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अाप में कलह: भगवंत मान को घुड़की के लिए सब‍क सिखाने की तैयारी में खैहरा

पंजाब आप में कलह थमने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। राज्‍य में जिला परिषद और पंचायत चुनाव में भगवंत मान को बागी नेता सुखपाल सिंह खैहरा सबक सिखाने के मूड में हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 12:13 PM (IST)
अाप में कलह: भगवंत मान को घुड़की के लिए सब‍क सिखाने की तैयारी में खैहरा
अाप में कलह: भगवंत मान को घुड़की के लिए सब‍क सिखाने की तैयारी में खैहरा

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब में आम आदमी पार्टी के बीच कलह के बीच अब सांसद भगवंत मान और बागी नेता सुखपाल सिंह खैहरा में खींचतान लगतार बढ़ रही है। भगवंत मान द्वारा घुड़की देने के बाद खैहरा अब इसके लिए आप सांसद को सबक सिखाने की तैयारी में हैं। ऐसा वह जिला परिषद और पंचायत चुनाव में अंदरखाते करेंगे। वैसे वोटबैंक पर पहले ही लग चुके झाड़ू के बाद भी जिला परिषद (जिप) व पंचायतों के चुनाव लड़ने के आप के फैसले का उसके लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन पर भी असर पड़ना तय है।

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अाप जिला परिषद व पंचायत चुनाव में हारी तो आगामी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा असर

लगभग हर जिले में बिखर चुके आप का बड़ा वोट बैंक अब बागी गुट सुखपाल सिंह खैहरा के साथ खड़ा है। यही वजह है कि सांसद भगवंत मान बार-बार खैहरा को मुख्यधारा में शामिल होने की घुड़की देकर अपनी कमजोरी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।तीन विधानसभा चुनाव लड़ चुके खैहरा पंजाब की सियासत में मान से ज्यादा अनुभवी हैं। इसीलिए अभी वे चुपचाप अपने गुट को मजबूत करने में लगे हैं। उन्हें पता है कि जिप व पंचायत चुनाव अगर मान गुट हारता है तो लोकसभा चुनाव में उनका गुट ज्यादा मजबूत स्थिति में होगा।

बेअदबी मामले के सहारे चुनावी नैया पार करने में जुटे मान

विधानसभा चुनाव में 90 सीटें जीतकर सत्ता में आने का सपना देखने वाली आप को गलत व कट्टरपंथी नीतियों के चलते 20 सीटों से संतोष करना पड़ा था। इसके बाद से पार्टी में पंजाब के नेता लगातार खुद मुख्तियारी (अपने फैसले खुद लेने का अधिकार) की मांग कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष पद से असंवैधानिक तरीके हटाए जाने के बाद खैहरा ने आठ विधायकों के साथ पार्टी में खुद मुख्तियारी की मांग करके बगावत कर रखी है। पार्टी के 12 विधायक मान व दिल्ली टीम के साथ हैं। ऐसे हालात में आप पंचायतों व जिला परिषदों के चुनाव लड़ पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।

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आप के सूत्र बताते हैं कि बार-बार खैहरा को घुड़की दे रहे मान को जनता की अदालत में सबक सिखाने के लिए खैहरा गुट ने अंदरखाते यह फैसला किया है कि मान अपने उम्मीदवार खड़ा करें। चुनाव हारने पर उसका ठीकरा उनके ऊपर फोड़कर पंजाब में पार्टी की दिल्ली की दखलंदाजी हमेशा के लिए बंद कर दी जाए। फिलहाल इस सियासी कूटनीति का जो भी परिणाम निकले लेकिन मान को उम्मीद है कि बेअदबी की घटनाओं को लेकर अकालियों के खिलाफ बन रहे माहौल का लाभ आप को मिलेगा।

शायद मान भूल गए हैं कि बेअदबी की घटनाओं को लेकर अभी तक कार्रवाई की मांग को लेकर खैहरा ने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। खैहरा समर्थक मान गुट को तगड़ा झटका भी दे सकते हैैं। अगर पार्टी एक बार फिर चुनाव हारती है तो मान का पार्टी में ग्राफ गिरना तय है।

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खैहरा को मुख्यधारा में शामिल होने का मौका दे रहे : मान

भगवंत मान का कहना है कि पार्टी बार-बार सुखपाल खैहरा को मुख्यधारा में शामिल होने का मौका दे रही है। हर पार्टी की एक विचारधारा होती है। आप में पूरी पारदर्शिता है। रविवार की बैठक में सभी ने तय किया कि जिला परिषदों व पंचायतों के चुनाव पार्टी लड़ेगी।

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विचारों की लड़ाई जारी रहेगी : खैहरा

सुखपाल खैहरा का कहना है कि कुछ भी हो जाए विचारों की लड़ाई जारी रहेगी। हमने हमेशा पार्टी को सही राय दी है। इसके बाद भी दिल्ली टीम ने अपनी मनमर्जी करके पंजाब में पार्टी का बंटाधार कर दिया है। विधानसभा चुनाव के बाद अभी तक हुए सारे उपचुनावों पर नजर डालें तो स्थिति स्पष्ट है कि सत्ता में आते-आते रह गई आप का क्या हाल हो चुका है।

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फूलका नहीं कांग्रेसी विधायक दें इस्तीफा : कश्मीर सिंह

दूसरी ओर, आप के बुद्धिजीवी विंग के प्रधान कश्मीर सिंह सोहल ने कहा है कि पंजाब में हुई बेअदबी की घटनाओं में कार्रवाई को लेकर विधायक व एडवोकेट एचएस फूलका को इस्तीफा नहीं देना चाहिए। इस्तीफे तो कांग्रेस विधायकों को देने चाहिए। कांग्रेस विधायकों ने भी बेअदबी की घटनाओं को लेकर गठित रिटायर जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की थी, अब वे पीछे क्यों हट रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि फूलका ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 15 सितंबर तक प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को हिरासत में नहीं लिया गया तो वे विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे।

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