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इस खिलाड़ी ने अपने खेल से जीता अर्जुन अवॉर्ड, फिर 'नशे के खेल' से देश को दिया 'उड़ता पंजाब'

जगदीश भोला की कहानी एक चैंपियन से गुनहगार बनने की है। अपने खेल से युवाओं का रोल माडल रहा अर्जुन अवार्डी यह पहलवान अर्श से फर्श पर आ गया। डीएसपी पद गया व अब जेल में सजा काटेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 12:10 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 10:10 AM (IST)
इस खिलाड़ी ने अपने खेल से जीता अर्जुन अवॉर्ड, फिर 'नशे के खेल' से देश को दिया 'उड़ता पंजाब'
इस खिलाड़ी ने अपने खेल से जीता अर्जुन अवॉर्ड, फिर 'नशे के खेल' से देश को दिया 'उड़ता पंजाब'

चंडीगढ़/बठिंडा, [रो‍हित कुमार/साहिल गर्ग]। छह हजार करोड़ रुपये के ड्रग तस्‍करी में अदालत द्वारा दोषी करार और कैद की सजा पाने वाले जगदीश भोला की कहानी एक चैंपियन रेसलर के गुनाहगार बनने की है। अभी अपने खेल और सरलता के कारण युवाओं के रोल माडल रहे अर्जुन अवार्डी जगदीश भोला 'उड़ता पंजाब' का कलंक देनेवालों में शामिल होकर अर्श से फर्श पर आ गया। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जगदीश भोला की पहुंच नशे के काला कारोबार के माध्‍यम से कुख्‍यात दाऊद इब्राहिम तक हो गई थी। उसकी पहुंच दाऊद के करीबी अबु सलेम और दाैसा तक थी।

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कुश्‍ती का चैंपियन खिलाड़ी व कॉमनवेल्‍थ खेलों में गोल्‍ड मेडल जीतने वाला जगदीश भोला बन गया ड्रग तस्‍कर

भोला को छह हजार करोड़ के ड्रग्स रैकेट मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को सजा सुनाई तो उसकी पुरानी कहानी फिर उभर आई। पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी व अर्जुन अवॉर्डी रेसलर भोला बठिंडा के गांव राएके कलां का रहनेवाला है। भोला को सजा सुनाए जाने के बाद कभी उसके शानदार खेल के कारण चर्चाओं में रहनेवाला यह गांव फिर सुर्खियों में आ गया। बठिंडा जिले की पश्चिमी दिशा में यह आखिरी गांव है।

 

 गांव के लोग हैरान हैें कि नशे के खिलाफ जागरूक करने वाला रेसलिंग चैंपियन कैसे बन गया ड्रग्स तस्कर

बुधवार को यहां दिन भर जगदीश भोला की चर्चा होती रही। गांव वालों ने बताया कि बचपन में जगदीश सिंह बहुत भोला था। इसी वजह से उसका नाम भोला पड़ गया, लेकिन पता नहीं कैसे वह ड्रग्स तस्करी में पड़ गया और उसका नाम इस रैकेट से जुड़ गया। गांव के बुजुर्ग प्रीतम सिंह ने बताया कि बहुत समय पहले वह गांव में हुए टूर्नामेंट में गए थे। भोला भी वहां आता था। वह क्लब के नौजवानों को नशों से दूर रहने के लिए प्रेरित करता था। वह हैरान हैं कि भोला कैसे इस जाल में फंस गया।

जगदीश भोला का गांव राएके कलां और उसको सजा दिए जाने के बाद चर्चा करते ग्रामीण।

भोलेपन के कारण नाम पड़ा था भोला, रेससिंग के चलते मिला अर्जुन अवॉर्ड

गांव वासियों ने बताया कि डीएसपी बनने के बाद भी उसका स्वभाव बहुत बढिय़ा था। उसने समय-समय पर गांव के स्पोट्र्स क्लब की आर्थिक मदद की और युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित किया। गांव के मनजीत सिंह ने बताया कि दो बहनों का इकलौता भाई जगदीश का नाम भोलेपन के कारण ही भोला पड़ा था। इसी कारण वह जगदीश सिंह से जगदीश भाेला बन गया था।

