रक्त न मिलने पर रोता देखा पसीज गए दर्शन, बन गए रेगुलर डोनर
एक व्यक्ति अपनी पत्नी को खून न मिलने के लिए रो रहा था।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : दर्शन लाल साल 1982 में पीजीआइ में नौकरी करते थे, उस समय ड्यूटी के दौरान देखा कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी को खून न मिलने के लिए रो रहा था। पत्नी का पीजीआइ में इलाज चल रहा था। दर्शन लाल को उसका दुख नहीं देखा गया। उसकी पत्नी के लिए दर्शन लाल रक्त देने के लिए तैयार हो गए। पहली बार रक्तदान करने से दर्शन को काफी खुशी हुई कि वे रेगुलर रक्तदाता बन गए। अब तक दर्शन लाल 65 बार रक्तदान कर चुके हैं। सोमवार को ही सकेतड़ी मंदिर में दर्शन लाल ने रक्तदान किया। यह शिविर इस कोरोना के समय में श्री शिव कावड़ महासंघ की ओर से लगाया गया है। बेटा और बेटी ने भी ली प्रेरणा
56 साल के दर्शन लाल से प्रभावित होकर उनका बेटा योगेश साई और बेटी पूजा साई भी रेगुलर रक्तदाता बन गए। वे भी दस से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके हैं। जब भी रक्तदान शिविर लगते हैं तो दर्शन लाल अपने दोस्तों को भी जागरूक करके रक्तदान के लिए साथ लेकर जाते हैं। दर्शन लाल पंचकूला के सेक्टर-15 में रहते हैं और मनीमाजरा में उनका साई टैंट और लाइटिग का काम है। वे उनके पास बुकिग करवाने आए ग्राहकों को भी रक्तदान के लिए जागरूक करते हैं। इस कोरोना की लड़ाई में अस्पतालों के ब्लड बैंकों में रक्त की कमी को पूरा करने के लिए दर्शन लोग लोगों को जागरूक कर रहे हैं। दर्शन लाल साई के भक्त हैं। दर्शन लाल का कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षित तरीके से रक्त लिया जाता है, इसलिए युवाओं को आगे आना चाहिए। दर्शन लाल श्री शिव कांवड़ महासंघ के अध्यक्ष राकेश सांगर से काफी प्रभावित हैं।