सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी ने कहा सड़क दुर्घटना में न जाए किसी की जान
सड़क हादसों में जान गंवाने के मामलों में 21 फीसद तक कमी आई।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सड़क हादसों में जान गंवाने के मामलों में 21 फीसद तक कमी आई है, लेकिन अभी भी सड़कें खून से लाल हो रही हैं। इसको शून्य करना होगा। सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने यह बात कही है। 2018 में 98 लोगों की जान सड़क हादसों में गई थी। जबकि इस साल नवंबर तक 67 लोगों की जान चली गई है। यह आंकड़े यूटी प्रशासन के अधिकारियों ने वीरवार को नई दिल्ली में आयोजित सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिग में रखे। यह मीटिग रि. जस्टिस केएस राधाकृष्णन की चेयरमैनशिप में हुई। मीटिग में बताया गया कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सड़क सुरक्षा मानकों पर यूटी प्रशासन काम कर रहा है। पिछले एक साल में सड़कों पर मौत के मामलों में 21 फीसद कमी आई है। इन कारणों से आई कमी
मीटिग में चीफ इंजीनियर मुकेश आनंद ने बताया कि नॉन मोटर्राइज्ड व्हीकल यानी साइकिल के लिए 200 किलोमीटर ट्रैक बनाए गए हैं। जो देश में सबसे अधिक हैं। साइकिलिस्ट की सुरक्षा के लिए ट्रैक पर पेलिकन लाइट्स और रोड सेफ्टी सिबल इंस्टाल किए गए हैं। नॉन मोटर्राइज्ड व्हीकल पर मौत भी 12 से कम होकर पांच रह गई है। रोड सेफ्टी बुक की गई तैयार
ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी एके सिगला ने बताया कि चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन, रिसर्च एंड ट्रेनिग (एससीईआरटी) के साथ मिलकर रोड सेफ्टी बुक्स तैयार की हैं। जो प्राइमरी, मिडल और सीनियर सेकेंडरी लेवल पर बच्चों को पढ़ाई जा रही हैं। इससे भी जागरूकता बढ़ी है और हादसों में कमी आई है। सड़क हादसों में मौत को कम करने का लक्ष्य और जितनी कम की
साल सालाना लक्ष्य हासिल किया
2016 -- 151
2017 125 107
2018 99 98
2019 85 67 नवंबर तक
2020 75 --