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पंजाब सरकार को लगा कड़ा झटका, रेत खनन नीति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने रेत खनन नीति पर रोक लगाकर पंजाब सरकार को कड़ा झटका दिया है। इससे पहले हाई कोर्ट ने रेत व बजरी खानों की नीलामी पर रोक लगा दी थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 09:00 PM (IST)
पंजाब सरकार को लगा कड़ा झटका, रेत खनन नीति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
पंजाब सरकार को लगा कड़ा झटका, रेत खनन नीति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

चंडीगढ़, [कमल जोशी]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को तगड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार की रेत खनन नीति पर रोक लगा दी है। पंजाब में 27 दिसंबर को प्रस्तावित रेत और बजरी की खानों की नीलामी पर रोक लगाने के लगभग 24 घंटे बाद ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कदम उठाया है। हाई कोर्ट ने वीरवार को पंजाब सरकार द्वारा लगभग दो महीने पहले अधिसूचित की गई पंजाब राज्य रेत और बजरी खनन नीति 2018 पर विराम लगा दिया।

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खानों की नीलामी पर रोक के बाद अब खनन नीति पर भी रोक

पंजाब सरकार की इस खनन नीति के खिलाफ गगनेश्वर सिंह वालिया द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया। चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने 28 अक्तूबर को अधिसूचित की गई खनन नीति 2018 के तहत कोई कार्रवाई न किए जाने के आदेश जारी कर दिए। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही इस नीति के तहत 31 अक्टूबर को जारी किए गए नीलामी के आदेशों पर भी रोक लगा दी।

एडवोकेट रमनप्रीत सिंह बारा के माध्यम से दायर की गई इस याचिका में वालिया ने कहा है कि इस नीति के अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए रेत और बजरी का खनन किए जाने से राज्य में पर्यावरण का नुकसान होगा और प्राकृतिक संसाधनों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

रेत और बजरी को राज्य के संसाधन बताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि खनन नीति के तहत राज्य सरकार अपने संसाधनों को खनन के लिए निजी हाथों में सौंप देगी, जबकि राज्य के विभिन्न जिलों में रेत और बजरी की खानों का क्षेत्र तक निर्धारित नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ता की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट गुरमिंदर सिंह ने कहा कि यह नीति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा माइनिंग के संबंध में जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन करती है। क्योंकि, खानों का क्षेत्र निर्धारित किए बिना सारा क्षेत्र ठेकेदारों के लिए छोड़ दिया गया है।

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इस नीति और इसके तहत जारी किए गए नीलामी के नोटिस को गलत बताते हुए उन्होंने अदालत को बताया कि 31 अक्टूबर के नोटिस के तहत पूरे रोपड़ और पठानकोट जिले में खानों की नीलामी की जानी थी। इससे ठेकेदार इन जिलों में किसी भी स्थान पर खनन कर पाएंगे चाहे वह नदी का ताल हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस नीति के तहत खानों की पुन:पूर्ति का अध्ययन करवाए बिना ही इस नीति के तहत खानों की नीलामी करने की योजना बना रही है। याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दीपक कुमार बनाम हरियाणा सरकार केस का जिक्र करते हुए कहा कि नदियों के किनारों से खनन से पहले नदियों के ताल निर्धारित करने की व्यवस्था दी थी।

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