PU में सीनेट चुनाव का मामला पहुंचा उप राष्ट्रपति के पास, एम वेंकैया नायडू से जल्द चुनाव कराने की मांग
पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव को लेकर माहौल गर्म है। अब सीनेट चुनाव का मामला पीयू चांसलर और देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu)के पास पहुंच चुका है। दरअसल चुनाव करवाने की मांग को लेकर सिंडीकेट सदस्यों चांसलर को ने पत्र लिखा है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब यूनिवर्सिटी (punjab University) में सीनेट का कार्यकाल खत्म हो चुका है और दोबारा उसके निर्माण के लिए कोई भी गतिविधि पीयू (PU) प्रशासन की तरफ से नहीं की जा रही है। सीनेट (Senate) का खत्म होना पूरी तरह से गलत है। इसलिए इसके चुनाव कराने की जल्द से अनुमति मिलनी चाहिए।
ऐसी ही मांग पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) चांसलर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) से की है। यह गुहार पंजाब यूनिवर्सिटी के सिंडीकेट सदस्यों की तरफ से की गई है। उल्लेखनीय है कि सीनेट कमेटी का कार्यकाल 31 अक्टूबर को खत्म हो चुका है, जिसके बाद इस समय पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट (Senate) का कोई अस्तित्व नहीं है। यदि सीनेट खत्म हो जाती है तो पीयू बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के हाथ में चली जाएगी।
कोरोना के चलते नहीं हुए चुनाव
सीनेट के चुनाव नहीं होने का मुख्य कारण कोविड-19 है। पीयू प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार चुनाव पंजाब यूनिवर्सिटी के अलावा पूरे पंजाब के कॉलेजों में होने है और उसमें वोटिंग करने वाली की तादाद हजारों में है। कोविड-19 के चलते संक्रमण मुक्त चुनाव कराना संभव नहीं है। जिसके चलते पीयू ने सीनेट चुनाव कराने की अनुमति नहीं दी है और बीते 25 दिनों से पीयू बिना सीनेट बाॅडी के चल रहा है।
सीनेट के बाद सिंडीकेट का अस्तित्व भी खतरे में
सीनेट के खत्म होने के बाद अब सिंडीकेट का अस्तित्व भी खतरे में है। 31 दिसंबर को सिंडीकेट का भी कार्यकाल भी पूरा हो रहा है। यदि सीनेट के चुनाव नहीं होते तो सिंडीकेट के चुनाव भी संभव नहीं है। जिसके चलते हुए सिंडीकेट सदस्यों में ज्यादा डर है। चांसलर को पत्र लिखने वालों में सिंडीकेट सदस्य अशोक गोयल, प्रो. नवदीप गोयल, प्रो. केशव मल्होत्रा, डीपीएस रंधावा, हरप्रीत सिंह दुआ सहित 12 सदस्य है।
क्या है सीनेट और सिंडीकेट
सिंडीकेट और सीनेट पंजाब यूनिवर्सिटी की सर्वोच्च कमेटी है। जो भी नियम पीयू या फिर पीयू से मान्यता प्राप्त कॉलेजों में लागू होना होता है। वह पहले सिंडीकेट और उसके बाद सीनेट बॉडी पास करती है और उसके बाद ही वाइस चांसलर के हस्ताक्षर होने के बाद नियम लागू होता है।