9/11 हमले के बाद सिक्योरिटी गाइडलाइंस में शामिल किया गया केमिकल का इस्तेमाल
पंजाब यूनिवर्सिटी में एक कांफ्रेंस में शिरकत करने आए यूएस के साइंटिस्ट्स प्रो. केन फर्ग्युसन और डॉ. क्लीफोर्ड ग्लांत्ज ने विशेष बातचीत के दौरान अमेरिका के सिक्योरिटी सिस्टम पर बात की।
जागरण संवाददाता , चंडीगढ़ :यूएस में 9/11 हमले के बाद एकाएक सारा मंजर बदल गया। दो बड़ी इमारतें पलक झपकते ही धराशायी हो गई। पंजाब यूनिवर्सिटी जितना करीब 500 एकड़ में बसा एरिया एकदम खंडहर में बदल गया। होटल, माल और बिजनेस सेंटर पूरी तरह तबाह हो गए। पंजाब यूनिवर्सिटी में एक कांफ्रेंस में शिरकत करने आए यूएस के साइंटिस्ट्स प्रो. केन फर्ग्युसन और डॉ. क्लीफोर्ड ग्लांत्ज ने विशेष बातचीत के दौरान अमेरिका के सिक्योरिटी सिस्टम पर बात की। केमिकल के सुरक्षित दोहरे इस्तेमाल को लेकर आयोजित इस कान्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि हमले के बाद एक नया सिक्योरिटी कंट्रोल रूम तैयार किया गया। केमिकल के इस्तेमाल को लेकर नए सिरे से गाइडलाइंस बनाई गई। हमले के तुरंत बाद प्रशासन ने 24 घंटे के लिए हवाई यात्रा पूरी तरह से अवरुद्ध कर दी गई ताकि कोई भी प्लेन आ-जा ना सके। इसके बाद उन केमिकल्स की बकायदा लिस्ट तैयार की गई जिनके इस्तेमाल को लेकर एहतियात बरती जाए। इस बात का भी ध्यान रखने को कहा गया कि कितनी मात्रा में कौन सा केमिकल कैसे इस्तेमाल किया जाए।
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अमेरिका में आसानी से नहीं मिलते केमिकल
उन्होंने बताया कि अमेरिका में केमिकल आम आदमी के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। इसके लिए बाकायदा प्रशासनिक अनुमति लेनी होती है। यह भी देखा जाएगा कि केमिकल को लेकर फ्लां आदमी की जरूरत क्या है। अमोनिया नाइट्रेट और क्लोरिन आम आदमी के लिए मार्केट में उपलब्ध नहीं है। अगर इंडिया की बात करें तो यहां अमोनिया नाइट्रेट आसानी से सबकी पहुंच में है। ---------------- बेहतरीन देश और बेहतरीन हैं यहां के लोग
प्रो फर्ग्युसन ने बताया कि इंडिया बेहतरीन देश और यहां के लोग भी। हर मामले पर उनको जानकारी होती है। देश में बौद्धिकता की कमी नहीं है। यहां हर तरह की भिन्नता पाई जाती है। वास्तव में यह देश प्रभावित करता है। आने वाला समय भारत का
भारत पर बात करते हुए कहा कि देश का भविष्य उज्ज्वल है। यहां के लोग बौद्धिक रूप से बेहद सक्षम हैं। आने वाला समय भारत का है लेकिन साथ में कुछ चुनौतियां भी हैं जिनसे पार पाना है। यहां के लोग बहुत धरने देते हैं
प्रो फर्ग्युसन ने यह भी कहा कि यहां के लोग प्रोटेस्ट करते रहते हैें। ऐसा देखा है। दुनिया केहर देश में सबको आजादी चाहिए लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी भी होती है। लोग सब कुछ लेना चाहते हैं लेकिन बदले में देना भी बहुत कुछ पड़ता है।
----------------------- केमिकल वेपन हैं जानलेवा
कांफ्रेंस में उस्मानिया यूनिवर्सिटी के डॉ प्रभाकर ने कहा कि केमिकल के इस्तेमाल को लेकर सख्य नियम हों। केमिकल वेपन के इस्तेमाल से व्यक्ति का जान चली जाती है। इसके अलावा स्किन और आंखों में एलर्जी हो रोशनी जाना आम है। फेफड़ों और लीवर में इंफेक्शन हो सकता है। इराक युद्ध में 10 हजार को इंफेक्शन
डॉ. के श्री निवास ने बताया कि कई केमिकल का दोहरा इस्तेमाल होता है। हाइड्रोफलोरिक एसिड, सोडियम साइनाइड, थियोडिगलीकॉल, सोडियम फ्लोराइड और डाइमिथाइलिन केमिकल से शरीर के अंगों को नुकसान भी पहुंचता है। गत 80 के दशक में ईरान के करीब 10 सैनिकों को इराकी सेना ने केमिकल से नुकसान पहुंचाया ।