायिक वाहनों के प्रदूषण की ऑन-द-स्पॉट चेकिग करके चालान किए जाने चाहिए। सोलर सिस्टम पर मिले सबसिडी

फासवेक के सचिव आरएस गिल ने कहा कि प्रशासन द्वारा सोलर सिस्टम लगाने पर जो सबसिडी दी जा रही थी, वह बंद कर दी गई है, इससे लोगों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ रहा है। सेक्टर-37 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष जेपी यादव ने गारबेज सेग्रीगेशन में नगर निगम की विफलता का मुद्दा उठाया कि यदि लोग गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग करके भी देते हैं तो वह उनकी रेहड़ी में जाकर इकट्ठा हो जाता है और इस पर नगर निगम का कोई नियंत्रण नहीं है। दूषित पानी से मिले छुटकारा

सेक्टर 39 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष अमरदीप सिंह के अनुसार चंडीगढ़ में दुर्घटनाओं और प्रदूषण का सबसे बड़ा स्त्रोत ऑटोरिक्शा हैं लेकिन उन पर न जाने ट्रैफिक पुलिस का ध्यान क्यों नहीं जाता। सेक्टर-21 आरडब्ल्यूए की संयुक्त सचिव प्रकाश ढिल्लों ने कहा कि पिछले कई दिन से चंडीगढ़ में पीने का पानी बहुत दूषित आ रहा है और इस संबंध में नगर निगम द्वारा कुछ भी नहीं किया जा रहा। पीजीआइ आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष बालकृष्ण ने पीजीआइ के आवासीय क्षेत्र की खराब स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वहां न तो नगर निगम मेंटेनेंस वर्क कर रहा है और न ही पीजीआइ प्रशासन। मकानों में बदलाव को नियमित करें

फासवेक के मुख्य सलाहकार कमलजीत सिंह पंछी में कहा कि यह चिताजनक है कि पिछले दिनों हुई नीलामी में एस्टेट ऑफिस को अच्छा रिस्पांस नहीं मिला और आज की स्थिति को देखते हुए कलेक्टर रेट कम किया जाना चाहिए। मनीमाजरा आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष गुरसेवक सिंह ने चंडीगढ़ में बढ़ रही अपराध दर पर चिता जाहिर की। सेक्टर-44 की यूनाइटेड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीके निर्मल ने चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड द्वारा लोगों को नोटिस भेजकर बेवजह परेशान करने का मुद्दा उठाया और कहा कि लोगों ने जरूरत के हिसाब से अपने मकानों में जो बदलाव किए हैं, उन्हें नियमित किया जाना चाहिए। अधिकारियों की जिम्मेदारी हो फिक्स

सेक्टर-15 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष रविकांत शर्मा ने कहा कि नगर निगम द्वारा सारे चंडीगढ़ में और विशेष तौर पर सेक्टर-15 में आवश्यकता से कहीं अधिक स्ट्रीट वेंडर्स बैठाकर न केवल दुकानदारों बल्कि स्थानीय निवासियों के साथ भी अन्याय किया है। मॉडर्न हाउसिग कांप्लेक्स डुप्लेक्स आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष केएल अग्रवाल के अनुसार चंडीगढ़ में सड़कों की जो खराब हालत है, वह आज तक नहीं देखी गई और साथ ही गंदगी के ढेर भी जगह-जगह देखे जा सकते हैं। फासवेक के पीआर सचिव संदीप भल्ला ने कहा कि किसी भी एरिया में शिकायत आने पर संबंधित अधिकारियों की निजी जिम्मेदारी फिक्स की जानी चाहिए।


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