छोटे किसानों को नहीं मिल रहा बिजली सब्सिडी का लाभ, स्कीम पर उठे सवाल
छाेटे किसानों को बिजली सब्सिडी नहीं मिल रही है। ऐसे में इस सब्सिडी को जारी रखने पर सवाल उठाए गए हैं और इसे बंद करने की मांग की गई है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब सहित कई राज्याें में छाेटे किसानों को बिजली सब्सिडी नहीं मिल रही है। ऐसे में इस सब्सिडी को जारी रखने पर सवाल उठाए गए हैं। नीति आयोग के कृषि क्षेत्र के सदस्य रमेश चंद्र ने बड़े किसानों को दी जा रही बिजली सब्सिडी पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है इसे तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। आयोग सभी राज्यों की ओर से दी जा रही बिजली व अन्य सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए एक रिपोर्ट जल्द ही सरकार को सौंपेगा।
एमएसपी पर खरीद किसानों की समस्या का हल नहीं
रमेश चंद्र नई दिल्ली में भारत कृषक समाज की ओर से आयोजित फूड सिस्टम पर कांफ्रेंस में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि सभी तरह की सब्सिडी को तर्कसंगत करने की जरूरत है, क्योंकि सब्सिडी का लाभ छोटे किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। उनका मानना है कि खाद के लिए दी जा रही सब्सिडी तो कुछ हद तक ठीक है, लेकिन राज्य सरकारों की ओर से जो बिजली सब्सिडी ट्यूबवेल पर दी जा रही है, वह सही नहीं है। वर्तमान में देश भर की राज्य सरकारें 1.12 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही हैं।
नीति आयोग के एग्रीकल्चर मेंबर रमेश चंद्र ने जताई आपत्ति
उन्होंने कहा कि छोटे किसानों के पास तो ट्यूबवेल ही नहीं है। पंजाब सरकार ने डायरेक्ट बिजली सब्सिडी देने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके नतीजे हमें देखने होंगे। रमेश चंद्र ने कहा कि नीति आयोग इस तरह की पॉलिसी बनाने पर काम कर रहा है। इससे सभी किसानों को बिजली सब्सिडी का लाभ मिल सके।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद नहीं होने संबंधी सवाल के जवाब में रमेश चंद्र ने कहा कि एमएसपी पर फसलों को खरीदना किसानों की आय से संबंधित समस्या का हल नहीं है। उन्होंने बताया कि एमएसपी का लाभ अंतरराष्ट्रीय कीमत को देखते हुए देना पड़ता है। अगर आज की तारीख में हम एमएसपी पर पूरे देश का धान खरीदते हैं, तो यह एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में धान की कीमत देश की मौजूदा कीमत से काफी कम है।
सरप्लस फसल मंडी नहीं ला पाते छोटे किसान
उन्होंने कहा कि एमएसपी पर फसल खरीदने का लाभ बड़े किसानों को मिल रहा है। ताजा सर्वे के अनुसार देश के 86 फीसद किसानों के पास दाे हेक्टेयर से कम जमीन है, जो देश की 47 फीसद बनती है। शेष बचे 14 फीसद लोगों के पास देश की कुल 43 फीसद जमीन है। ऐसे में छोटे किसान तो अपनी सरप्लस फसल को मंडी में लाने के काबिल ही नहीं हो पाते। क्योंकि जितनी उपज वे पैदा करते हैं, उतना तो उनके अपनी खपत है।
डायरेक्ट सब्सिडी देने की जरूरत
रमेश चंद्र ने कहा कि ऐसे किसानों को डायरेक्ट सब्सिडी देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में इस तरह का एक प्रयास किया गया है। आने वाले समय में इसका आकलन करने पर ही कोई पॉलिसी तैयार की जा सकती है। किसानों की लागत पर 50 फीसद देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा इस बार किया है, लेकिन अब जमीन पर मार्जिन को शामिल नहीं किया जा सकता। इसका रेंट कवर किया जा सकता है।
आने वाले समय में दिखेगा योजनाओं का लाभ
मौजूदा सरकार की बात करते हुए रमेश चंद्र ने कहा कि सरकार ने किसानों की दशा को सुधारने के लिए दो-तीन योजनाएं शुरू की है और इसका असर आने वाले दिनों में दिखाई पडऩे लगेगा। उन्होंने दावा किया कि हमने कुछ राज्यों से इसके आंकड़े जुटाए हैं, जो बताते हैं कि इस साल बाजार के भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य में ज्यादा अंतर नहीं है।