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बलौंगी गोशाला मामले में सरकार ने कोर्ट में पेश नहीं किए जरूरी तथ्य : सतनाम

पूर्व कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की संस्था बाल गोपाल गो बसेरा वेलफेयर सोसायटी को दी गई गांव बलौंगी की 10 एकड़ पंचायती जमीन की लीज भले ही रद कर दी गई हो लेकिन पंजाब सरकार अभी तक जमीन पर कब्जा नहीं ले सकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 09:43 PM (IST)
बलौंगी गोशाला मामले में सरकार ने कोर्ट में पेश नहीं किए जरूरी तथ्य : सतनाम
बलौंगी गोशाला मामले में सरकार ने कोर्ट में पेश नहीं किए जरूरी तथ्य : सतनाम

जागरण संवाददाता, मोहाली : पूर्व कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की संस्था बाल गोपाल गो बसेरा वेलफेयर सोसायटी को दी गई गांव बलौंगी की 10 एकड़ पंचायती जमीन की लीज भले ही रद कर दी गई हो, लेकिन पंजाब सरकार अभी तक जमीन पर कब्जा वापस नहीं ले सकी है। गोशाला के प्रबंधकों की ओर से सरकार के इस रुख के खिलाफ अदालत में याचिका दायर करने के बाद अदालत से स्टे के आर्डर जारी किए हैं। संस्था पंजाब अगेंस्ट करप्शन के प्रधान सतनाम सिंह दांऊ ने आरोप लगाया है कि अधिकारी अभी तक पूर्व मंत्री की संस्था के हक में काम कर रहे हैं। सरकार की ओर से मामले में हाई कोर्ट में जो जवाब दायर किया गया है, उसमें भी जरूरी तथ्यों को शामिल नहीं किया गया है। इसका लाभ कब्जाधारकों को मिल सकता है।

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सतनाम दांऊ का आरोप है कि अधिकारियों की ओर से पहले भी गोशाला की लीज कैंसिल करने संबंधी जो निर्देश दिए गए हैं, इनमें लीज कैंसिल करने का आधार सिर्फ लीज की रकम जमा न करना बनाया गया। जबकि निर्देश में यह कहना बनता था कि मंत्री की ओर से पद का दुरूपयोग कर बगैर जरूरी प्रक्रिया पूरी किए सिर्फ 25 हजार प्रति एकड़ पर यह जमीन लीज पर दी गई। इसमें यह भी लिखना चाहिए था कि मंत्री ने पंचायत पर दबाव बनाने के लिए बीडीपीओ के माध्यम से कई सरकारी पत्र ग्राम पंचायत बलौगी को भेजे। इस तरह पंचायत को मजबूर कर जमीन लीज पर ली गई थी। गांव चंदपुर की जमीन पर भी कब्जे की थी तैयारी

दांऊ का आरोप है कि मोहाली के गांव चंदपुर की जमीन पर भी इसी तरह कब्जा करने की तैयारी की गई थी, लेकिन उनकी अगवाई में लोगों के विरोध पर बोली कैंसिल कर दोबारा अखबारों में विज्ञापन देकर अन्य पक्षों को जमीन की बोली में शामिल करना पड़ा। इस कारण गांव चंदपुर की जमीन के लिए एक लाख 66 हजार प्रति एकड़ की बोली लगी थी। अब जब गोशाला का मामला हाई कोर्ट में विचारधीन है तो सरकार को उपरोक्त कमियों को हाई कोर्ट को दिए जवाब में शामिल करना चाहिए था। लेकिन अधिकारियों ने वह सभी जरूरी तथ्य और सबूत अदालत में पेश नहीं किए। जिन अफसरों ने गैरकानूनी तौर पर यह जमीन पिछली सरकार के समय गोशाला को दी थी उन अफसरों ने ही अब खुद को बचाने के लिए कमजोर पक्ष अदालत में रखा है। सतनाम दाऊ ने इस मामले में एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी, जिस आधार पर वह गोशाला के केस में पार्टी बनकर सही तथ्य अदालत को बता सकें। इस संबंधी जब हलका विधायक कुलवंत सिंह से संपर्क साधा गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं ला अफसर डायरेक्टर पंचायत डीडीपीओ जौहर इंदर सिंह आहलूवालिया का कहना है कि इस संबंध में दस्तावेजों के देखकर ही कुछ अहम जानकारी दी जा सकती है।


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