ननिहाल में सीखे थे पहलवानी के गुर
जगदीश भोला की शुरुआती पढ़ाई अपने ननिहाल गांव चाओके (बठिंडा) में हुई। उसने दसवीं अपने गांव राएके कलां से की। उसने पहलवानी के गुर अपने ननिहाल में सीखे। इसी खेल ने उसे अर्जुन अवॉर्ड दिलाया। जब वह कुश्ती करता था तो लोगों को हैरान कर देता था। भोला के खिलाफ सबसे पहले कैप्टन की पहली कांग्रेस सरकार के समय रामपुरा फूल में चूरा पोस्त तस्करी के एक दिन में दो मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से भोला बरी हो गया था। इसके बाद भी उसका नाम कई बार तस्करी से जुड़ा।

मुंबई के तस्करों से जुड़े तार

मुंबई में हेरोइन समेत पकड़े जाने के बाद गांव राएके कलां सुर्खियों में रहा। उस समय मुंबई पुलिस ने भी गांव में छापा मारा था।  2008 में मुंबई पुलिस ने भोला को हेरोइन समेत गिरफ्तार किया। बाद में वह रिहा हो गया। साल 2015 में उसे सिंथेटिक नशे की तस्करी के आरोप में बॉक्सर राम सिंह के साथ गिरफ्तार किया गया था।



पिता बोले- मेरे बेटे को साजिश के तहत फंसाया गया, हाईकोर्ट जाएंगे

भोला के बुजुर्ग पिता रशविंदर सिंह व माता अब भी गांव में रह रहे हैं, जबकि उसकी पत्नी व बच्चे कनाडा में रहते हैं। भोला के परिवार के सदस्‍य कई बार कह चुके हैं कि उसे एक साजिश के तहत फंसाया गया है। पिता रशविंदर  का कहना है कि सजा के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील दायर करेंगे।

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने पर कमाया था नाम
जगदीश भोला बचपन से पहलवानी करता था। उसने 1991 में एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उसने कॉमनवेल्थ खेलों में स्‍वर्ण पदक जीता। वह अपने खेल की बदौलत पंजाब पुलिस में भर्ती हो गया। भोला जल्दी ही डीएसपी के पद पर पहुंच गया। साल 1998 में उसको अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

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दाऊद के करीबी अबू सलेम व दौसा के साथ थी दोस्ती

ड्रग्स तस्करी में पहली बार गिरफ्तार होने से पहले जगदीश भोला तमिलनाडु से अपना नेटवर्क चलाता था। मुंबई के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने वर्ष 2008 के दौरान जगदीश भोला को 25 किलो आइस ड्रग के साथ काबू किया था। बताते हैं कि मुंबई की आर्थर रोड जेल में जगदीश भोला की दोस्ती दाऊद इब्राहिम के करीबी अबू सलेम व मुस्तफा दौसा से हुई। इसके बाद उसने सिंथेटिक ड्रग विदेश में पहुंचाना शुरू किया।

2 जुलाई 2014 को पटियाला जोन के आइजी पीएस गिल ने खुलासा किया था कि भोला हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, चेन्नई, मिजोरम से होते हुए सिंथेटिक ड्रग मलेशिया व यूरोप के कई देशों में सप्लाई करता था। इसी साल पुलिस ने भोला सहित करीब 34 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। 2015 के अंत में ईडी ने एनआरआइ अनूप सिंह काहलों और मनप्रीत सिंह उर्फ मनी गिल की करीब तीन करोड़ की संपत्ति अटैच की।

अप्रैल 2016 में जगदीश भोला को 25 किलो आइस ड्रग के मामले में सड़क के रास्ते मुंबई अदालत में पेश किया गया और करीब तीन माह तक वह मुंबई जेल में रहा। दिसंबर 2016 के दौरान केंद्र सरकार की एक नोटीफिकेशन के तहत ड्रग मामलों की सुनवाई सीबीआइ अदालत में शिफ्ट कर दी गई।


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