सुखबीर ने फर्जी एनकाउंटर मामले में सजा माफी पर खोला मोर्चा, कहा-राज्यपाल फैसला वापस लें
शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने 1993 के फर्जी मुठभेड़ के दोषियों की सजा माफ किए जाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने राज्यपाल से यह फैसला वापस लेने की मांग की है।
चंडीगढ़, जेएनएन। मालेरकोटला (संगरूर) के हरजीत सिंह के फर्जी एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश व पंजाब के चार पुलिसकर्मियों की उम्र कैद की सजा माफ करने का मामला तूल पकड़ गया है। इस मामले पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने माेर्चा खोल दिया है। वर्ष 1993 में हुए इस एनकाउंटर के मामले में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने राज्यपाल को अपना फैसला वापस लेने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। शिरोमणि अकाली दल का एक शिष्टमंडल राज्यपाल से भी मिला।
सुखबीर बादल ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में कैप्टन सरकार ने राज्यपाल से तथ्यों को छुपाया। इस वजह से राज्यपाल को उम्र कैद की सजा माफ करने के आदेश देने पड़े। राज्यपाल ने केंद्र सरकार के कमेंट्स लेने के लिए कहा था, लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फाइल पर यह कह कर साइन कर दिए कि केंद्र सरकार के कमेंट्स आते रहेंगे उम्र कैद की सजा भुगत रहे कैदियों को छोड़ दिया जाए।
सुखबीर ने कहा कि मृतक के पिता महिंदर सिंह ने उम्र कैद की सजा को बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की है। दो दिन पहले ही इस याचिका पर सुनवाई हुई थी और इधर पंजाब सरकार ने दोषी पुलिस मुलाजिमों को जेल से रिहा भी कर दिया।
पीडि़त परिवार को मिले एक करोड़ रुपये का मुआवजा
सुखबीर बादल ने पीडि़त परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि मृतक के पिता महिंदर सिंह रोडवेज में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इंसाफ पाने के लिए लगा दी।
छलक उठी बहन की आंख
सुखबीर बादल जब हरजीत सिंह के बारे में बोल रहे थेे, उनके साथ खड़ी हरजीत कौर की आंखें भर आईं। सुखबीर ने कहा पिता महिंदर सिंह आज अपनी बेटी के पास रहते हैं और उनकी बेटी हरजीत कौर मजदूरी करती है। हरजीत घर का इकलौता बेटा था, जिसका पुरस्कार और सम्मान पाने के के लिए फर्जी एनकाउंटर कर दिया गया। हरजीत कौर के सामने से ही पुलिस हरजीत को लेकर गई थी। इस बातों को याद कर हरजीत के आंखें भर आईं और वह अपनी आंखें पोंछती रही।
यह है मामला
1993 में 22 वर्षीय हरजीत सिंह को पुलिस ने घर से उठाया था। बाद में उत्तर प्रदेश में हरजीत सिंह का फर्जी एनकाउंटर कर दिया। इस मामले में सीबीआइ जांच हुई। 2014 में सीबीआई कोर्ट ने चार पुलिस मुलाजिमों को उम्र कैद की सजा सुनाई। इन पुलिस मुलाजिमों ने महज दो साल सजा काटी। पिछले माह राज्यपाल इन पुलिस मुलाजिमों की सजा माफ कर दी थी।
इनकी सजा हुई थी माफ
1. बृज लाल वर्मा पुत्र बालादीन (गांव सुहाजना, थाना चकारी महोबा, यूपी)
2. ओंकार सिंह पुत्र माधो सिंह (गांव फतरहपुर, मोहनलालगंज, अमेठी)
3. रवींद्र कुमार पुत्र मोर ध्वज (गांप पपणाओ, चिनहट, जिला लखनऊ)
4. हरिंदर सिंह पुत्र गुरचरण सिंह (गांव माछी जोआ, सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला, पंजाब)।