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आत्मनिर्भर भारत मुहिम से भारतीय उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा : पीयू कुलपति

कुलपति ने कहा कि महामारी ने स्थानीय विनिर्माण स्थानीय बाजार और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को सिखाया है। आत्मनिर्भर भारत बनने में नई शिक्षा नीति कारगर साबित होगी।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 11:23 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 11:23 AM (IST)
आत्मनिर्भर भारत मुहिम से भारतीय उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा : पीयू कुलपति
आत्मनिर्भर भारत मुहिम से भारतीय उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा : पीयू कुलपति

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। देश में आत्मनिर्भर बनने की क्रांति जो आई है, उससे आने वाले समय में देश को लाभ होगा। इस मुहिम से बड़े छोटे भारतीय उद्योगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। इसकी शुरूआत देश में हो चुकी है। अब हम अपनी आपूर्ति श्रृंखला के बारे में गंभीर रूप से जागरूक हो गए हैं। यह बात शनिवार को पंजाब यूनिवॢसटी कुलपति प्रो. राजकुमार ने कही। पीयू के इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मैनेजमेंट साइंसेज द्वारा आत्मनिर्भर भारत पर वेबिनार का आयोजन किया गया। प्रो. उपासना जोशी सेठी ने कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत का सपना, पांच स्तंभों की अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्गित करके पूरा होगा।

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कुलपति ने कहा कि महामारी ने स्थानीय विनिर्माण, स्थानीय बाजार और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को सिखाया है। आत्मनिर्भर भारत बनने में नई शिक्षा नीति कारगर साबित होगी। इसके अलावा उन्होंने उद्योग, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं जैसे कई क्षेत्रों के साझेदारों के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की बात कही।

जालंधर साइबर सेल के एसपी रवि कुमार ने बताया कि किसी भी उद्यम और स्टार्टअप के कामकाज में डेटा महत्वपूर्ण है, इसमें 68 फीसद साइबर सुरक्षा जोखिम बढ़ रहे हैं और कंपनी के केवल पांच फीसद फोल्डर ठीक से सुरक्षित हैं। उन्होंने कई उदाहरणों की मदद से उद्योगों में फैल रहे साइबर क्राइम के बारे में लोगों को बताया। इससे बचने के लिए उन्होंने मजबूत आईटी अधिनियम, स्टार्टअप के लिए आईपीआर संरक्षण, डेटा संरक्षण कानून, बढ़ते मानव प्रशिक्षण जैसे उपाय सुझाए।

राहुल नरवेदकर, सोशल एंटरप्रेन्योर ने अपने उद्योग शुरू करने से लेकर अभी तक के सफर को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे एक समय, उनके पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं थे, जिसके लिए उन्होंने इंडियन रूट्स ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म को बेच दिया। इसके बाद उन्होंने छोटे शहरों में बच्चों को मेंटरशिप प्रदान करने के लिए इंडिया नेटवक्र्स शुरू किया। उन्होंने छात्रों को यह कहकर प्रेरित किया कि हमें अपनी असफलताओं से सीखना चाहिए। असफलता बुरी नहीं है। हमें यह समझने की जरूरत है कि उस कार्य में ऐसी कौन सी कमी रह गई थी जिससे हम असफल हुए। जिस दिन हमें इस कारण का पता चल गया, उस दिन हमें सफलता हासिल करने से कोई रोक नहीं सकेगा।


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