फर्ज के लिए बच्चे से रहीं दूर, कोरोना काल बना अग्नि परीक्ष
कोरोना काल सबके लिए कड़ी चुनौती थी लेकिन मेडिकल वर्कर के लिए यह चुनौती कुछ ज्यादा ही बड़ी थी। जिनके बच्चे छोटे थे उनके लिए तो कोरोना काल किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं था। ऐसी ही मेडिकल वर्कर वनीता जो सेक्टर-32 स्थित सरकारी अस्पताल में नर्स है। फर्ज के लिए वनीता सात वर्षीय बच्चे से दूर रही।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़
कोरोना काल सबके लिए कड़ी चुनौती थी, लेकिन मेडिकल वर्कर के लिए यह चुनौती कुछ ज्यादा ही बड़ी थी। जिनके बच्चे छोटे थे उनके लिए तो कोरोना काल किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं था। ऐसी ही मेडिकल वर्कर वनीता जो सेक्टर-32 स्थित सरकारी अस्पताल में नर्स है। फर्ज के लिए वनीता सात वर्षीय बच्चे से दूर रही। कोरोना काल में वनीता की ड्यूटी अस्पताल में विभिन्न वार्डो में लगती रही। बच्चे को कोई समस्या न हो इसलिए वह घर तो जाती थी, लेकिन बच्चे को दूर से ही देखकर अपने दिल को तसल्ली दे देती थी। ये सिलसिला काफी माह तक चला, बच्चा छोटा था, उसे मां की जरूरत थी, ये सब जानने के बावजूद वनीता ने फर्ज और बेटे को कुछ न हो, इसके लिए उससे दूरी बना ली। वनीता के पति सुखप्रीत भी चंडीगढ़ फायर विभाग में है और उनकी भी कोरोना काल में ड्यूटी क्वारंटाइन सेंटर में लगती रही है। बेटे को संभालते थे सास-ससुर
वनीता और सुखप्रीत जब ड्यूटी पर जाते थे तो वनीता के सास-ससुर ही बेटे का ख्याल रखते थे। अस्पताल से वापस घर लौटने पर भी वनीता बेटे से नहीं मिलती थी, क्योंकि वह उस समय अस्पताल से आती थी और ऐसे में बच्चे से मिलना खतरे से खाली नहीं होता। बेटे के सामने होने पर उससे न मिलना एक मां के लिए क्या होता है, यह बात वनीता से बेहतर कोई ओर नहीं समझ सकता। वहीं, जब बेटा मां से मिलने के लिए रोता था तो उसे समझाकर चुप करवा दिया जाता था।