मेयर चुनाव : गुटबाजी ने बढ़ाईं भाजपा की मुश्किलें, नाराज पार्षदों को मनाना बढ़ी चुनौती
पिछले साल और अब की स्थिति में यह फर्क है कि पहले यह पता चल गया था कि कौन-कौन पार्षद आशा जसवाल के साथ हैं, जबकि इस बार ऐसा नहीं है।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। भाजपा में बगावत होने के कारण अब 18 जनवरी तक शहर की राजनीति गरमाई रहेगी। भाजपा के पास मेयर सहित तीनों पदों को जीतने का आंकड़ा है, लेकिन इस समय गुटबाजी और कैंथ के बागी होने से भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो गई। पिछले साल और अब की स्थिति में यह फर्क है कि पहले यह पता चल गया था कि कौन-कौन पार्षद आशा जसवाल के साथ हैं, जबकि इस बार ऐसा नहीं है। उस समय आशा जसवाल के साथ 11 पार्षदों ने बगावत की थी। इस बार सतीश कैंथ के समर्थन में सिर्फ फरमिला देवी आई हैं। जबकि बाकी पार्टी के फैसले से जो पार्षद नाराज हैं, वह खुलकर सामने नहीं आ रहे, क्योंकि उन्हें पता है कि खुलकर सामने आने पर पार्टी का दबाव बन जाएगा। ऐसे में भाजपा के लिए ऐसे क्रास वो¨टग करने वाले नाराज पार्षदों की पहचान करके उन्हें समझाना एक बड़ी चुनौती रहेगी, क्योंकि इस बार भाजपा के अपने पार्षद छिपकर अपने ही उम्मीदवार पर वार करने की रणनीति बना रहे हैं। भाजपा पार्टी उन पार्षदों को ही शक के दायरे में ले रही है, जिन्होंने कैंथ को मेयर पद का उम्मीदवार बनाने की पंसद पार्टी प्रभारी प्रभात झा को बताई थी। कैंथ के बागी होने का मामला हाईकमान तक पहुंच गया है। भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन और संगठन मंत्री दिनेश कुमार को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है। हरदीप और कंवरजीत राणा खेर गुट के सीनियर डिप्टी मेयर हरदीप सिंह और डिप्टी मेयर का उम्मीदवार कंवरजीत राणा को सांसद किरण खेर की सिफारिश पर बनाया गया है। यह दोनों खेर के करीबी हैं। जीत के लिए चाहिए 14 वोट मेयर का चुनाव जीतने के लिए 14 वोट की जरूरत है। भाजपा के इस समय 20 पार्षद हैं, जबकि अकाली दल के पार्षद और सांसद किरण खेर के भी वोट हैं। नगर निगम में कुल 26 पार्षद हैं। सांसद को मिलाकर मेयर चुनाव में 27 मत हैं। जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 4 ही पार्षद हैं, ऐसे में कांग्रेस का जीत दर्ज करना मुश्किल है। लेकिन लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण कांग्रेस भाजपा की गुटबाजी को ज्यादा से ज्यादा भुनाना चाहती है।
भाजपा के लिए क्रास वोटिंग रोकना एक बड़ी चुनौती
कैंथ के बागी होने से भाजपा के लिए क्रास वोटिंग रोकना एक बड़ी चुनौती हो गई है, क्योंकि भाजपा के पार्षद आपस में बंटे हुए हैं। पिछले साल पार्टी आशा जसवाल का नामांकन वापस करवाने में कामयाब हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद भाजपा से दो वोट क्रास हो गए थे। कांग्रेस के मेयर पद के उम्मीदवार देवेंद्र सिंह बबला को छह वोट हासिल हुए थे। ऐसे में भाजपा के लिए अपने पार्षदों को एकजुट रखना काफी मुश्किल है। फरमिला देवी और निर्दलीय पार्षद दलीप शर्मा ने पहले ही कैंथ को समर्थन दे दिया है। नगर निगम में 9 मनोनीत पार्षद भी हैं, लेकिन उन्हें मत देने का अधिकार नहीं है।
नामांकन लिया जा सकता है वापस
