प्रशासन ने सब्जी- फल के रिटेल रेट तय करने बंद किए
प्रशासन की ओर से जो हर दिन सब्जी- फल के रिटेल रेट तय किए जाते थे वह अब बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में अब विक्रेता और वेंडर अपने मनमर्जी के रेट ही शहरवासियों से वसूल रहे हैं।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़
प्रशासन की ओर से जो हर दिन सब्जी- फल के रिटेल रेट तय किए जाते थे वह अब बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में अब विक्रेता और वेंडर अपने मनमर्जी के रेट ही शहरवासियों से वसूल रहे हैं। कोरोना की पहली लहर के दौरान शहरवासियों को राहत देने के लिए प्रशासन के आदेश पर मार्केट कमेटी की ओर से हर दिन रेट तय करके लिस्ट जारी की जाती थी। जो रेट तय किए जाते थे वह पूरे शहर में लागू होते थे। इस समय सब्जियों और फल के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। अब रेट लिस्ट न बनने के कारण शहरवासियों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहली बार रेट तय करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। जो रेट तय होते थे उनकी लिस्ट शहरवासियों के अलग अलग वाट्सएप ग्रुपों पर शेयर होती थी। इस समय मार्केट कमेटी में कोई निर्वाचित चेयरमैन और निदेशक भी नहीं है। मार्केट कमेटी के फिर से चुनाव भी नहीं करवाए गए हैं।
हर दिन सब्जी- फल के रिटेल में रेट तय करके लिस्ट तैयार करने की जिम्मेवारी मार्केट कमेटी सचिव की थी, लेकिन 31 दिसंबर को सचिव जरनैल सिंह रिटायर्ड हो गए हैं। उसके बाद से न तो कोई नया सचिव नियुक्त किया गया है और न ही इसका चार्ज किसी को दिया गया है। नए सचिव को लगाने की फाइल डीसी ऑफिस और मंडी बोर्ड के बीच घूम रही है। मार्केट कमेटी के अनुसार जब तक नया सचिव नियुक्त नहीं होगा तब तक फिर से रेट तय करने की प्रथा शुरू नहीं होगी। एक रेट तय न होने के कारण शहरवासियों से लूट जारी है। मंडी आम लोगों के लिए बंद
कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण प्रशासन की ओर से अब सेक्टर-26 की मंडी आम लोगों के लिए बंद कर दी गई है। ऐसे में अब सिर्फ विक्रेता और वेंडर ही होलसेल में सब्जी और फल खरीद सकते हैं। शहरवासी रिटेल में आकर खरीददारी नहीं कर सकते हैं। इस तरह से रिटेल में होते थे रेट तय
मार्केट कमेटी सेक्टर-26 मंडी में होलसेल रेट में आने वाली सब्जियों और फल पर 20 से 25 फीसद मार्जन अधिक तय करके रिटेल का रेट तय करती थी। मार्केट कमेटी होलसेल में होने वाले कारोबार का रिकार्ड रखता है, जिस पर दो फीसद फीस भी मार्केट कमेटी को कमाई के तौर पर मिलती है। हर दिन सरकारी तौर पर रेट तय होने से शहरवासियों को एक तो राहत मिल रही थी और दूसरा पूरे शहर में एक सब्जी का एक ही रेट होता था। लेकिन पिछले 20 दिन से अब कोई सरकारी रेट की लिस्ट नहीं आ रही है। प्रशासन को एक तो रिटेल में रेट तय करने का सिस्टम फिर से शुरू करना चाहिए और दूसरा यह भी प्रक्रिया तय होनी चाहिए कि अगर कोई तय रेट से ज्यादा वसूली करता है उस विक्रेता पर कार्रवाई की जाए।
- सुरेंद्र शर्मा, वाइस चेयरमैन, क्राफ्ड।