छात्र संघ चुनावः छात्र संगठनों ने पीयू कैंपस में पुलिस दखलंदाजी पर जताई नाराजगी
पीयू में छात्र संघ चुनाव के बीच छात्र संगठनों ने छात्रों से जुड़े मुद्दे उठते हुए कैंपस में पुलिस वाहन और जवानों की एंट्री की सीधे तौर पर मुखालफत की है।
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़। पीयू में छात्र संघ चुनाव के बीच छात्र संगठनों ने छात्रों से जुड़े मुद्दे उठते हुए कैंपस में पुलिस वाहन और जवानों की एंट्री की सीधे तौर पर मुखालफत की है। सभी ने दो टूक कहा है कि वे कैंपस में पुलिस की दखलंदाजी के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि चुनाव बाद भी पुलिस कैंपस में वाहन चेकिंग, हॉस्टल में छापे सहित अन्य तरीकों से छात्रों को परेशान करती है। शनिवार को सभी छात्र संगठनों के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों ने छात्रों से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।
छात्र नेताओं ने पिछले साल कैंपस में हुई पत्थरबाजी की घटना के लिए एसएफएस को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि 68 छात्रनेताओं पर दर्ज केस वापस लेने की मांग अब भी लंबित है। छात्र नेताओं ने पत्थरबाजी की घटना ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने, बजट के अभाव, एबीवीपी व वाम विचारधारा वाले संगठनों की आपसी कटुता, हरियाणा के कॉलेजों को पीयू से जोड़ने संबंधी मामलों पर चर्चा की।
इनके अलावा उन्होंने कैंपस में आउटसाइडर्स की एंट्री, वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी, एग्जाम प्रणाली की खामियों, स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल में रूम की कमी और लड़कियों के लिए हॉस्टल में 24 घंटे एंट्री के मामलों को भी ज्वलंत मुद्दा बताया। बॉक्स एसएफएस की राय- नहीं चाहिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी : पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की मांग लगातार उठ रही है, लेकिन इसके उलट एसएफएस की कैंडिडेट कनुप्रिया ने कहा कि पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने की जरूरत नहीं है। देश के सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी बजट के अभाव की दिक्कत से जूझ रहे हैं।
पीयू में वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से बैन लगनी चाहिए। कनुप्रिया ने पिछले साल हुई पत्थरबाजी की घटना के मामले में कहा कि उस वक्त किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया। कहा कि पुलिस और प्रशासन का डंडा स्टूडेंट्स पर नहीं चलना चाहिए।
डिस्कशन में पुसू के रवींद्र वीर सिंह ने एसएफएस पर निशाना साधा। कहा कि जो लोग मानते हैं कि उन्होंने बढ़ी फीस कम करवाई है, तो उन्हें पत्थरबाजी की घटना की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। जहां तक आरक्षण की बात है तो इसको रिव्यू करने की जरूरत है। यूनिवर्सिटी फंडिंग का प्रबंध करे। कैंपस में पुलिस नहीं होनी चाहिए। वहीं हॉस्टल में रूम अलॉटमेंट को पारदर्शी होनी चाहिए।
रिजर्वेशन को लेकर एबीवीपी के कैंडिडेट आशीष राणा ने कहा कि आरक्षण को रिव्यू करने की जरूरत है। सबको बराबरी मिले, इसीलिए इसको शुरू किया गया था। अब इतना समय हो गया तो इस फैसले को रिव्यू करने की जरुरत है। जहां तक हरियाणा के कॉलेजों को पीयू से जोड़ने की बात है इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। पीयू किसी की जागीर नहीं है। बदले में कुछ फंडिंग होती है तो क्या दिक्कत है। इसमें पीयू का फायदा है। कैंपस में पुलिस का कोई काम नहीं है, लेकिन कई बार ¨हसा रोकने के लिए जरूरी है।
सोई के इकबाल प्रीत ने कहा कि पीयू में वाहनों के प्रवेश पर बैन होना चाहिए। इसके लिए पीयू को पुख्ता प्लानिंग करनी चाहिए। टीचर्स के वाहन भी पूरी तरह से बैन हों। कैंपस में पुलिस की एंट्री पर भी रोक लगनी चाहिए। किसी भी तरह का पुलिस का हस्तक्षेप कैंपस में न हो।
पीएसयू ललकार पीएसयू ललकार के प्रेसीडेंट कैंडिडेट अमनदीप ने एसएफएस के सुर में सुर मिलाया है। उनका कहना है कि पीयू लगातार बजट के अभाव को झेल रही है। पीयू को फंडिंग होनी चाहिए, चाहे कैसे भी हो। अगर हरियाणा के कॉलेज पीयू से जुड़ते हैं तो पैसा भी आएगा।
एनएसयूआइ के कैंडिडेट अनुज सिंह ने कहा कि आरक्षण को आर्थिक आधार पर ही रखा जाना चाहिए, न कि जातिगत। कहा कि फीस बढ़ोतरी को लेकर पिछले साल हुई पत्थरबाजी की घटना के लिए एसएफएस के कुछ सीनियर नेता जिम्मेदार हैं। उन्होंने ही पूरे मामले को लीड किया था। कहा कि अगर उचित बजट मिले तो पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए।