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शहर देखते हैं एक अलग नजर से

सोमवार से शुक्रवार के दौरान तो पूरा काम होता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 09:02 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 06:28 AM (IST)
शहर देखते हैं एक अलग नजर से
शहर देखते हैं एक अलग नजर से

शंकर सिंह, चंडीगढ़ : सोमवार से शुक्रवार के दौरान तो पूरा काम होता है। मगर शनिवार और रविवार ये दो दिन है, जब हम अपना पसंद का काम करते हैं। ये है फोटोग्राफी। संजीव के वर्मा और उनके साथी कुछ इसी अंदाज में फोटोग्राफी से जुड़े अपने प्यार को बयां करते हैं। इनके ग्रुप में डॉक्टर्स से लेकर इंजीनियर शामिल हैं, जो सप्ताह के अंत में शहर और इसके आसपास फोटोग्राफी के शौक को पूरा करने जाते हैं। हरियाणा सरकार में रेवेन्यू और डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग में अंडर सेक्रेटरी के तौर पर कार्यरत संजीव ने कहा कि फोटोग्राफी उन्हें बहुत पसंद है। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2012 से शुरुआत की। जिसमें धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए। अच्छा लगता है कि ऐसे लोग जुड़ें, जो जीवन में फोटोग्राफी को काफी अहमयित देते हैं। बर्ड फोटोग्राफी सीखते हैं एक साथ

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संजीव ने कहा कि वो बहुत पहले से फोटोग्राफी से जुड़े थे। मगर नौकरी के बाद इसके लिए बहुत कम समय मिलता था। ऐसे में वर्ष 2012 में दोबारा कैमरा उठाकर शहर में फोटोग्राफी करने निकल पड़े। धीरे-धीरे उनके तीनों बेटे और पत्नी ने भी कैमरा को अपना लिया। संजीव ने कहा कि मुझे खुशी होती है कि मेरा परिवार जब मिलकर फोटो करने निकल पड़ते हैं। इसी दौरान हमारी कई ऐसे लोगों से मुलाकात हुई, जो फोटो करना पसंद करते हैं। हमने धीरे-धीरे बातचीत से जाना कि फोटोग्राफी एक ऐसी विधा है, जिससे हम कई लोग जुड़े हैं। हम कुदरत के साथ इस सोर्स से बेहतरीन तरीके से जुड़ सकते हैं। एक दूसरे को सिखाते हैं फोटोग्राफी के गुर

संजीव ने कहा कि उनके साथ करीब 20-25 लोग हर बार जुड़ते हैं। बोले कि हम हर शनिवार और रविवार एक जगह जाते हैं और वहां के कुदरती वातावरण को अपने कैमरे में कैद करते हैं। इसके अलावा वहां के पशु-पक्षियों पर हमारी खास नजर रहती है। हम देखते हैं कि जलवायु के अनुसार कहां क्या बदलाव होता है। ट्राईसिटी के कई लोग अब हमसे जुड़ने लगे हैं। हमारी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा युवा पीढ़ी को अपने साथ जोड़ें, ऐसे में अपने ट्रिप में युवाओं को भी ले जाते हैं, जिन्हें फोटो के माध्यम से हम प्रकृति से जोड़ सकते हैं। हर महीने मिलते हैं नए लोग

संजीव ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई ग्रुप नहीं बनाया। मगर उनकी कोशिश हमेशा नए लोगों को जोड़ने की होती है। हम बस एक बार कहीं जाने की जगह निर्धारित कर लेते हैं फिर वाट्सएप के जरिये ग्रुप बना लेते हैं। जिससे की आगे के लिए प्लानिग की जा सके।


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