लाची बावा के शार्गिदों ने दी शानदार प्रस्तुति
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब कला भवन सेक्टर-16 में आयोजित पांच दिवसीय सुरताल कार्यक्रम क
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब कला भवन सेक्टर-16 में आयोजित पांच दिवसीय सुरताल कार्यक्रम का आगाज हो गया। पहले दिन का आगाज लोक गीत और लोक गाथाओं से हुआ। जिसे लाची बावा के शर्गिदों द्वारा पेश किया गया। प्रस्तुति देने के लिए गुरमीत बावा अकादमी के पांच कलाकार पहुंचे। जिन्होंने बाबा बंदा सिंह बहादुर से लेकर ससी-पुन्नु और हीर-रांझे की लोक गाथाओं को पेश किया। कार्यक्रम का आरंभ अमृतपाल द्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर के लोक गीत से हुई। जिसमें उन्होंने बाबा के जन्म से लेकर उनकी वीरगति को पेश किया। उसके बाद हरमन संधू ने पुन्नू ससी को पेश किया। वहीं, रीत कौर ने डाची वालिया मोड मुहार वे से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद मीत ने छल्ला पेश करते हुए उसे लोकगीत में पेश किया। मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध पंजाबी गुरमीत बावा और सुरजीत पात्र मौजूद रहे। गुरमीत बावा ने अपने जीवन के अनुभव साझे करते हुए बताया कि एक समय था, जब मैं अपने दोनों बेटियों के साथ स्टेज पर गा रही थी, तो नीचे कुछ लोगों ने शर्त लगा दी कि गुरमीत बावा के गले में कुछ है। जब मुझे इस बात का पता चला तो मैंने स्टेज से उतरने के बाद नीचे आकर उनके पास जाकर खुद का गला चेक कराया। जिसमें दिखाया कि उनके गले में कुछ नहीं है। जिसके बाद दोबारा कभी किसी ने मेरी हेक पर सवाल नहीं उठाया।
मां पंजाबी सभ्याचार का पिल्लर है : लाची बावा
गुरमीत बावा अकादमी के बारे में बताते हुए लाची बावा ने बताया कि मां ने पंजाबी सभ्याचार के लिए बहुत कुछ किया है। आज समय बदलने के बाद भी मां का नाम बड़ी शिद्दत से याद किया जाता है। इसको देखते हुए वर्ष 2003 में अकादमी शुरू किया। तीन सालों से यह अकादमी एक बेहतर स्वरूप में चल रही है और इसमें दूर-दूर से बच्चे सीखने के लिए आते हैं। मां के नाम को सदा जिंदा रखने के लिए अकादमी चलाई है। पांच दिनों तक चलने वाले फेस्टिवल के दूसरे दिन पंजाब भंगड़ा को पेश किया जाएगा। जिसमें दिव्यांग युवाओं द्वारा भी भाग लिया जाएगा।