चंडीगढ़ में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स खुलने के बाद भी खेल कोराबार में मंदी, आइपीएल भी बेअसर
सेक्टर -20 स्थित साईं ट्रॉफी एंड स्पोर्ट्स के मालिक विपिन कुथरिया ने बताया कि बाजार में इनडोर गेम्स व कुछ स्पोर्ट्स के कपड़ों को छोड़ किसी भी सामान की मांग नहीं है। ऐसे में लूडो चैस व कैरम बोर्ड से कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है।
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। कोरोना महामारी के कारण चंडीगढ़ में स्पोर्ट्स कारोबार 70 से 80 फीसद तक लुढ़क गया है। प्रशासन ने स्पोर्ट्स कांप्लेक्स खोल दिए हैं, लेकिन इनमें अभी सीनियर खिलाड़ियों को ही इंट्री दी जा रही है। इसके अलावा खेल प्रतियोगिताएं न होने की वजह से मोमेंटो, कप, शील्ड की डिमांड भी बिल्कुल खत्म हो गई है। लॉकडाउन के बाद कुछ दिनों तक इंडोर गेम व फिटनेस इक्विमेंट की डिमांड देखने को मिली। अब यह भी घट गई है। ऐसे में खेल कोरोबार से जुड़े दुकानदारों के लिए दैनिक खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है।
लूडो, चैस व कैरम बोर्ड से दुकानदारी चलाना मुश्किल
सेक्टर -20 स्थित साईं ट्रॉफी एंड स्पोर्ट्स के मालिक विपिन कुथरिया ने बताया कि बाजार में इनडोर गेम्स व कुछ स्पोर्ट्स के कपड़ों को छोड़ किसी भी सामान की मांग नहीं है। ऐसे में लूडो, चैस व कैरम बोर्ड से कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ जैसे शहर में दुकान चलाने का खर्च भारी भरकम है। पिछले छह महीनों से अपनी जेब से खर्च कर दुकानदारी चला रहे हैं। प्रशासन ने अब भी मार्शल आर्ट्स और स्वीमिंग आदि खेलों के लिए अनुमति नहीं दी गई है। इससे भी दुकानदारी काफी प्रभावित हुई है।
स्कूल-कॉलेज बंद रहने से भी कारोबार प्रभावित
सेक्टर-17 स्थित चंडीगढ़ स्पोर्ट्स के मालिक हरकेश बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान मेरठ व जालंधर स्थित फैक्ट्रियों में उप्पादन बंद होने से मांग के अनुरूप आपूर्ति भी कम हो पा रही है। प्रत्येक सामान की कीमत काफी बढ़ गई है। इसके अलावा खेल सामान पर 12 फीसद व फिटनेस इक्विपमेंट पर 18 फीसद जीएसटी सरकार वसूल रही है। यह अतिरिक्त बोझ भी ग्राहक की जेब पर पड़ता है। स्कूल कॉलेज व खेल प्रतियोगिताएं बंद होने से मोमेंटो, कप, शील्ड की डिमांड भी बिल्कुल खत्म हो गई है। ऐसे में इस समय में कारोबार करना बहुत मुश्किल हो गया है।
आइपीएल का जोश भी इस बार टीवी तक
हर बार आइपीएल शुरू होने पर जहां क्रिकेट के सामान की ब्रिक्री में 30 से 40 फीसद तक का इजाफा होता था, इस बार ऐसा कुछ नहीं है। न तो क्रिकेट का सामान बिक रहा है और न ही क्रिकेट स्टार की जर्सी। कोरोना संक्रमण के डर से परिजन अपने बच्चों को बाहर खेलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। ऐसे में इस बार आइपीएल का जोश टीवी तक ही सीमित रह गया है। इससे बाजार को कोई फायदा नहीं हो रहा है।
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