श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह का इस्तीफा
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम काे माफी देने को लेकर सवाल उठ रहे थे। उन्होंने यह कदम श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) की जांच और 14 नवंबर को हाईकोर्ट में पेश की जाने वाली संभावित रिपोर्ट से पहले यह कदम उठाया है। ज्ञानी रघुवीर सिंह हो सकते हैैं कार्यवाहक जत्थेदार हाे सकते हैं।
ज्ञानी रघुवीर सिंह हो सकते हैैं कार्यवाहक जत्थेदार
इस बात की पूरी संभावना है कि नए जत्थेदार की नियुक्ति से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब का कार्यवाहक जत्थेदार बनाकर दीपावली पर उनसे कौम के नाम संदेश पढ़वाएगी। उल्लेखनीय है कि हर दीपावली पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की ओर से कौम के नाम संदेश दिया जाता है। इस बार हालात न केवल अकाली दल के प्रति बल्कि श्री अकाल तख्त साहब के जत्थेदार के प्रति भी अनुकूल नहीं हैैं, इसलिए दीपावली से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।
डेरा प्रमुख को माफी पर श्री अकाल तख्त के जत्थेदार पर उठ रही थीं उंगलियां
दूसरी ओर ऐसा माना जा रहा है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिए जाने पर श्री अकाल तख्त के जत्थेदार पर भी उंगली उठी थी, इसीलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को भी डेरे के मामले से जोड़ा जा रहा था। हालांकि अपने इस्तीफे में उन्होंने अपनी खराब सेहत का हवाला दिया है लेकिन यह तय है कि एसआइटी की रिपोर्ट में जत्थेदार पर उठने वाली उंगली शिरोमणी अकाली दल को भी परेशान कर सकती थी।
उधर, एसजीपीसी ने भी अपना सालाना इजलास जो आमतौर पर 30 नवंबर को बुलाया जाता है इस बार 13 नवंबर को बुला लिया है। इस इजलास में एसजीपीसी न केवल श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार की नियुक्ति करेगी बल्कि यह भी माना जा रहा है कि एसजीपीसी को नया प्रधान भी मिल सकता है।
एसजीपीसी के प्रधान गोविंद सिंह लोंगोवाल विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा सच्चा सौदा में वोट मांगने वालों में शामिल थे। उन्होंने सुनाम हल्के से अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़ा था। अब जबकि डेरा सच्चा सौदा और सिख समुदाय के बीच में कड़वाहट का माहौल है, ऐसे समय में जो लोग भी डेरा सच्चा सौदा में गए हैं उनको हटाकर अकाली दल अपनी छवि साफ करना चाहता है।
डेरा सच्चा सौदा को माफी देने वालों में जहां ज्ञानी गुरबचन सिंह का नाम सबसे ऊपर था वहीं, इस फैसले पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य जत्थेदारों में ज्ञानी मल सिंह का पहले ही निधन हो चुका है। श्री दमदमा साहब के जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं। अब केवल गुरबचन सिंह ही ऐसे जत्थेदार थे जिन्होंने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया था।
जत्थेदार ढूंढना शिअद के लिए मुश्किल
अब शिरोमणि अकाली दल के लिए सबसे मुश्किल बात यह है कि उसे श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार ढूंढना है। स्थिति ऐसी बनी हुई है कि इस पद पर कोई भी लगना नहीं चाहता। ऐसे में किसी को कार्यवाहक जत्थेदार बनाने के अलावा कोई औऱ चारा नहीं है। इससे पहले प्रो. मनजीत सिंह तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार रहते हुए श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार रह चुके हैं।