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स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी को परखने लिए होगा सर्वे

लोगों ने मकानों में किस तरह से बदलाव किए हैं जो अतिरिक्त निर्माण किया है वह सुरक्षित है या नहीं। इसको परखने के लिए पंजाब इंजीनिय¨रग कॉलेज (पेक) को कंसल्टेंट नियुक्त किया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 04:53 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 04:53 PM (IST)
स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी को परखने लिए होगा सर्वे
स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी को परखने लिए होगा सर्वे

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : लोगों ने मकानों में किस तरह से बदलाव किए हैं जो अतिरिक्त निर्माण किया है वह सुरक्षित है या नहीं। इसको परखने के लिए पंजाब इंजीनिय¨रग कॉलेज (पेक) को कंसल्टेंट नियुक्त किया जा चुका है। पेक दो महीने में यह सर्वे पूरा कर बोर्ड को रिपोर्ट सौंप देगा। 'हमारी सुनो सरकार' अभियान के तहत आयोजित ऑल पार्टी मीटिंग में पहुंचे चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के डायरेक्टर तरसेम गर्ग ने यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि यह सर्वे स्टेबिलिटी जांच कर मकान तोड़ने के लिए नहीं है, बल्कि इसलिए है कि जिन मकानों का स्ट्रक्चर कमजोर है उन्हें मजबूत किस तरह से किया जाए। तरसेम गर्ग ने दावा किया कि जब तक यह पूरी प्रक्रिया नहीं हो जाती किसी मकान को एक इंच भी तोड़ा नहीं जाएगा। तरसेम गर्ग ने बताया कि बड़ी योजना को ध्यान में रख यह सर्वे कराया जा रहा है। तरसेम गर्ग ने स्पष्ट किया कि वह 100 प्रतिशत कवर एरिया को मंजूरी देने के हक में नहीं है। यह एक सीमा तक ही होना चाहिए। बोर्ड इस मामले में तीन प्वाइंट पर काम कर रहा है। एक तो स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी दूसरा मकान में लाइट एंड वेंटिलेशन की स्थिति क्या है। अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन के बाद रोशनी भी आ पाती है या नहीं। प्रति एकड़ पर कितना बोझ डाला जा सकता है। सीवरेज, स्टॉर्म और वॉटर सप्लाई लाइन का ध्यान रखा जा रहा है।

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एक बार पॉलिसी बना दे, बार-बार बदलाव नहीं होने चाहिए

फेडरेशन के सदस्य एवं सेक्टर-39 रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अमनदीप सिंह ने ऑल पार्टी मीटिंग में कहा कि बोर्ड एक बार जो पॉलिसी बना दे उसमें बार-बार बदलाव नहीं होने चाहिए। बार-बार पॉलिसी बदलने से लोगों को परेशानी होती है। सीएचबी में यह दिक्कत लंबे समय से है। बोर्ड के चेयरमैन और अधिकारी बदलते रहते हैं। पुराने अधिकारी जो चीजें फाइनल करते हैं नए अधिकारी आकर उन्हें बदल देते हैं। यह कई बार हो चुका है। अमनदीप सिंह की इस बात पर संजय टंडन ने सहमति जताई। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही है। वह इसका परमानेंट सॉल्यूशन कराने की कोशिश करेंगे।

चंडीगढ़ के सभी राजनीतिक दल एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं। स्टेटसमैन की तरह वह हजारों लोगों के हक में एक मंच पर आए हैं। जो कॉमन एजेंडा फाइनल हुआ है। उसे मंजूरी कराने के लिए ऑल पार्टी कमेटी ही बोर्ड के सामने रखेगी।

प्रो. निर्मल दत्त, चेयरमैन, सीएचबी हाउसिंग रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन, चंडीगढ़। सीएचबी मकान मालिकों की यह सालों पुरानी मांगे हैं। वह लोगों को राहत दिलाने के पक्ष में हैं। इसके लिए पार्टी लाइन को छोड़ सत्तासीन भाजपा के साथ कंधे से कंधा लगाकर साथ चलने को तैयार हैं। जो कॉमन एजेंडा फाइनल हुआ है उसे जल्द से जल्द मंजूरी मिले इसके लिए अपने स्तर पर भी प्रयास करेंगे।

सुभाष चावला, पूर्व मेयर वरिष्ठ कांग्रेस नेता। वह बोर्ड में लोगों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। अगले दो महीनों में कई चीजें फाइनल कर हो जाएंगी। ट्रांसफर फीस को कम कराकर 1 लाख रुपये तक लाने का प्रयास हो रहा है। प्लाट एरिया के अंदर स्टोरी लाइन के तहत नीड बेस्ड चेंज को मंजूरी मिलने पर काम चल रहा है।

प्रेम कौशिक, डायरेक्टर, सीएचबी। इस मामले में पार्टी अध्यक्ष जो फैसला लेंगे वह उसके साथ हैं। वह चाहती हैं कि लोगों को राहत मिले। मीटिंग में जो कॉमन एजेंडा फाइनल होगा उस पर जल्द मंजूरी मिलनी चाहिए।

राज बाला मलिक, पूर्व मेयर, काउंसलर, चंडीगढ़। लोगों ने मजबूरी में मकानों में अतिरिक्त निर्माण किया है। नीड बेस्ड चेंज उनकी जरूरत है। सालों से यह मामला लंबित हो। बोर्ड को वन टाइम सेटलमेंट के जरिए लोगों को राहत देनी चाहिए। कॉमन एजेंडे पर उनकी सहमति है।

शीला फूल सिंह, काउंसलर, चंडीगढ़।


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