धान बीज घोटाले पर सियासत गर्माई, विजिलेंस के साथ एसआइटी भी करेगी जांच
पंजाब में धान बीज घोटाले पर सियासत गर्मा गई है। इस घोटाले की जांच अब विजिलेंस के साथ-साथ एसआइटी भी करेगी।
लुधियाना/चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में धान बीज घोटाले पर सियासत गमा्र गई है। शिरोमणि अकाली दल ने इसकेा लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर हमला तेज कर दिया है। इसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच विजिलेंस के साथ ही विशेष जांच दल (एसआइटी) से कराने का फैसला किया हे। लुधियाना के पुलिस कमिश्नर ने इसकी जांच के लिए एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन कर दिया है। विजिलेंस ब्यूरो भी जांच जारी रखेगा।
इससे पहले शिरोमणि अकाली दल ने वीरवार को सभी जिलों में डिप्टी कमिश्नर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप पूरे मामले की जांच सीबीआइ या हाई कोर्ट के मौजूदा जज से करवाने और आरोपितों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की। उल्लेखनीय है कि धान की नई वेरायटी पीआर-128 और पीआर-129 पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की मंजूरी के बिना बाजार में तीन गुणा कीमत में बिकने पर प्रदेश सरकार घिर गई है।
पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार ने डीसीपी लॉ एंड आर्डर अश्विनी कपूर के नेतृत्व में एसआइटी बनाई है। इसमें एडीसीपी स्पेशल ब्रांच जगतप्रीत सिंह, एसीपी सिविल लाइंस जतिंदर चोपड़ा तथा थाना डिवीजन पांच की प्रभारी रिचा रानी को शामिल किया गया है। एसएसपी विजिलेंस रुपिंदर सिंह ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कृषि अधिकारी डॉ. नरिंदर सिंह बेनिपाल से बातचीत की थी।
नकली बीज मामले में एक किसान ने डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल को लिखित शिकायत की थी कि उसे पीआर-128 बीज 200 रुपये किलो बेचा गया। डीसी ने कृषि अधिकारी को मामला चेक करने के निर्देश दिए तो भारी मात्रा में बीज व बिल बुक बरामद की गई। इसके अगले दिन 11 मई को थाना डिवीजन नंबर पांच की पुलिस ने बेनिपाल की शिकायत पर सीड स्टोर के मालिक बाड़ेवाल रोड के शांत पार्क निवासी हरदयाल ङ्क्षसह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।
कृषि विभाग की टीम से रिकॉर्ड लेकर होगी जांच : पुलिस कमिश्नर
पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल ने कहा कि मामले की जांच में सहयोग करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी बेनिपाल समेत अन्य अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। अभी यह जांच की पहली स्टेज है। इसलिए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। कृषि विभाग की टीम हमें रिकॉर्ड उपलब्ध कराएगी। उसके आधार पर चेक किया जाएगा कि इतना बीज पीएयू की मंजूरी के बिना बाहर दुकान तक कैसे पहुंच गया। आरोपित ने जो बिल दिखाए हैं फर्जी लग रहे हैं।
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यह है मामला
पीएयू के कृषि अधिकारी डॉ. नङ्क्षरदर सिंह बेनिपाल ने बयान दिया था कि 11 मई को उन्होंने कृषि सचिव काहन ङ्क्षसह और किसान भलाई विभाग के निर्देश पर अन्य अधिकारियों की टीम समेत बराड़ सीड स्टोर की जांच की। वहां पीएयू द्वारा किसानों को 70 रुपये किलो बेचा जाने वाला धान का बीज मिला। आरोपित यह बीज किसानों को 200 रुपये किलो के हिसाब से बेच रहा था। उसने बेचे बीज के बिल भी काटे हुए थे। उसकी बिल बुकों को कब्जे में ले लिया गया। तलाशी लेने पर उसके गोदाम से 200 क्विंटल बीज बरामद हुआ।
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मंत्री को भी गिरफ्तार किया जाए : मजीठिया
पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया ने फिर आरोप लगाया हे कि बीज घोटाले के तार कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। विजिलेंस जांच तो ध्यान भटकाने के लिए है। जिस करनाल एग्रो सीड्स कंपनी ने बीज स्टोरों पर सप्लाई किए, उसके मालिक लक्की ढिल्लों से मंत्री की काफी नजदीकी है। इस कंपनी में मंत्री की कथित बेनामी हिस्सेदारी है।
मजीठिया ने इस बीज कंपनी के मालिक की कुछ पुरानी तस्वीरें रंधावा के साथ दिखाते हुए कहा कि 20 दिन हो गए हैं मामला दर्ज हुए, फिर भी किसी आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया गया। आरोपित खुलेआम प्रेस कांफ्रेंस कर रहा है। एफआइआर में आरोपितों के खिलाफ काफी नरम धाराएं लगाई गई हैं। कंपनी के मालिक को बचाने के लिए मंत्री बिल बुक दिखाते हैैं और चंडीगढ़ में प्रेस कान्फ्रेंस करते हैं जिससे लगता है कि करोड़ों के घोटाले में उनका सीधा हाथ है। ठगे गए किसानों को मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।
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मैंने नहीं बेचा बीज, सियासी रंजिश में बनाया मोहरा : ढिल्लों
गुरदासपुर : डेरा बाबा नानक के करनाल एग्री सीड के मालिक लखविंदर सिंह लक्की ढिल्लों ने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) की बिना मंजूरी धान का बीज बेचने के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि शिअद व कांग्रेस की सियासी रंजिश में उन्हें मोहरा बनाया जा रहा है। ढिल्लों ने शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया व दलजीत सिंह चीमा पर पांच-पांच करोड़ रुपये का मानहानि का केस करने का दावा भी किया है।
ढिल्लों ने कहा कि उन्होंने धान का पीआर-128, पीआर-129 का बीज बेचा ही नहीं है। 2018 में कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ फर्म शुरू करने के आरोप भी बेबुनियाद हैं। उनके साथ कोई संबंध नहीं है। पीएयू ने उन्हें जांच के लिए बुलाया था और 1850 नंबर बिल के बारे में पूछा था। यह बिल उन्होंने 30 अक्टूबर, 2019 को दिलजिंदर खेती स्टोर के नाम पर काटा है। इसकी पेमेंट भी बैंक खाते में आई है। इसके अलावा न कोई बिल है और न कोई पेमेंट आई है।
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