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स्पीड कंट्रोल से बचाई जा सकती है जान

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सड़कों पर रोजाना हो रहे हादसों को देखते हुए रविवार को स

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 10:26 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 10:26 PM (IST)
स्पीड कंट्रोल से बचाई जा सकती है जान
स्पीड कंट्रोल से बचाई जा सकती है जान

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सड़कों पर रोजाना हो रहे हादसों को देखते हुए रविवार को सीनियर सिटीजन अवेयरनेस ग्रुप की तरफ से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से चिल्ड्रेन पार्क सेक्टर-23 में आयोजित किया गया। जहां पर ट्रैफिक पार्क के अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा सड़क दुर्घटना का घाव झेल चुके परिवार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वाहनों की स्पीड कंट्रोल करके जान को बचाना रहा। मौजूद परिवारों ने हाथों में बैनर पकड़कर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया। सिटीजंस अवेयरनेस ग्रुप के चेयरमेन सु¨रद्र वर्मा ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं महामारी के समान है। वर्ष 2017 में साढ़े चार लाख सड़क हादसे हुए, जिसमें डेढ़ लाख लोगों की मौत हो गई। जिससे क्लीयर होता है कि रोजाना औसतन 1200 के करीब सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और उसमें चार सौ के करीब लोग रोजाना मारे जा रहे हैं। सरकार को मोटर वाहन संशोधन विधेयक-2017 को जल्द ही पेश करने की जरूरत है। जब तक यह विधेयक पारित नहीं होगा तब तक सड़क दुर्घटनाओं पर रोक बहुत ही मुश्किल है। स्पीड कंट्रोल अनिवार्य

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आज से तीन साल पहले मेरी बहन और जीजा वोट डालने के लिए राजस्थान गए थे। वहां से वापसी में अबोहर के पास उनकी गाड़ी सीधे पेड़ से टकरा गई, जिसके बाद दोनों की मौत मौके पर ही हो गई। उनके पीछे दो बच्चे थे, जिसमें बेटी ढाई साल और बेटा 6 साल का था। उस समय जो घटना घटी, वह ज्यादा स्पीड के कारण हुई थी। ऐसे में गाड़ियों की स्पीड को सीमित करने की जरूरत है।

-मोनिका अरोड़ा, पीड़ित ट्राली पर रंग नहीं होने के कारण हुई दुर्घटना, मौके पर हुई तीन मौतें

मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था। उस समय मेरा बड़ा भाई गाड़ी चला रहा था। भाई से पीछे वाली सीट पर मेरी मामी भाई की बेटी को गोद में लेकर बैठी थी। सामने से टैक्टर-ट्राली आई। जिस पर कोई रंग नहीं था। रात का समय होने के कारण भाई कुछ समझ नहीं पाया और सीधे जाकर ट्राली से जा टकराया। मौके पर ही मेरे भाई, मामी और उनकी बेटी की मौत हो गई।

-परविंदर छावड़ा, पीड़ित


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