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प्राइवेट चीनी मिलों को झटका, पंजाब सरकार चार साल बाद 223.75 करोड़ करेगी वसूल

पंजाब सरकार ने निजी चीनी मिलों काे तगड़ा झटका दिया है। राज्‍य सरकार चाार साल बाद इन चीनी मिलों से 223.75 करोड़ रुपये की वसूली करेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 08:30 AM (IST)
प्राइवेट चीनी मिलों को झटका, पंजाब सरकार चार साल बाद 223.75 करोड़ करेगी वसूल
प्राइवेट चीनी मिलों को झटका, पंजाब सरकार चार साल बाद 223.75 करोड़ करेगी वसूल

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की प्राइवेट चीनी मिलों को कैप्टन सरकार ने झटका देते हुए उनसे 223.75 करोड़ रुपये वसूलने को हरी झंडी दे दी है। चार साल से इस राशि को देने में आनाकानी कर रही निजी चीनी मिलों को अब यह पैसा देना ही होगा। चीनी मिलों के दबाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि इस राशि को वसूलने का फैसला कैबिनेट को दूसरी बार लेना पड़ा है। आखिर क्यों चीनी मिलें राज्य सरकार का 223.75 करोड़ रुपये अदा नहीं कर रही हैं।

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पैसा वसूलने के लिए पंजाब कैबिनेट ने दूसरी बार लिया फैसला

काबिले गौर है कि  2014-15 में जब चीनी की कीमतें अचानक से गिर गईं और प्राइवेट चीनी मिलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दी जाने वाली स्टेट प्राइस को देने से इन्कार कर दिया तो राज्य सरकार ने तय किया कि यदि चीनी की कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल से कम हुई राज्य सरकार 50 रुपये अदा करेगी। 2600 रुपये पर 43 रुपये,  इसी तरह हर सौ रुपये पर सात रुपये कम करने के बारे में कहा गया। 3000 रुपये हुआ तो किसानों को पूरी कीमत देनी पड़ेगी। लेकिन प्राइवेट चीनी मिलों ने यह नीति अगले साल के लिए भी मांगी हालांकि उस समय चीनी का रेट 3000 रुपये प्रति क्विंटल था।

पंजाब सरकार ने प्राइवेट चीनी मिलों के गन्ना उत्पादकों को अपनी ओर से 111 करोड़ रुपये अदा किए। जब यह राशि वापस मांगी तो चीनी मिलें सितंबर 2016 में हाई कोर्ट चली गईं। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि चीनी मिलों की बात सुनकर इस पर फैसला किया जाए।

उस समय अकाली-भाजपा सरकार ने मुख्य सचिव की अगुआई में  कमेटी का गठन कर दिया जिसमें वित्तायुक्त विकास विश्वजीत खन्ना, वित्तायुक्त सहकारिता डीपी रेड्डी, वित्तायुक्त टेक्सेशन एमपी ङ्क्षसह और ङ्क्षप्रसिपल सेक्रेटरी फाइनांस अनिरुद्ध तिवारी शामिल थे।

कमेटी ने चीनी मिलों से 223 .75 करोड़ रुपये वसूलने की सिफारिश कर दी जिस पर नवंबर 2018 में कैबिनेट ने मुहर लगा दी। कमेटी की वही रिपोर्ट आज फिर से कैबिनेट में पेश की गई जिस पर कैबिनेट ने कहा कि प्राइवेट चीनी मिलों से यह 223.75 करोड़ रुपया वसूला जाए। काबिले गौर है कि एक ओर प्राइवेट चीनी मिलें सरकार को पैसा नहीं लौटा रही हैं जबकि दूसरी ओर सरकार ने किसानों की गन्ने की अदायगी रोकी हुई है।


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