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खिलाड़ी जीतें पदक, सरकार पीटे लकीर -खिलाड़ी देख रहे हरियाणा की राह, पंजाब सरकार ने साधी चु

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 07:14 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 07:14 PM (IST)
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खिलाड़ी जीतें पदक, सरकार पीटे लकीर

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-खिलाड़ी देख रहे हरियाणा की राह, पंजाब सरकार ने साधी चुप्पी

::हाईलाइटर्स::

-56 एथलीटों ने हिस्सा लिया एशियन गेम्स में पंजाब से

-01 ही गोल्ड मेडल मिला व्यक्तिगत स्पद्र्धा में

-04 मेडल पंजाब के खिलाड़ियों ने जीते एशियन गेम्स में

-13 मेडल जीते हरियाणा ने। पंजाब के मुकाबले 9 ज्यादा

-12 गुना का अंतर है हरियाणा व पंजाब की ईनामी राशि में

-134 करोड़ रुपये है पंजाब का खेल बजट, जबकि हरियाणा का बजट 525 करोड़ है

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कॉमन इंट्रो

इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स तो खत्म हो गए, लेकिन इस खेल ने खिलाड़ियों के मन में जो दरार पैदा कर दी है, उसे भर पाना पंजाब सरकार के लिए आसान नहीं होगा। पदक जीतने के बावजूद खिलाड़ियों में गुस्सा है। सरकार भी इस बात को समझ रही है, लेकिन बेबसी की लकीर पीट खिलाड़ियों के साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है। खिलाड़ियों में गुस्से की वजह हरियाणा और पंजाब की खेल नीति है। गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी को हरियाणा सरकार ने 3 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है, जबकि पंजाब में यह राशि महज 26 लाख है। यह खेल नीति खिलाड़ियों में हीन भावना पैदा कर रही है।

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तूर सरकार की चुप्पी से हैरान, गुरजीत कौर गुस्से में, हरियाणा से खेले अरपिंदर

एशियन गेम्स में पंजाब के चार खिलाड़ियों ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। व्यक्तिगत स्पद्र्धा में केवल एक ही मेडल मोगा के तेजिंदर पाल सिंह तूर ने दिलाया। बाकी टीम इवेंट में रहे। तूर ईनाम को लेकर सरकार की चुप्पी से हैरान हैं। उन्होंने मीडिया के सामने अपना दर्द बयान किया। वहीं, महिला हॉकी टीम में एक मात्र पंजाब की खिलाड़ी रही गुरजीत कौर ने सीधा कहा है कि अगर सरकार ऐसे इग्नोर करेगी तो किसी और राज्य से खेलूंगी। गुरजीत कौर का दुख यह था कि सरकारी व खेल विभाग की तरफ से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया। वहीं, देश को ट्रिपल जंप में गोल्ड मेडल दिलाने वाले अमृतसर के अरपिंदर सिंह ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में पंजाब की तरफ से खेलते हुए देश को कास्य पदक दिलाया था। पंजाब सरकार से अपेक्षित सम्मान न मिलने पर एशियन गेम्स में वे हरियाणा से खेले। सफलता के बाद घर लौटने पर हाथ लगी मायूसी

महिला कबड्डी व हॉकी में सिल्वर मेडल लेने वाली देश की टीम में भी एक-एक खिलाड़ी पंजाब का था। पाकिस्तान को हराकर कांस्य पदक जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम में 8 खिलाड़ी पंजाब के थे। नौकायन में भगवान सिंह ने कांस्य पदक हासिल किया। इन खिलाड़ियों ने एशियन गेम्स में देश और पंजाब का नाम रोशन किया, लेकिन अपने राज्य में लौटकर इन्हें मायूसी ही हाथ लगी है। सरकार अभी तक ईनामी राशि की घोषणा नहीं कर पाई है। हरियाणा में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल पाने पर खिलाड़ी को 3 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि मिलती है। सिल्वर जीतने वाले को 1.5 करोड़ और कांस्य पदक जीतने वाले को 75 लाख। पंजाब में सोना जीतने वाले को 26 लाख, चांदी जीतने वाले 16 और कांस्य पदक विजेता को 11 लाख रुपये मिलते है। दोनों राज्यों में पुरस्कार राशि में इतने भारी अंतर के कारण खिलाड़ियों में मायूसी आ रही है। ईनामी राशि ही नहीं, नौकरी में भी हरियाणा आगे

