प्रशासन का राजनीतिक दलों को ईवीएम जांचने का न्यौता
2019 के लोकसभा चुनाव थर्ड जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से होंगे। यह मार्क-3 ईवीएम चंडीगढ़ में पहुंच चुकी हैं। मार्क-3 ईवीएम से वीवीपैट जुड़ी होगी। जिससे मतदाता 7 सेकेंड तक अपने वोट पोल को देख सकेगा कि उसने वोट दिया है। स्क्रीन पर दिखने के साथ ही वीवीपैट से वोट पोल होने की स्लिप भी मिलेगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 2019 के लोकसभा चुनाव थर्ड जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से होंगे। यह मार्क-3 ईवीएम चंडीगढ़ में पहुंच चुकी हैं। मार्क-3 ईवीएम से वीवीपैट जुड़ी होगी। जिससे मतदाता 7 सेकेंड तक अपने वोट पोल को देख सकेगा कि उसने वोट दिया है। स्क्रीन पर दिखने के साथ ही वीवीपैट से वोट पोल होने की स्लिप भी मिलेगी। जिस पर कैंडीडेट का नाम, सीरियल नंबर और चुनाव चिन्ह अंकित होगा। इससे भी वोटर को स्पष्ट हो जाएगा, उसने वोट जिसे दिया वह सही है या नहीं। हालांकि यह स्लिप वह पोलिंग बूथ से बाहर नहीं ले जा सकेगा। स्लिप को वहीं बॉक्स में डालना होगा। काउंटिंग के समय ईवीएम से गणना के साथ स्लिप की काउंटिंग कर क्रॉस चेक किया जाएगा। चंडीगढ़ में कुल 527 पोलिंग बूथ हैं। जबकि मतदाता 6 लाख 9 हजार हैं। राजनीतिक दलों को ईवीएम जांचने का मौका
राजनीतिक दलों के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के प्रति बढ़े अविश्वास को देखते हुए प्रशासन ने सभी दलों को ईवीएम चेक करने का मौका दिया है। इनके लिए फर्स्ट लेवल चेकिंग (एफएलसी) सेशन रखा है। पहले दिन केवल नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रतिनिधि ही ईवीएम जांचने पहुंचे। कोई भी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि अगले कुछ दिनों तक सेक्टर-17 स्थित एडिशनल टाउन हॉल बिल्डिंग में पहुंचकर इसको देख सकते हैं। इसके लिए दो इंजीनियर लगाए गए हैं जो कंट्रोल पैनल को खोलकर पूरी मशीन को दिखाएंगे। जल्द ही वीवीपैट सिस्टम को भी राजनीतिक दलों से चेक कराया जाएगा। मार्क-3 ईवीएम की खासियत
इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और न ही दोबारा लिखा जा सकता है। ईवीएम को इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। नई ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ संभव नहीं है। अगर कोई मशीन या उसका एक स्क्रू भी खोलने की कोशिश करेगा तो ये बंद हो जाएगी। नई ईवीएम मशीन में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी रखी जा सकती है। जबकि इससे पहले वाले मार्क 2 ईवीएम में सिर्फ 4 बैलेट यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी ही रखी जा सकती थी।