स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पकड़ेंगे रफ्तार, चंडीगढ़ ने अहमदाबाद के साथ किया एमओयू
इस साल की रैंकिग में चंडीगढ़ बुरी तरह से पिछड़ा
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : स्मार्ट सिटी के प्रदर्शन में पिछड़ने पर केंद्र सरकार के आदेश पर चंडीगढ़ ने अहमदाबाद के साथ एमओयू साइन कर लिया है। अब चंडीगढ़ में चल रहे प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन सुधारने के लिए अहमदाबाद सिस्टम स्मार्ट सिटी के तौर पर मदद करेगी। पिछले माह रैंकिग में पिछड़ने के कारण केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी को अहमदाबाद के साथ जोड़ा था। इसके साथ ही रैंकिग के अंक भी अब सामने आ गए हैं। चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी इस साल की रैंकिग में 81वें नंबर पर आया है जबकि पिछले साल की रैंकिग में चंडीगढ़ 67वें नंबर पर था। जबकि अहमदाबाद की रैंकिग नंबर-1 पर दर्ज की गई। केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट्स के मामले में देश के टॉप 20 स्मार्ट सिटी और 20 सबसे पिछड़ी हुई स्मार्ट सिटी का चयन किया था। इसके बाद टॉप 20 स्मार्ट सिटी को सबसे पिछले 20 स्मार्ट शहरों को स्मार्ट बनने में मदद करने का फॉर्मूला बनाया है जिसमें चंडीगढ़ को अहमदाबाद के साथ जोड़ा गया है। स्मार्ट सिटी के सीईओ केके यादव का कहना है कि अहमदाबाद के साथ एमओयू साइन हो चुका है। विकास की रफ्तार होगी तेज
ऐसे में अब जो प्रोजेक्ट्स धीमी गति से चल रहे हैं, उनमें तेजी आएगी। अहमदाबाद स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के साथ समय-समय पर बातचीत की जाएगी। जिसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी जाएगी। साल 2020-21 के वित्तीय सत्र के लिए केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के लिए 250 करोड़ रुपये की राशि भी दी है। चंडीगढ़ ने प्लान भी रिवाइज करने के लिए भेजा है पत्र
स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने केंद्र सरकार के हाउसिग और शहरी विकास मंत्रालय को भी पिछले माह पत्र लिखकर कहा है कि उनके स्मार्ट सिटी प्लान को रिवाइज किया जाए ताकि वह भी अन्य शहरों की तरह अपना बेहतर प्रदर्शन कर सके। चंडीगढ़ का स्मार्ट सिटी में नाम मई 2016 में आया था। अधिकारियों का कहना है कि उनका प्रदर्शन इसलिए पिछड़ रहा है क्योंकि प्लान के अनुसार जो उनके सेक्टर-43 में 4933 करोड़ रुपये के प्रस्तावित प्रोजेक्ट बनने थे, उन पर काम नहीं हो रहा है क्योंकि वन विभाग ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए 70 एकड़ जमीन देने के लिए मना कर दिया है। जहां पर कमर्शियल हब बनना था। इसलिए पिछले साढ़े तीन साल से इन प्रोजेक्ट्स पर काम नहीं शुरू हो पाया। साल 2016 में स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद इसके लिए 6500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का प्लान तैयार किया गया था। सीएससीएल की ओर से जो केंद्र सरकार को प्लान को रिवाइज करने का प्लान भेजा है उसके अनुसार 6500 करोड़ से कम होकर प्रोजेक्ट्स 2300 करोड़ रुपये के रह जाएंगे।