कैंसर का पता चलते ही हम फिल्म देखने चले गए..
कैंसर होना क्या होता है, ये तभी पता चलता है जब आप इससे ग्रसित होते है
जागरण संवाददाता,चंडीगढ़।
कैंसर होना क्या होता है, ये तभी पता चलता है जब आप इससे ग्रसित होते हैं। पर सच कहूं, तो मैंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हां, आपको कैंसर हुआ है। आपको इसे मानना होगा। मगर खुद पर विश्वास रखते हुए। मैं चाहती थी कि इस बीमारी से लड़ने की बजाए, अपना ध्यान कहीं और लगाऊं। दुनिया में इतनी खूबसूरत चीजें है, उन्हें देखूं। ऐसे में आयुष्मान और मैंने, ये ठान लिया कि इस बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे। यहां तक की जैसे ही मुझे कैंसर होने का पता चला तो मैं और आयुष्मान एक फिल्म देखने निकल पड़े थे। ताहिरा कश्यप ने कुछ इस अंदाज में अपने अनुभव को साझा किया। फोर्टिस अस्पताल मोहाली में आयोजित एक स्पेशल टॉक में ताहिरा ने हिस्सा लिया। रोटरी चंडीगढ़ शिवालिक द्वारा आयोजित इस सेशन में ताहिरा ने शांति भनोट और फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर अतुल जोशी के साथ चर्चा की। घरवालों को नहीं बताया कि मुझे कैंसर है..
ताहिरा ने कहा कि उन्हें कई टेस्ट से गुजरना पड़ा। ऐसे में मन में कई भाव आते रहे। जब रिपोर्ट हाथ में आई, तो मुझे लगा कि इसे अपने घरवालों के साथ साझा न करूं। कुछ देर मैंने खुद अपने दिमाग को इसके लिए तैयार किया, और फिर जैसे मेरे माता पिता को पता चला, तो वो मुझे देखकर हैरान थे। मेरे चेहरे पर इसके लिए कोई शिकन नहीं थी। साथ ही मैंने रूटीन की तरह अपने सैलून जाना और घूमना फिरना नहीं छोड़ा। इसके बाद उन्होंने भी मुझे सकारात्मक रूप से लिया और इस तरह से मैंने मेरे हिसाब से आधी जंग जीत ली। आयुष्मान से मिला पूरा साथ..
ताहिरा ने कहा कि उन्हें खुशी है कि हाल ही में आयुष्मान ने उनके लिए करवाचौथ का व्रत रखा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कैंसर की वजह से वो करवाचौथ का व्रत नहीं रख पाई, ऐसे में आयुष्मान ने व्रत रखने की बात कही, तो उन्हें बहुत खुशी हुई। सकारात्मक रहकर ही आप हर बीमारी से ठीक रह सकते हैं..
ताहिरा ने कहा कि कैंसर के बाद उनकी जिंदगी में कई सीख शामिल हुई है। पहली तो ये कि इंसान की विल पावर उसे हर असंभव कार्य करवा सकती है। आप हर बीमारी से उबर सकते हैं, अगर आप अंदर से सकारात्मक हो। हां, नियमित चिकित्सा और देखभाल भी जरूर है। अभी अपने ट्रीटमेट में मैंने एक मास्टक्टोमी करवाई और सुरक्षात्मक उपाय के रूप में कीमोथेरेपी से गुजर रही हूं। मैं चाहती हूं कि सभी उम्र की महिलाएं जागरूक हों। मैं 35 वर्ष की हूं, और मैंने दो बार मैमोग्राम भी करवाया था। अगर कोई लक्षण आ जाता है, तो इसे एक सुरक्षात्मक ताकत के रूप में सोचें और स्वयं की जाच करें। समय पर चेकअप ही ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है..
डॉ. अतुल जोशी ने कहा कि स्तन कैंसर महिलाओं में इन दिनों बेहद आम है। ब्रेस्ट कैंसर एक दशक पहले हमला करना शुरू करता है। ऐसे में इसकी पहचान देरी से होती है और महिलाएं भी अकसर इलाज में देरी कर देती हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा जागरुकता ही काम आएगी। साथ ही इस दिशा में होने वाली ज्यादा से ज्यादा रिसर्च भी। साथ ही हर महिला को साल में एक बार अपनी पूरी बॉडी का चेकअप करवाना चाहिए।