..लिखने में जो सुकून है, वो कहीं नहीं
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : लिखने में एक अलग सुकून है। जो वक्त के साथ नशा बन जाता है। मुझे ये ए
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : लिखने में एक अलग सुकून है। जो वक्त के साथ नशा बन जाता है। मुझे ये ऐसा ही लगा। बचपन से इतनी किताबें पढ़ ली थी कि खुद भी लेखन बनने का मन हो गया। ऐसे में अपनी पहली किताब 17 वर्ष की उम्र में ही पूरी कर ली। अब जुनून ऐसा है कि औसतन एक साल में एक किताब तो लिख ही लेती हूं। लेखिका देवांशी शर्मा ने कुछ इस अंदाज में अपनी लेखनी पर बात की। बेस्ट सेलर में शामिल देवांशी शुक्रवार को होटल ताज-17 में पहुंचीं। ज्यादातर उन्होंने रोमांस पर ही लिखा है, क्योंकि ये उनका पसंदीदा विषय है। उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें राजनीति और खेल जगत की दुनिया के बारे में जानना भी पसंद है, मगर जब लिखने की बात आए तो उन्हें रोमांस ही फबता है। युवाओं की भाषा में लिखा जाए तो सब पढ़ेंगे
युवाओं में किताब के लिए रुचि पर देवांशी ने कहा कि हर समय में युवाओं ने नई चीजों को इजाद किया है। आजकल किंडल है, मगर फिर भी किताबों का मजा किताब में ही है। ऐसे में हमें बस युवाओं की भाषा को पकड़ना होगा। युवाओं की भाषा में अगर हम लिखे तो यकीनन युवा उसे पढ़ेंगे। इसलिए मैं अपनी भाषा युवाओं की तरह ही लिखती हूं। मुझे खुशी है कि युवाओं को भी ये पसंद आया। युवाओं को लिखने के लिए बस यही कहूंगी कि अगर आप ज्यादा से ज्यादा पढ़ेंगे, तो दिमाग में कई विचार और शब्द अपने आप आपको एक किताब लिखने के लिए प्रेरित करेंगे।