अमेरिका में रहकर भारतीय कहानियों को किया साझा
अमेरिका रहकर भारतीय कहानियों को उन्हीं के अंदाज में साझा किया है लेखिका चित्रा बनर्जी ने।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : अमेरिका रहकर भारतीय कहानियों को उन्हीं के अंदाज में साझा किया है लेखिका चित्रा बनर्जी ने। जिनके साथ शहर रूबरू हुआ चंडीगढ़ लिटरेरी सोसायटी द्वारा आयोजित लिटराटी-2020 में। सेशन का विषय रहा सीता टू जिदां। आइएएस सुमिता मिश्रा ने चित्रा से कोलकाता से ग्रेजुएशन के बाद यूएसए जाने से जुड़ा सवाल पूछा। चित्रा ने कहा उस दौरान कोई और चारा नहीं था, भाई अकेला अमेरिका में रहता था। वो 1970 का वक्त था। केवल किताबों में अमेरिका के बारे में पढ़ा था। वहां खुद को बिल्कुल अलग पाया। पीएचडी के दौरान, मॉल में काम किया। साड़ी पहन कर मॉल जाती तो लोग गाड़ियां रोक कर मेरा पहनावा देखेते। वो हैरान होते थे साड़ी पहनी महिला देखकर। मुझे हमेशा भारतीय होने पर गर्व रहा। फिर अमेरिका में रह रहे माइग्रेंट लेबर की कहानियों को किताब का रूप दिया। खुशी होती है कि मेरी किताबें, मर्द भी पढ़ते हैं, चाहती हूं कि मर्द भी दिल खोलकर महिलाओं को समझने की कोशिश करें। एक मजबूत महिला तभी कामयाब होती है, जब हर कोई उसे समझता है। अमेरिका रहते हुए भारतीय माइथोलॉजी को
अमेरिका रहते हुए भी, मैंने भारतीय कहानियों को अपने बच्चों से जोड़ा। उन्हें रोज रात को महाभारत-रामायण से जुड़ी कहानियां सुनाती थी। क्योंकि मुझे भी मेरे दादा-नाना से यही सुनने को मिली। अमेरिका में चित्रा समाज सेवा से जुड़ी, जहां वह भारतीय महिलाओं की शादी के बाद तालाक की स्थिती में मदद करती हैं। चित्रा ने कहा कि विदेश में भारतीय महिलाओं के लिए मुश्किल होती है। वो किसी अंग्रेज के सामने अपनी स्थिती नहीं रख सकती। ऐसे में हमारी संस्था मदद करती है। पीएचडी करने के दौरान मैंने ऐसे कई मसले देखे थे, ऐसे में इस संस्था को शुरू किया। सीता-द्रोपदी जैसे किरदारों पर लिखने पर चित्रा ने कहा कि उन्हें अच्छे से समझाने के लिए ही उन पर लिखा। उन किरदारों को मजबूती से महिलाओं में उतारना मेरा मकसद रहा। मैं इन किरदारों को लिखने से पहले पूरी तरह उनके इतिहास में नहीं उतरती। इससे मैं एक सोच में नहीं बंधती। हालांकि बाद में रिसर्च करती ही हूं।सीता पर लिखने के दौरान थोड़ा डर था, मगर इसे प्यार मिला। चित्रा ने कहा कि जनवरी-2021 में उनकी किताब द लास्ट क्वीन भी प्रकाशित होगी। जो महारानी जिदां के जीवन पर आधारित है। चित्रा ने कहा कि इसे लिखने की प्रेरणा उन्हें कोहीनूर की कहानी पढ़ने के दौरान मिली।