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पाठक को काजीरंगा के दर्शन करवाती है लेखक दिलीप की यह पुस्तक

लेखक दिलीप चंदन की नई पुस्तक द बलार्ड आफ काजीरंगा वहां की जमीनी हकीकत का परिचय पाठकों से करवाएगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 11:31 AM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 11:31 AM (IST)
पाठक को काजीरंगा के दर्शन करवाती है लेखक दिलीप की यह पुस्तक
पाठक को काजीरंगा के दर्शन करवाती है लेखक दिलीप की यह पुस्तक

जागरण संवाददाता,चंडीगढ़। अपनी समृद्व प्राकृतिक धरोहर के लिए यूनेस्को से विश्व धरोहर स्थल का दर्जा पाने वाले काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अंधकार और घने जंगल को समेटे गहरे रहस्य अब दुनिया भी जान पाएगी।

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काजीरंगा में केवल नेशनल पार्क नहीं है, यहां लोग भी हैं। लेखक दिलीप चंदन की नई पुस्तक द बलार्ड आफ काजीरंगा पाठकों का वहां की जमीनी हकीकत से परिचय करवाएगी। लेखक दिलीप चंदन ने बताया कि यह पुस्तक लिखने में उन्हें कुल पांच वर्ष लगे। इसमें न केवल लोग, संस्कृति बल्कि बाढ़ आ जाने पर यहां के हाल को बयान किया है।

गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज-11 में आयोजित चंडीगढ़ लिटरेचर फेस्टिवल में दिलीप के साथ पुस्तक की अनुवादक परबीना राशिद भी शामिल हुई। दिलीप ने कहा कि उन्होंने इस किताब को लिखते हुए न केवल काजीरंगा के वन्यजीव बल्कि वहां की जड़ी बूटी और उनके रखरखाव पर भी काम किया। इस दौरान कई ऐसे लोग मिले जो निस्वार्थ भाव से वहां कार्य कर रहे हैैं। परबीना राशिद ने कहा कि वो भी असम से हैैं, मगर इसे अच्छे से तभी जान पाई जब दिलीप की किताब को पढ़ा। ऐसे में इस अनुवाद करने की सोची। किताब में कुल 26 अध्याय हैैं। जिसमें कभी खुशनुमा, कभी डरावने और कभी दुख भरे हिस्से हैं। पुस्तक पाठकों को एक क्षण के लिए भी निराश नहीं करती है।

फिक्शन पद्धति में लिखी है किताब...

दिलीप ने कहा कि उन्होंने इस किताब को फिक्शन के रूप में लिखा है। जो गुवाहाटी में रहने वाले बिल्डर अमल दुआरा पर आधारित है। वो काजीरंगा में एक रिजॉर्ट खोलना चाहता है। वो अपने चचेरे भाई अरूनभ को शामिल करता है जो पेशे से एक पत्रकार हे और अनुरभ का एक बचपन का दोस्त संगीतकार ऋषि भी इस मिशन में शामिल होता है। इस उद्यम में एक और व्यक्ति शामिल होता है, हृ्दयानन्द जो उसके कॉलेज के दिनों का मित्र था। हृ्दयानन्द फॉरेस्ट विभाग का एक रेंज ऑफिसर है और काजीरंगा में कार्यरत है। चार अलग-अलग क्षेत्र के ये लोग रिजॉर्ट खोलने के लक्ष्य के साथ काम करते हैं।

घटनाएं घटती हैं और काजीरंगा की कहानी परत दर परत खुलती है। गैंडे का शिकार, अंदरूनी राजनीति, जंगल की जमीन पर गैरकानूनी कब्जा, इसके आसपस ग्रामीणों की समस्याएं, प्राकृतिक आपदायें, जंगल सुरक्षाकर्मीयों द्वारा बेखौफ छापे मारना, राजनीतिक हस्तक्षेप, सभी कुछ इस किताब में उपलब्ध है। दिलीप ने कहा कि उ मीद है कि ये किताब लोगों को काजीरंगा के दर्शन करवाएगी।


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