PGI के पोस्टमार्टम हाउस में ड्यूटी लगने के बावजूद नहीं जाते सीनियर डॉक्टर, जानिए क्या है वजह Chandigarh News
8 से 9 महीने गुजरने के बाद भी लोग पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन उन्हें रिपोर्ट के बजाय अगली डेट दे दी जा रही है।
चंडीगढ़ [वीणा तिवारी]। पीजीआइ में पोस्टमार्टम ड्यूटी को लेकर सीनियर डॉक्टर मनमाना रवैया अपना रहे हैं। वे पोस्टमार्टम हाउस में ड्यूटी लगाए जाने के बावजूद महीने में एक भी दिन वहां झांकने तक नहीं जाते। पीजीआइ प्रशासन की अनदेखी का ही नतीजा है कि 8 से 9 महीने गुजरने के बाद भी लोग पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन उन्हें रिपोर्ट के बजाय अगली डेट दे दी जा रही है। व्यवस्था में सुधार के लिए पीजीआइ प्रशासन ने काफी नए बदलाव भी किए हैं। लेकिन परिणाम अब भी जस के तस ही हैं।
सूत्रों का कहना है कि पेशेंट केयर के बजाय यहां एकेडमिक बैकग्राउंड पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। पोस्टमार्टम में रिसर्च से जुड़े मामलों में एक से दो दिन के अंदर ही रिपोर्ट तैयार कर ली जाती है जबकि सामान्य केस में महीनों गुजर जाते हैं। आरटीआइ में सामने आया सच पीजीआइ में पोस्टमार्टम में हो रही देरी को गंभीरता से लेते हुए इंप्लाई यूनियन ने 12 अगस्त को आरटीआइ डाली थी। उसके विभिन्न सवालों के जवाब में एक प्वाइंट पोस्टमार्टम हाउस में ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों की सीसीटीवी फुटेज से संबंधित भी था। पीजीआइ प्रशासन ने उनके जवाब में 20 जून से 15 जुलाई 2019 के बीच पोस्टमार्टम हाउस की सीसीटीवी फुटेज का वीडियो दिया है। जिसमें उस दौरान वहां जिन डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई थी वे एक भी दिन नजर नहीं आए।
सारा काम जूनियर रेजिडेंट पर डाल रहे सीनियर डॉक्टर
सूत्रों का कहना है कि सीनियर डॉक्टर पोस्टमार्टम हाउस में जाने के बजाय सारा काम जूनियर रेजिडेंट पर डाल देते हैं। ऐसे में जो काम एक घंटे में होना चाहिए, उसे पूरा होने में एक महीने का समय लग रहा है। पीजीआइ में पोस्टमार्टम ड्यूटी में मनमानी की जा रही है। इसकी सच्चाई सामने लाने के लिए ही आरटीआइ डाली गई थी। उसमें मिली डिटेल में जिन दो सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी 20 जून से 15 जुलाई के बीच पोस्टमार्टम हाउस में लगाई गई थी, वे सीसीटीवी फुटेज में वहां एक भी दिन नजर नहीं आए हैं।
इनकी मनमानी का ही नतीजा है कि लोगों को 8 से 9 महीने बाद भी रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। अगर ऐसा किसी फोर्थ क्लास इंप्लाई ने किया होता तो उस पर कार्रवाई हो गई होती।
-अश्विनी मुंजाल, प्रेसिडेंट, पीजीआइ इंप्लाई यूनियन (नॉन फैकल्टी)
ड्यूटी लगने के बावजूद वहां न जाने का मामला गंभीर है। इसके बारे में बिना पड़ताल के कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इसलिए संबंधित विभाग के एचओडी से इस संदर्भ में जानकारी मांगी जाएगी।
-मंजू वडवालकर, प्रवक्ता, पीजीआइ