शिक्षकों को नहीं पता पोक्सो एक्ट, सामने आ रहे यौन शोषण के मामले
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के सर्कुलर और चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (सीसीपीसीआर) की कोशिशों के बाद भी शहर में बच्चों के साथ होने वाली शारीरिक और यौन शोषण की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के सर्कुलर और चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (सीसीपीसीआर) की कोशिशों के बाद भी शहर में बच्चों के साथ होने वाली शारीरिक और यौन शोषण की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। बल्कि दिन-प्रतिदिन ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं ने जहां सीबीएसई के नियमों को लागू करने वाले स्कूल स्टाफ पर सवाल खड़े हो रहे है, वहीं सीसीपीआर की तरफ से चलाए गए अभियान पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि शिक्षकों को भी पोक्सो एक्ट की जानकारी नहीं है।
सीबीएसई के नियमों के अनुसार स्कूल में कार्यरत काउंसलर को स्टूडेंट्स को पोक्सो एक्ट की जानकारी देना अनिवार्य है, जो कि पहली कक्षा से ही शुरू होनी चाहिए। बच्चों को गुड टच और बैड टच की जानकारी देने के लिए अलग से समय निर्धारित किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य के साथ स्कूलों में काउंसलर को नियुक्त किया गया था।
शिक्षा सचिव बंसी लाल शर्मा का कहना है कि स्कूल के बच्चों के साथ पोक्सो के केस बढ़ना चिंता का विषय है। इसके लिए हमें ज्यादा जिम्मेवारी लेने की जरूरत है। बच्चों को पॉक्सो के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ हमें खुद भी अवेयर होकर इसके खिलाफ लड़ाई करने की जरूरत है।
शहर में सामने आए ताजा मामले
बच्चों के साथ यौन शोषण के शहर में सामने आए ताजा मामलों में से एक मामला सरकारी स्कूल के अंदर 6 साल की बच्ची के साथ हुई दुराचार की कोशिश की घटना शामिल हैं। इसके अलावा धनास की सातवीं क्लास की छात्रा के साथ मकान मालिक द्वारा छेड़छाड़ और महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन की तरफ से 11 से 14 साल की चार लड़कियों को गर्भवती होने के बाद रेसक्यू करने जैसे केस सामने आए हैं। यह सारे ही केस 15 से 26 अक्टूबर के बीच सामने आए हैं। कमीशन खुद जागरूक करने के अलावा बना रहा है चाइल्ड फ्रेंडली कमेटी
सीसीपीसीआर स्कूलों में जाकर खुद बच्चों को जागरूक कर रहा है। जिसके लिए विशेष सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा कमीशन की तरफ से स्कूल स्तर पर चाइल्ड फ्रेंडली कमेटी का भी निर्माण किया है जो कि बच्चों की समस्याओं को खुद जानकर कमीशन और प्रिंसिपल तक पहुंचाते है। काउंसलर के लिए बच्चों का निर्धारण अनिवार्य
पूर्व डिप्टी डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन चंचल सिंह का कहना है कि पोक्सो के बढ़ते केसों को देखते हुए सबसे पहले शिक्षा विभाग को काउंसलर को बढ़ाने की जरूरत है। एक स्कूल में एक काउंसलर रखने के बजाए कुछ बच्चों की संख्या पर इसका निर्धारण होना चाहिए। एक काउंसलर एक समय में दो हजार बच्चों को काउंसल नहीं कर सकता है। ऐसे में विभाग को काउंसलर पर ध्यान देने की जरूरत है। सोशल विजिलेंस बढ़ाने की है जरूरत
मोटिवेशनल स्पीकर मो¨हद्र कौर का कहना है कि पोक्सो एक्ट की जानकारी सिर्फ स्कूल के टीचर्स और बच्चों के लिए काफी नहीं है बल्कि इसकी जानकारी आम नागरिक को होना भी अनिवार्य है। किसी भी बच्चे के साथ यदि कुछ गलत हो रहा है यह उसका अंदेशा भी है तो उसकी जानकारी पुलिस और चाइल्ड हेल्पलाइन को करने की जरूरत होती है। जब तक समाज खुद की जिम्मेवारी को नहीं समझेगा तब तक बदलाव संभव नहीं है।