कुछ लोग होते हैं जन्म से बड़े, कुछ कर्मो से बन जाते हैं..
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कवियों का जन्मदिवस भी एक कविता होती है। जिसमें कविता के अलावा और
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कवियों का जन्मदिवस भी एक कविता होती है। जिसमें कविता के अलावा और कुछ नहीं होता। ऐसा ही माहौल बना चंडीगढ़ के तीन कवियों प्रेम विज, डॉ. सरिता मेहता और आरके भगत के जन्मदिन पर। वीरवार को इन तीनों कवियों के जन्मदिन पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। श्री अद्वैत-स्वरूप फाउंडेशन और संवाद साहित्य और पत्रकारिता मंच द्वारा मनसा देवी कॉम्पलेक्स में इस गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें ट्राईसिटी के साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। आज हयात का माहौल है, खुशगवार सा लगता है..
गोष्ठी में अशोक नादिर ने अपनी कविता, आज हयात का माहौल है, खुशगवार सा लगता है, को सुनाया। इसके बाद उन्होंने कहा कि ऐ खुदा, हर पल खुशियों से भरी जिंदगी देना, रूठना, मनाना, और फिर रूठ जाना इनको ऐसी जिन्दगी देना से भी को जन्मदिवस की बधाई दी। दीपिका गुप्ता ने अपनी कविता, ऐ दीये, अपने परोपकार भाव से मुझ पर भी कुछ उपकार कर, सिखा दिया मुझे कि कैसे जीया जाता है खुद को नकार कर, को प्रस्तुत किया। आरके भगत ने कहा कि दहेज की बीमारी को सहज रखना, बहुओं को जलाने से परहेज रखना, बेटियां जलाने से परहेज रखना को पेश किया। डॉ. सरिता मेहता ने अपनी रचना सबसे बेहतर जिंदगी की, कलाकारी हमने सीख ली, चोट खाकर मुस्कराने की, अदाकारी हमने सीख ली, को प्रस्तुत किया। इसके बाद मंच पर निम्मी वशिष्ठ ने, माय नी मेरा चित करदा में पंछी बन जावां, दूर दरेड़ेरे भरा उडारी सुख सुनेहे पहुंचावा से पंजाबी कविता को सुनाया। दीपक शर्मा चनारथल ने कहा, मेनू चुप वेख के न समझ लेना, कि मैं माडे पले दी पहचान रखदा, आदेश वहदा शात दरिया दा, अंदेशे समुदरी तूफान रखना को पेश किया। प्रेम विज ने अपनी कविता, जिस देश में अन्न के भंडार भरे पड़े हों, फिर भी, लोग भूख से मर जाते हों उसे आप क्या कहेंगे, को प्रस्तुत किया प्रज्ञा शारदा, संगीता पुखराज, बाल कृष्ण गुप्ता ने अपनी कविताएं पेश की।