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने कैंथ को आश्वासन दे दिया है कि अगर वह मैदान में डटा रहा तो उनकी पार्टी के मेयर पद का उम्मीदवार नामांकन वापस ले लेगा। मालूम हो कि 18 जनवरी को मतदान से एन मौके से पहले भी नामांकन वापस लेने का अधिकार है। कालिया ने बंसल के छुए पैर जब भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार राजेश कालिया नगर निगम में नामांकन भरने के लिए आए तो उन्हें पार्किग में ही कांग्रेस नेता एवं पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल मिल गए। बंसल से मिलने पर कालिया ने बंसल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। फिलहाल भाजपा में बगावत पर बंसल अभी कोई टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं है।
मोदगिल से मंगवाई थी लिखित में माफी
पिछली बार टंडन गुट ने देवेश मोदगिल से लिखित में माफी मंगवाई थी, उसके बाद आशा जसवाल नामांकन वापस लेने के लिए तैयार हुई थी, लेकिन इस बार भाजपा की बगावत खुद टंडन गुट को झेलनी पड़ रही है। राजेश कालिया को भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन ने ही उम्मीदवार बनवाया है।
किस स्थिति में कौन जीत सकता है
-कैंथ और फरमिला के बागी होने पर भाजपा के पास 18 वोट बच गए हैं। जबकि सांसद और अकाली दल के वोट मिलने पर उनकी संख्या 20 पहुंच गई है। ऐसे में भाजपा में क्रास वोटिंग होने की पूरी उम्मीद है। अगर भाजपा छह वोट से कम क्रास वोट करने से बचा लेती है तो भाजपा मेयर पद को जीत लेगी।
-कैंथ के पास इस समय फरमिला देवी और निर्दलीय पार्षद दलीप शर्मा को मिलाकर कुल तीन वोट हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस के 4 पार्षद कैंथ को समर्थन दे देते हैं, तो मतों की संख्या 7 हो जाएगी। ऐसे में कैंथ को जीत दर्ज करवाने के लिए भाजपा में 7 वोट क्रास वोट करवाने होंगे।
भाजपा पहले से बंटी है गुटों में
भाजपा इस समय सांसद किरण खेर के अलावा भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन और पूर्व सांसद सत्यपाल जैन में बंटी हुई हैं। यह तीनों नेता आने वाले लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस गुटबाजी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाकर शहर में मैसेज देना चाहती है।
कैंथ में गुस्सा, मान जाएंगे : दिनेश कुमार
पंजाब और चंडीगढ़ भाजपा के सगठन मंत्री दिनेश कुमार का कहना है कि सतीश कैंथ सहित सभी चारों दावेदारों ने यह आश्वासन दिया था कि पार्टी किसी एक को उम्मीदवार बनाती है, तो दूसरे दावेदार उसका समर्थन करेंगे, ऐसे में उन्हें विश्वास नहीं है कि कैंथ ने पार्टी के खिलाफ जाकर नामांकन भरा है। कैंथ में गुस्सा हो सकता है, वह मानते है कि कैंथ मान जाएंगे।
भाजपा की पोल खुल गई : छाबड़ा
कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा का कहना है कि अभी उनके उम्मीदवार सभी पदों के लिए खड़े हैं। जो कोई भी आगामी निर्णय लिया जाएगा, उसके लिए अलग से बैठक करेंगे। भाजपा की गुटबाजी पूरे शहर को पता लग गई है। जिसका खामियाजा भाजपा को आने वाले लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
कैंथ वापस लेंगे नाम : टंडन
भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कैंथ अपना नामांकन वापस ले लेंगे। उनका पार्टी में पहले की तरह ही मान-सम्मान बना रहेगा।
सांसद ने कहा था, कोई विरोध नहीं करेगा
जिस समय पार्टी कार्यालय में भाजपा ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवारों की घोषणा की तो उस समय सांसद किरण खेर ने कहा कि काफी अच्छा ग्रुप बना है, कोई भी विरोध नहीं करेगा।