हरियाणा सरकार ने खेलों को प्रमोट करने के लिए खिलाड़ियों को हरियाणा सिविल सर्विसेज व हरियाणा पुलिस सर्विसेज में भी नौकरी देने का प्रावधान किया है। सरकार ने पांच वर्ष की वरिष्ठता भी देने की घोषणा की है। हरियाणा सरकार ने इसे नीति ही बना दिया है। पंजाब में पुलिस को छोड़ दिया जाए तो किसी भी सेक्टर में खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिल रही। गोल्डन गर्ल मंजीत कौर को डीएसपी की नौकरी इसलिए गंवानी पड़ी, क्योंकि उनके पास डिग्री नहीं थी। हरियाणा का बजट पंजाब से चार गुना ज्यादा

हरियाणा व पंजाब में खेलों को किस नजर से देखा जाता है। इसका अंदाजा दोनों राज्यों को बजट को देख कर ही पता चल जाता है। पंजाब सरकार ने खेलों के लिए कुल 134 करोड़ रुपये का बजट रखा है, जबकि हरियाणा में यह बजट 525 करोड़ से अधिक का है। यह पंजाब से करीब चार गुना ज्यादा है। पंजाब में खेल का बजट कुल बजट का मात्र 0.10 फीसद है। बधाई केवल ट्विटर व फेसबुक पर

एक तरफ हरियाणा सरकार ने एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को आधिकारिक रूप से बधाई संदेश देने का फैसला किया है। वहीं, पंजाब सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को अभी तक केवल फेसबुक और ट्विटर पर ही बधाई दी गई है। खिलाड़ियों का दुख जायज

खिलाड़ियों का दुख अपनी जगह पर जायज है। एक खिलाड़ी अपने पूरे कैरियर में चार-पांच ही पदक जीत पाता है। कुछ खिलाड़ी को एक-दो तक ही सीमित रहते हैं। पदक के लिए खिलाड़ी अपना पूरा जीवन दांव पर लगा देता हैं। किसी को भी केवल पदक दिखाई देता है, लेकिन उस पदक के लिए खिलाड़ी ने कितना पसीना बहाया किसी को नहीं दिखता। इसमें कोई दोराय नहीं की जब खिलाड़ी को दिखेगा कि पड़ोसी राज्य में पुरस्कार राशि कई गुणा अधिक है तो उसे निराशा होगी। सरकार को खिलाड़ियों को इस निराशा से बाहर निकालना होगा। पॉलिसी आ रही है, बहुत सी शिकायतें दूर होंगी: परगट

खिलाड़ियों की चिंता अपनी जगह जायज है। पंजाब सरकार नई खेल पॉलिसी ला रही है। संभवत: पंचायत चुनाव के बाद नई पॉलिसी की घोषणा कर दी जाएगी। आप देखेंगे इसमें कई प्रकार के सुधार किए जाएंगे। हम खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि से लेकर उनके लिए आकर्षक नौकरी के भी प्रावधान करेंगे। आने वाली पॉलिसी कई खामियों को दूर कर देगी। बजट निश्चित रूप से एक पहलू है, लेकिन सरकार की नीयत नई पॉलिसी से स्पष्ट हो जाएगी।

-पद्मश्री परगट सिंह

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हरियाणा के मुकाबले इनामी राशि में बहुत पीछे

पंजाब

ओलंपिक

गोल्ड: 2.25 करोड़

सिल्वर: 1.1 करोड़

ब्रॉन्ज: 51 लाख कॉमनवेल्थ

गोल्ड: 16 लाख

सिल्वर: 11 लाख

ब्रॉन्ज: 6 लाख एशियन गेम्स

गोल्ड: 26 लाख

सिल्वर: 16 लाख

ब्रॉन्ज: 11 लाख

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हरियाणा

ओलंपिक

गोल्ड: 6 करोड़

सिल्वर: 4 करोड़

ब्रॉन्ज: 2.5 करोड़ कॉमनवेल्थ

गोल्ड:1.5 करोड़

सिल्वर: 75 लाख

ब्रॉन्ज: 50 लाख एशियन गेम्स

गोल्ड: 3 करोड़

सिल्वर: 1.5 करोड़

ब्रॉन्ज: 75 लाख

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-प्रस्तुति: कैलाश नाथ, चंडीगढ़


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