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कालिया ने पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए भरे नामांकन में छिपाए तथ्य

नामांकन पत्र में उन आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी, जिनमें उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 11:07 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 11:07 PM (IST)
कालिया ने पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए भरे नामांकन में छिपाए तथ्य
कालिया ने पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए भरे नामांकन में छिपाए तथ्य

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार राजेश कालिया ने साल 2016 में जब पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा था, उसमें तथ्य छुपाए गए हैं। कालिया ने अपने नामांकन पत्र में उन आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी, जिनमें उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है। जिस पर भाजपा के बागी उम्मीदवार सतीश कैंथ ने सवाल उठाया है। कैंथ का कहना है कि वे बुधवार को इसके खिलाफ पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में जाकर चुनौती देने जा रहे हैं। कैंथ का कहना है कि उन पर भी मामला दर्ज हुआ था, लेकिन मामला खारिज होने के बावजूद उन्होंने इसकी जानकारी अपने नामांकन पत्र में दी थी। यह हैं मामले, जिनकी जानकारी कालिया ने नहीं दी

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कालिया के खिलाफ 31 मार्च 1994 को मारपीट का मामला दर्ज हुआ था। जिस पर उन्हें जिला अदालत में एक साल की सजा सुनाई गई थी। जिसके खिलाफ कालिया ने हाईकोर्ट में रिवीजन पटीशन फाइल की थी। हाईकोर्ट ने सजा कम कर दी थी। लेकिन कालिया ने अपने नामांकन पत्र में इसका जिक्र नहीं किया। कालिया ने एक माह की सजा काट ली थी। इसके साथ ही कालिया के खिलाफ 7 जनवरी 2001 में गैब¨लग एक्ट का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें कालिया को दोषी ठहराते हुए 50 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। लेकिन कालिया ने पार्षद के लिए लड़े नामांकन पत्र में इसकी जानकारी नहीं दी। मालूम हो कि पुलिस ने कालिया को बैड कैरेक्टर का दर्जा दिया हुआ है। पुलिस विभाग की बी लिस्ट में अभी भी कालिया का नाम दर्ज है। कैंथ पर लग चुका है 50 रुपये जुर्माना

भाजपा से बागी हुए उम्मीदवार सतीश कैंथ पर भी गैब¨लग एक्ट का मामला दर्ज हो चुका है, जिसमे उन्हें भी 50 रुपये का जुर्माना लगाकर दोषी ठहराया गया, लेकिन कैंथ ने अपने नामांकन पत्र में इसकी जानकारी दी है। कैंथ पर प्लॉट का कब्जा करने का भी साल 2016 में मामला दर्ज हुआ था। लेकिन दोनों पक्षों में समझौता होने के कारण पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने मामला खारिज कर दिया था। कैंथ ने इस मामले का भी जिक्र नामांकन पत्र में किया है। लेकिन कालिया ने नामांकन पत्र में यह कहा है कि उनके खिलाफ न तो कोई मामला दर्ज है और न ही किसी मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया है। कालिया ने अपने नामांकन पत्र में चेक बाउंस के मामले का जिक्र किया है, जोकि अदालत में विचाराधीन है। एक माह में आपत्ति दर्ज की जा सकती है : चुनाव आयोग

चुनाव आयोग के अनुसार नामांकन पत्र में अगर किसी ने कोई गलत जानकारी दी है, तो उसे नामांकन भरने के एक माह के भीतर ही चुनौती दी जा सकती है। आयोग के अनुसार अब डीसी या हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। कोई जानकारी नहीं छिपाई, अदालत जाने के लिए कोई भी स्वतंत्र : कालिया

भाजपा के मेयर उम्मीदवार राजेश कालिया का कहना है कि उनकी ओर से कोई जानकारी नहीं छिपाई है। अगर कोई अदालत जाना चाहता है, तो वह इसके लिए स्वतंत्र हैं। पार्षद सतीश कैंथ उनके भाई समान हैं। वह चाहते हैं कि वह नामांकन वापस लेकर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर शहर के विकास के लिए काम करें। वह कैंथ को मिलने के लिए खुद जाएंगे। उनके मेयर बनने के बाद नगर निगम का हर पार्षद अपने आप को महापौर समझे। पार्टी के आला नेता भी सतीश कैंथ को मनाने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी ने जो उन पर विश्वास किया है, वह उनकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ काम किया जाएगा। सांसद ने कैंथ को मनाने का किया प्रयास, लेकिन कैंथ ने कहा बैड कैरेक्टर को क्यों बनाया उम्मीदवार

सांसद किरण खेर ने भी बागी उम्मीदवार सतीश कैंथ को मनाने का काफी प्रयास किया, लेकिन कैंथ ने नामांकन वापस लेने के लिए साफ मना कर दिया। कैंथ ने सांसद को कहा कि क्या पार्टी को उम्मीदवार बनाने के लिए एक बैड कैरेक्टर ही मिला था। कैंथ ने सांसद से कहा कि अगर मेयर का उम्मीदवार भरत कुमार को बनाया होता, तो वे निर्दलीय तौर पर नामांकन नहीं भरते। कालिया को उम्मीदवार बनाने से आने वाले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को नुकसान होगा। जबकि सांसद किरण खेर ने कहा कि पार्टी हाईकमान को जो निर्णय होता है, वह सभी को मनाना होता है। वहीं, खेर गुट के पार्षदों ने कैंथ को सांसद के साथ बैठक करने की भी सलाह दी है। वहीं, भाजपा के नेता कैंथ के घर जाकर उन्हें मनाने की योजना बना रहे हैं।


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