पंजाब में एससी-एसटी आरक्षण दस साल के लिए बढ़ा, विधानसभा में प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास
पंजाब में एस-एटी वगग के लिए आरक्षण की व्यवस्था 10 साल के लिए बढ़ा दी गई है। इस संबंध में संविधान संशोधन की पुष्टि के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में एस-एसटी वर्ग के आरक्षण को 10 साल और बढ़ा दिया गया है। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री और सदन के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के संविधान के 126वें संशोधन की पुष्टि करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इससे पंजाब में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को मिलने वाले आरक्षण की व्यवस्था में 10 साल का विस्तार हो जाएगा।
सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान के संशोधन की पुष्टि करने के बहुत ही अहम एजेंडे के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। यह संशोधन संसद के दोनों सदनों में पहले ही पास किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. बीआर आंबेडकर के नेतृत्व में संविधान निर्माताओं की ओर से एससी, एसटी को 10 साल के लिए आरक्षण दिया था। उस समय से अब तक समय-समय की सरकारें इसमें विस्तार करती रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि भेदभाव विरोधी नीतियां व राजनीतिक नुमाइंदगी और नौकरियों में आरक्षण से बीते 70 सालों में इन भाईचारे के सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। इसके बावजूद वह बाकी समाज के बराबर नहीं रहे। इसके नतीजे के तौर पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण में 10 साल का विस्तार करने का मजबूत केस बनता है, जिससे समाज के गरीबों और दबे-कुचले वर्गों के विकास के अधूरे कार्य को पूरा किया जा सके।
कैप्टन ने कहा, 'मुझे पता है कि अनुसूचित जाति के विकास से संबंधित बहुत से मुद्दे हैं और मेरी सरकार इसके प्रति पूर्ण तौर पर वचनबद्ध है। यह प्रस्ताव बिना किसी देरी के सर्वसम्मति से पास किया जाना चाहिए।Ó उन्होंने अच्छी शिक्षा, प्रशिक्षण व नौकरियों में नुमाइंदगी देकर इन वर्गों की भलाई के प्रति अपनी वचनबद्धता के लिए साझा यत्न करने की जरूरत पर जोर दिया। 126वें संशोधन को लोकसभा में 10 दिसंबर, 2019 को और राज्यसभा में 12 दिसंबर, 2019 को पास किया गया था।
महंगी बिजली पर नहीं पेश हो सका प्राइवेट मेंबर बिल, आप-शिअद का हंगामा
दूसरी ओर, विधानसभा में प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और महंगी बिजली के मुद्दे पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने संबंधी कामकाज स्थगित होने से नाराज दोनों विपक्षी पार्टियों ने सदन में खूब हंगामा किया। शिरोमणि अकाली दल ने तो शुक्रवार के कार्यक्रम की सूची फाड़कर वेल में फेंक दी। पार्टी के काम रोको प्रस्ताव को भी स्पीकर राणा केपी सिंह ने नामंजूर कर दिया। शिअद के विधायक मुंह पर काली पट्टियां बांधकर सदन से वॉकआउट कर गए।
आम आदमी पार्टी बिजली के मुद्दे पर प्राइवेट बिल लाकर सभी खरीद समझौतों को रद करना चाहती थी, लेकिन स्पीकर ने यह कहते हुए मंजूरी नहीं दी कि यह विशेष सेशन है और इसमें केवल सरकारी काम ही होगा। फरवरी में आने वाले बजट सेशन में वह अपनी बात रख सकते हैं, लेकिन विधायक नहीं माने और वॉकआउट करके चले गए।
बाद में जब बिलों पर बहस हो रही थी, तो उससे पहले आम आदमी पार्टी के विधायक कंवर संधू ने यह प्वाइंट रखा कि स्पीकर ने सभी कामों को स्थगित कर दिया, लेकिन प्रिविलेज कमेटी की रिपोर्ट सदन में क्यों रखी गई। यह भी अगले महीने होने वाले बजट सेशन में रखी जा सकती थी। स्पीकर ने उनके मुद्दे पर ध्यान न देते हुए संसदीय कार्य मंत्री ब्रहम मोहिंदरा से कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव रखें।
आप का सदन के बाहर प्रदर्शन, भगवंत मान भी हुए शामिल
स्पीकर ने महंगी बिजली के मुद्दे पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने से मना कर दिया तो आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सदन के बाहर धरना दिया। इसमें पार्टी के पंजाब प्रधान व सांसद भगवंत मान भी शामिल हुए। विधायकों ने शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल पर राज्य में बिजली माफिया पैदा करने और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर इस माफिया के समक्ष घुटने टेकने का आरोप लगाया। इस मौके एक पुतले के माध्यम पंजाब के लोगों को पीडि़त दिखाया गया, जबकि टेडीबियर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखबीर सिंह बादल की फोटो लगाकर उन्हें प्राइवेट बिजली कंपनियों के आगे घुटने टेकते हुए दिखाया।
टेडीबियर लेकर सदन में घुसने से रोका, विधायकों से धक्का-मुक्की
विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, बिजली आंदोलन की कमान संभाल रहे अमन अरोड़ा और मीत हेयर के नेतृत्व में 'आप' विधायकों ने पुतले व टेडीबियर के साथ विधानसभा में दाखिल होने की कोशिश की, तो गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों ने आप विधायकों को रोक दिया। इस दौरान विधायकों के साथ काफी धक्का-मुक्की भी हुई। चीमा ने इसे सरकार की तानाशाही करार दिया। इन टेडीबियर पर कैप्टन और सुखबीर की फोटो लगी थी।