सुखना लेक डिसिल्टिंग मामले में हाई कोर्ट सख्त, अब रोजाना होगी सुनवाई
पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने सुखना लेक मामले में लिए गए अपने संज्ञान पर बुधवार को साफ कर दिया कि यह मामला महत्वपूर्ण है और इसे और नहीं लटकाया जा सकता।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने सुखना लेक मामले में लिए गए अपने संज्ञान पर बुधवार को साफ कर दिया कि यह मामला महत्वपूर्ण है और इसे और नहीं लटकाया जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा मामले पर अब रोजाना सुनवाई होगी ताकि जल्द निपटारा किया जा सके। जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की।
हाई कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2006 में चंडीगढ़ प्रशासन ने सुखना लेक को डी-सिल्ट कर इसकी गहराई बढ़ाते हुए इसकी कैपेसिटी बढ़ाए जाने की एक पूरी योजना बनाई थी। इसके लिए केंद्र सरकार को 73.51 करोड़ राशि जारी किए जाने का जो आग्रह किया था वह राशि पिछले 13 वर्षों से केंद्र सरकार ने जारी क्यों नहीं की है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि इस पूरे प्लान पर केंद्र सरकार ने मार्च 2009 में कुछ आपत्ति जताई थी। चंडीगढ़ प्रशासन को और जानकारी दिए जाने को कहा था। इसका जवाब आज तक चंडीगढ़ प्रशासन ने नहीं दिया है।
वीरवार तक केंद्र और यूटी प्रशासन को देना होगा जवाब
केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि केंद्र ने 30 मार्च, 2009 में चंडीगढ़ प्रशासन से कहा था कि इस प्लान के साथ कोई ड्राइंग नहीं भेजी गई है और यह भी नहीं बताया गया है कि यह काम कैसे होगा। पहले इसके बारे में पूरी जानकारी दी जाए। इसका जवाब चंडीगढ़ प्रशासन ने पिछले 11 वर्षों से नहीं दिया है। हाई कोर्ट ने इस पर वीरवार को इस पर चंडीगढ़ प्रशासन सहित केंद्र सरकार को जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए हैं।
कैचमेंट एरिया में निर्माण पर रोक को आधार बनाकर होगी सुनवाई
जस्टिस राजीव शर्मा ने कहा कि इस केस में हाईकोर्ट ने जबसे मामले का संज्ञान लिया, तब से लेकर अब तक के सभी आदेशों पर बुधवार को गौर किया गया। उन्होंने कहा कि मार्च 2011 में हाईकोर्ट ने जब कैचमेंट एरिया में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाई थी। उस आदेश को अब आधार बना इस मामले की आगे सुनवाई की जाएगी । हरियाणा सरकार से भी जवाब तलब इसके साथ ही हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि मनसा देवी काम्प्लेक्स या सेक्टर-1 का कुछ हिस्सा जो कैचमेंट एरिया में आता है वहां किसी किस्म का निर्माण कार्य हुआ है या नहीं, इस पर अदालत को जानकारी दी जाए।