पांच माह से मनोनीत पार्षदों की फाइल रोक कर बैठा है प्रशासन
मनोनीत पार्षदों की नगर निगम में इसलिए नियुक्ति की जाती है ताकि अलग-अलग फिल्ड में एक्सपर्ट रहे लोगों की राय नगर निगम की कारगुजारी और शहर के विकास में भागीदारी निभा सकें।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़
मनोनीत पार्षदों की नगर निगम में इसलिए नियुक्ति की जाती है, ताकि अलग-अलग फिल्ड में एक्सपर्ट रहे लोगों की राय नगर निगम की कारगुजारी और शहर के विकास में भागीदारी निभा सकें। नगर निगम के वर्तमान कार्यकाल को पांच माह होने वाले हैं, लेकिन प्रशासन नियुक्त होने वाले नौ मनोनीत पार्षदों के नाम ही तय नहीं कर पा रहा है। जबकि चंडीगढ़ नगर निगम में पहले से पार्षदों और अधिकारियों की आपस में खींचतान चल रही है। मनोनीत पार्षदों में रिटायर्ड इंजीनियर, आर्मी अधिकारी, रिटायर्ड आइएएस, रिटायर्ड डाक्टर, प्रतिष्ठित व्यापारी, उद्योगपति के अलावा समाजसेवी लोगों की नियुक्ति होती रही है। प्रशासन दिसंबर में हुए नगर निगम चुनाव के बाद से नियुक्त होने वाले मनोनीत पार्षदों की फाइल रोक कर बैठा हुआ है। इस समय नगर निगम में 35 पार्षद हैं, जिनमें से 28 पार्षद ऐसे हैं जोकि पहली बार चुनाव जीतकर नगर निगम आए हैं।
वहीं, अधिकारियों के दावेदारों के नाम शार्ट लिस्ट कर लिए गए हैं। मनोनीत पार्षदों के पास इस समय मेयर चुनाव में मत का अधिकार नहीं है, लेकिन मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति न होने के कारण नगर निगम का जरूर नुकसान हो रहा है, क्योंकि मेयर सरबजीत कौर अलग-अलग विभागों की कोआर्डिनेशन के लिए सब कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है। सब कमेटी की बैठकों में अलग-अलग विकास के प्रस्ताव पास होते हैं। हर साल 15 सब कमेटियों का गठन होता है। ऐसा पहली बार हुआ जब चुनाव के बाद नगर निगम का कार्यकाल शुरू हो चुका है, लेकिन मनोनीत पार्षदों के बिना ही सदन की कार्रवाई चल रही है। मनोनीत पार्षद अलग-अलग मामलों में एक्सपर्ट की ओर से नियुक्त किए जाते हैं। दिसंबर में नगर निगम के चुनाव हुए थे। हर बार चुनाव परिणाम से पहले ही मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति हो जाती रही है, लेकिन इस बार साढ़े चार माह बीत जाने के बावजूद नियुक्ति नहीं हुई है। नगर निगम में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। प्रशासन ने शार्ट लिस्ट किए गए दावेदारों की पुलिस वेरिफिकेशन भी करवा ली है।
दो माह पहले गवर्नर हाउस भेज दी थी दावेदारों की सूची
मनोनीत पार्षदों के दावेदारों की सूची शार्ट लिस्ट करके दो माह पहले ही गवर्नर हाउस भेज दी गई है। अंतिम निर्णय प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की ओर से लिया जाना है। भाजपा के समर्थक मनोनीत पार्षद बनने के लिए चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े को संपर्क कर रहे हैं। साल 2016 तक मनोनीत पार्षदों के पास मत का अधिकार था। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर मत का अधिकार वापस लिया गया था। जिसके खिलाफ प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। मत के अधिकार का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोट्स
बिना मनोनीत पार्षदों के सदन चलाया जा रहा है, जो गलत है, क्योंकि मनोनीत पार्षदों के साथ ही फुल हाउस बनता है। म्यूनिसिपल एक्ट में नौ मनोनीत पार्षद नियुक्त करने का जिक्र है। ऐसा पहली बार हुआ है कि मेयर का कार्यकाल शुरू हो गया हो और मनोनीत पार्षदों की नियुक्त न हुई हो।
-सुभाष चावला, अध्यक्ष, कांग्रेस अभी तक मनोनीत पार्षदों की नियुक्त हो जानी चाहिए थी। मनोनीत पार्षद नियुक्त करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए, जिसमें आप, कांग्रेस और भाजपा का एक-एक प्रतिनिधि शामिल हो। मनोनीत पार्षद अलग-अलग फिल्ड से एक्सपर्ट होने चाहिए न कि राजनीतिक दलों के नेता।
-प्रेम गर्ग, संयोजक, प्रेम गर्ग मनोनीत पार्षदों को नियुक्त करने का अधिकार प्रशासक का है। इस पर मैं क्या कह सकता हूं। मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति न होने से शहर में विकास का कोई काम प्रभावित नहीं हो रहा है। मनोनीत पार्षदों के पास वोटिग का अधिकार नहीं है।
-अरुण सूद, अध्यक्ष, भाजपा मनोनीत पार्षद गैर राजनीतिक होने चाहिए। रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों और समाजसेवी लोगों को भी मनोनीत पार्षद नियुक्त किया जाना चाहिए।
-सुरेंद्र शर्मा, वाइस चेयरमैन, क्राफ्ड