Move to Jagran APP

कूड़ा बीनने वालों ने सात महीने में इकट्ठा किया इतना प्ला‍स्टिक, जानें किस कंपनी ने दिया साथ

पंजाब प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सोसाइटी के साथ मिलकर डाबर इंडिया लिमिटेड ने सात महीने में सात लाख किलो प्लास्टिक को इकट्ठा कर लिया है।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 03:38 PM (IST)
कूड़ा बीनने वालों ने सात महीने में इकट्ठा किया इतना प्ला‍स्टिक, जानें किस कंपनी ने दिया साथ
कूड़ा बीनने वालों ने सात महीने में इकट्ठा किया इतना प्ला‍स्टिक, जानें किस कंपनी ने दिया साथ

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सोसाइटी के साथ मिलकर डाबर इंडिया लिमिटेड ने सात महीने में सात लाख किलो प्लास्टिक को इकट्ठा कर लिया है। इस इकट्ठे किए गए प्लास्टिक को बाद में दाे हिस्सों में बांटा गया। रिसाइकेबल और नॉन रिसाइकेबल को अलग-अलग कर इसका इस्तेमाल किया गया।

loksabha election banner

कंपनी के कॉर्पोरेट हेड डॉ. प्रियांक आर्य ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कंपनी की ओर से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए इस कार्य को 2018 के अक्टूबर महीने में शुरू किया गया था। इसके तहत रिसाइकलिंग के बाद पैसे मिले, उन्हें कचरा बीनने वालों में बांटा गया।

रिसाइकेबल प्लास्टिक से जहां प्लास्टिक का सामान तैयार किया जाता है, वहीं नॉन रिसाइकेबल को पावर स्टेशन या थर्मल प्लांट को ईधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। रिसाइकेबल कचरे से प्रति किलो दो रुपये तो वहीं नॉन रिसाइकेबल से नौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिले। 

डॉ. प्रियांक आर्य ने बताया कि वर्ष 2020 तक 9.5 लाख किलो प्लास्टिक इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया है।इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कूड़ा बीनने वाले लोगों की संख्या 1500 तक बढ़ाई जाएगी।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.