तकनीकी शिक्षा परिषद व Deemed universities को झटका, Validation test के परिणाम निरस्त करने के आदेश
हाई कोर्ट ने चार Deemed universities से डिस्टेंस एजुकेशन से प्राप्त इंजीनियरिंग की डिग्रियों की बहाली के लिए गए Validation test के परिणामों को निरस्त कर दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चार Deemed universities से दूरस्थ (डिस्टेंस एजुकेशन) से प्राप्त इंजीनियरिंग की डिग्रियों की बहाली के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा लिए गए Validation test के परिणामों को निरस्त कर दिया है। अब नए सिरे से परीक्षा परिणाम तैयार कर चार सप्ताह में घोषित करने होंगे। हाई कोर्ट ने यह आदेश Punjab State Power Corporation के इंजीनियरों द्वारा इस संबंध में दाखिल एक सिविल रिट अपील को अनुमति प्रदान करते हुए सुनाया है।
फैसले का असर राष्ट्रव्यापी रहने वाला है। अकेले हरियाणा भर में ही उपरोक्त चारों Deemed universities से डिग्री प्राप्त करीब 450 इंजीनियर विभिन्न बिजली निगमों, पीडब्ल्यूडी, पब्लिक हेल्थ, एचएसवीपी, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन, हरियाणा कृषि एवं मार्केटिंग बोर्ड समेत विभिन्न तकनीकी विभागों में कार्यरत हैं। कई तो एसडीओ भी बन चुके हैं।
यह Validation test उच्चतम न्यायालय के तीन नवंबर 2017 को ओडिशा लिफ्ट इरीगेशन कारपोरेशन लिमिटेड बनाम रबि शंकर पात्रो व अन्य के मामले में दिए आदेश पर नवंबर 2018 व दिसंबर 2018 में आयोजित किए गए थे। केंद्रीय अनुदान आयोग व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा राज्यों के नेशनल तकनीकी संस्थानों के माध्यम से यह टेस्ट हुए थे। ये Validation test उन छात्रों से लिए गए थे, जिन्होंने जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, आइएएसई सरदारशहर राजस्थान, विनायका मिशन रिसर्च फाउंडेशन तमिलनाडुु व इलाहाबाद एग्रीकल्चर व रिसर्च इंस्टीट्यूट इलाहाबाद से शैक्षणिक सत्र 2001 से 2005 के दौरान इंजीनियरिंग स्नातक में दाखिला लिया था।
हाई कोर्ट के आदेश पर एआइसीटीइ ने Validation test के लिए एक्पर्ट कमेटी गठित कर 25 जनवरी 2018 को नियम तय किए थे। नियमों में कहा गया था कि इच्छुक उम्मीदवारों को दो प्रेक्टिकल व दो थ्योरी की परीक्षा देनी होगी और उत्तीर्ण होने के लिए दोनों में अलग अलग 40 फीसदी अंक लेने होंगे।
तीन जून 2018 को पहले अवसर की परीक्षा होने के 17 दिन बाद व आंसर की परिषद की वेबसाइट पर डाल देने के उपरांत 20 जून 2018 को एआइसीटीइ ने परीक्षा पूर्व अपने ही बनाए नियमों को तोड़कर नए नियम बना दिए थे। नए नियमों के अनुसार प्रेक्टिकल व थ्योरी में अलग अलग उत्तीर्ण होने की शर्त को हटाकर औसत आधारित प्राप्तांकों पर उत्तीर्ण करने का प्रावधान कर दिया गया और इन नए नियमों के आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए थे।
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