चंडीगढ़ के कोचिंग सेंटरों में स्टूडेंट्स नहीं है सुरक्षित, पढ़िए दैनिक जागरण का रियलिटी चेक
सूरत के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 20 छात्रों की मौत के बाद चंडीगढ़ के सेंटरों में आने वाले स्टूडेंट्स की सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं।
डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़। सूरत के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 20 छात्रों की मौत के बाद चंडीगढ़ के सेंटरों में आने वाले स्टूडेंट्स की सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं। बीते कुछ सालों में चंडीगढ़ भी बड़ा कोचिंग हब बन चुका है। शहर में 500 से अधिक कोचिंग सेंटरों पर करीब एक लाख स्टूडेंट्स स्कूल लेवल, सीबीएसई, जेईई, नीट, सिविल सर्विसेज, यूजीसी नेट, बैंकिंग और आइलेट्स की कोचिंग ले रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि चंडीगढ़ जैसी प्लांड सिटी में भी कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। अधिकतर सेंटरों में छोटे-छोटे कैबिन में जरूरत से अधिक बच्चों को बैठाकर कोचिंग दी जा रही है। ऐसे में कभी भी आग लगने जैसी घटना होने पर सूरत जैसा हादसा हो सकता है। सुरक्षित निकलने की जगह भी नहीं है।
दैनिक जागरण ने शनिवार को शहर के कई सेक्टरों में चल रहे कोचिंग सेंटरों में सेफ्टी को लेकर रियलिटी चेक किया, जिसमें कई तरह की खामिया नजर आई। पेश है खास रिपोर्ट ..
इन सेक्टरों में कोचिंग सेंटरो की भरमार
अधिकतर कोचिंग सेंटर सेक्टर-17, 34, 35, 36, 37, 46, 20, 21, 24, 25 में हैं। कोचिंग सेंटर अधिकतर एसएसओ (शॉप कम ऑफिस) में ऊपरी मंजिलों पर हैं। इन कोचिंग सेंटरों में आग जैसी घटना होने पर बड़ा नुकसान हो सकता है। जिसका मुख्य कारण आने-जाने के लिए सिर्फ एक ही एंट्री प्वाइंट हैं। ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए भी एक ही रास्ता है। आग लगने पर एक साथ सभी स्टूडेंट्स का सुरक्षित निकल पाना मुमकिन नहीं है। ऐसे में इन कोचिंग सेंटरो में बच्चे किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं हैं।
करोड़ों की कमाई लेकिन सुरक्षा इंतजाम नाकाफी
बेहतर कोचिंग और सुरक्षा को देखते हुए हर साल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल से हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए चंडीगढ़ में आते हैं। दिल्ली, कोटा के मुकाबले स्टूडेंट्स चंडीगढ़ को तवज्जो देने लगे हैं। बीते कुछ सालों से जेईई, मेडिकल, सिविल सर्विसेज में बेहतर रिजल्ट के कारण भी शहर में को¨चग का कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है। मोटी फीस के बावजूद कोचिंग सेंटर स्टूडेंट्स की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से अनदेखी कर रहे हैं। आइआइटी को¨चग की 1 से 1.50 लाख तक स्टूडेंट्स फीस दे रहे हैं। कोचिंग सेंटरों में एक बैच में 80 से 150 तक स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा है। कई कोचिंग सेंटर में लिफ्ट तक का इंतजाम नहीं है।
सेक्टर-46 का ये हाल, सीढि़यों में ही अतिक्रमण
सेक्टर-46 मार्केट में कई कोचिंग सेंटर हैं। यहां पर स्कूल से लेकर अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज की कोचिंग दी जा रही है। दैनिक जागरण की टीम जब पहुंची, तो कोचिंग सेंटरों में एंट्री प्वाइंट पर ही दूसरे दुकानदारों द्वारा अवैध तौर पर सामान बरामदों में ही डाला हुआ था। लेकिन ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है। बच्चों ने भी माना कि किसी अप्रिय घटना होने पर बचने में मुश्किल हो सकती है। सेक्टर-34 का ये हाल, सुरक्षा उपकरणों पर लगा जंग सेक्टर-34 में शहर के सबसे अधिक कोचिंग सेंटर हैं। यहां पर देशभर के नामी कोचिंग सेंटर हैं। लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी दिखे। सैकड़ों की संख्या में हर रोज यहां बच्चे कोचिंग के लिए आते हैं। दैनिक जागरण की टीम ने पाया कि यहां के कोचिंग सेंटरों में आग लगने पर अपने स्तर पर सुरक्षा के कोई खास उपाय नहीं है। महीनों से आग लगने पर पानी की सप्लाई का सिस्टम ही खराब पड़ा था, बताया गया कि प्रेशर की मोटर की काम नहीं कर रही। पानी का प्रेशर इतना भी नहीं कि दूसरी मंजिल तक आग लगने पर उसपर काबू पाया जा सके। इन कोचिंग सेंटरों में भी स्टूडेंट्स के निकलने के लिए सिर्फ काफी तंग सीढि़यां हैं। सेक्टर-20 और सेक्टर-21 में बने कोचिंग सेंटरों में भी सुरक्षा को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं दिखे।
घटना के बाद ही जागता है प्रशासन
कोचिंग सेंटरों की लापरवाही को लेकर हमेशा ही प्रशासन आंखें बंद रखता है। कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस जारी कर दिए जाते हैं। अभी तक किसी भी बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। सूरत की घटना के बाद पेरेंट्स भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं। शनिवार को भी कई कोचिंग सेंटरों पर अभिभावक सूरत की घटना के बाद खुद बच्चों के साथ उनकी सुरक्षा के इंतजामों को देखने के लिए पहुंचे हुए थे।
कोचिंग सेंटरो के साथ होगी बैठक
प्रशासन के उच्च अधिकारी ने बताया कि प्रशासन जल्द ही इस्टेट ऑफिस के माध्यम से सभी को¨चग सेंटरों को लेटर जारी करेगा, जिसमें नए सिरे से सभी को सुरक्षा को लेकर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। अगले हफ्ते मी¨टग हो सकती है। बिल्डिंग वॉयलेशन को लेकर रूटीन में एस्टेट ऑफिस की ओर से नोटिस भेजे जाते हैं। एसडीएम कोर्ट में इन मामलों की सुनवाई होती है। जिसके बाद एस्टेट ऑफिस बिल्डिंग वॉयलेशंस पर कार्रवाई करता है। बीते चार से पांच महीनों में शहर के कई नामी कोचिंग इंस्टीट्यूट को नोटिस भेजे गए हैं। यहां तक की वॉयलेशंस करने पर कार्रवाई की गई है।
सूरत में जो घटना हुई है, उसे ध्यान में रखते हुए यूटी प्रशासन जल्द ही शहर के सभी कमर्शियल बिल्डिंग में फायर सेफ्टी और बिल्डिंग वॉयलेशंस को लेकर सर्वे करवाएगा।
-मनीष लोहान, असिस्टेंट एस्टेट ऑफिसर, यूटी।
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