कला का रंग सफेद
व्हाइट ऑन व्हाइट। यानी सफेद पर सफेद रंग की कला।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : व्हाइट ऑन व्हाइट। यानी सफेद पर सफेद रंग की कला। जितना आसान कहने में लगता है, उतना ही बनाने में। क्योंकि इसमें आपको अपनी विषय को कैनवास की सफेदी से अलग करना है। विषय भी सफेद रंग में और कैनवास भी। ये अलग तरह का आर्ट वर्क रहा। जिसमें रंगों की जगह मिक्स मीडिया से जुड़े एलिमेंट देखने को मिले। 25 कलाकार, सभी महिलाएं। जिन्हें एक आर्ट गैलरी में लेकर आईं दिल्ली की कलाकार शोभा ब्रूटा। प्राचीन कला केंद्र सेक्टर-35 की गैलरी में व्हाइट ऑन व्हाइट प्रदर्शनी लेकर पहुंची शोभा ने इस पर चर्चा की। उन्होंने इस प्रदर्शनी को क्यूरेट किया है। हैबिटेट सेंटर में आया ये विचार
शोभा ने कहा कि कला में उन्हें हमेशा से कुछ नया करना पसंद रहा है। इसमें ये जरूरी नहीं लगता कि आपका नाम कितना बड़ा है, आपकी पहचान कहां तक है। बस जब भी कुछ कला से जुड़ा बनाने का मौका आता है तो कुछ नया ट्राय करती हूं। कुछ वर्ष पहले मुझे हैबिटेट सेंटर में किसी ने व्हाइट ऑन व्हाइट पर काम करने को कहा। ये जितना आसान लगता था, उतना ही कलाकारों से बनवाना इसे मुश्किल था। हालांकि मैंने फिर भी अपने कुछ स्टूडेंट्स और कई साथियों को इस विषय पर कुछ बनाने को कहा। जिसके बाद ये प्रयास सफल हो पाया। शून्यता के बाद गहराई आई कला में
शोभा ने कहा कि 74 वर्ष की उम्र में भी उन्हें कला में कुछ नया पसंद आता है। बोलीं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट्स करते हुए, हमें केवल वेस्टर्न आर्ट तक ही सीमित रखा जाता था। उस दौरान भारतीय क्लासिकल कला देखने को नहीं मिलती थी। मगर जिद थी कि हम भारतीय हैं तो हमारी संस्कृति से हम बाहर कैसे हो सकते हैं। ऐसे में भारतीय शास्त्रीय कला को ललित कला में लाना मेरा मकसद रहा। कला में कुछ नया अर्जित करना था, इसलिए शून्य तक पहुंची। ये शून्यता सब कुछ प्राप्त करने के बाद वापस शून्य पर आने की होती है और इसके बाद आप गहराई में उतरते हैं। मैंने भी यही किया। इसी वजह से ऐसे विषय पर पेंटिग देशभर में लेकर जाती हूं। महिला सशक्तीकरण से लेकर उम्मीद पर दिखा काम
प्रदर्शनी में 25 कलाकारों ने खूबसूरती से सफेद एलिमेंट को चुना है। मसलन कैनवास पर सफेद रस्सियों, मास्क, मैश पेपर जैसे एलिमेंट देखने को मिले। जिसकी वजह से ये पेंटिग से बाहर आते दिखते हैं जो 3डी आर्ट का भ्रम देते हैं। इसमें गंभीर से लेकर खुशनुमा विषय दिखे, जिसमें महिला सशक्तीकरण से लेकर उम्मीद जैसे विषय खूबसूरती से प्रदर्शित किए गए।