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संगरूर तक सिमटा पंजाब में आम अादमी पार्टी का पावर सेंटर

आम आदमी पार्टी का पंजाब में पावर सेंटर संगरूर में सिमट गया है। आप में मचे घमासान के बीच पार्टी का जनाधार संगरूर या यूं कहें मालवा क्षेत्र में सिमटता दिख रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 09:10 PM (IST)
संगरूर तक सिमटा पंजाब में आम अादमी पार्टी का पावर सेंटर
संगरूर तक सिमटा पंजाब में आम अादमी पार्टी का पावर सेंटर

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ पंजाब से चार सीटें जीत कर राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाली आम आदमी पार्टी अब आंतरिक घमासान से जूझ रही है। आप ने मालवा क्षेत्र से पंजाब की सियासत में एंट्री मारी थी। तब इसका पावर सेंटर संगरूर था, जहां से भगवंत मान सांसद चुने गए थे। अब फिर से आप का शक्ति केंद्र संगरूर तक सीमित हो गया है। पार्टी अब पंजाब से हटकर संगरूर व उसके आसपास के इलाकों तक ही सिमटती दिख रही है। यही वजह है कि पार्टी की तरफ से अभी तक ज्यादातर ओहदों पर संगरूर या उसके आसपास के ही नेताओं को बैठाया गया है।

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पंजाब में आम आदमी पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पद संगरूर संसदीय हलके के पास

पहले भगवंत मान उसके बाद अमन अरोड़ा को पार्टी ने प्रधान व उप प्रधान बनाया था। दोनों का ताल्लुक संगरूर से ही है। उनके इस्तीफा देने के बाद पार्टी ने अब नए नेता प्रतिपक्ष के पद पर दिड़बा (संगरूर) के विधायक हरपाल चीमा को बैठा दिया है। इसके अलावा आप यूथ विंग के प्रधान मीत हेयर भी संगरूर संसदीय हलके के बरनाला जिले से ही आते हैं।

भगवंत मान व अमन अरोड़ा के बाद नेता विपक्ष के रूप में मिला एक और बड़ा पद

आप के जानकार बताते हैं कि पंजाब में अन्य जिलों से सिमटने के बाद पार्टी को इसी इलाके से उम्मीद है। यही वजह है कि पार्टी इसे अपना गढ़ बनाकर रखना चाहती है। हालांकि चीमा की नियुक्ति के पीछे बड़ा हाथ भगवंत मान का भी माना जा रहा है।

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पहले खैहरा ने मान को फंसाया ट्रैप में,अब भगवंत ने

पूर्व कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर को हटवाने में भगवंत मान की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राजनीतिक जानकाराें का कहना है कि इसके बाद गुरप्रीत घुग्गी को हटाने के लिए भी मान ने पार्टी के अंदर अच्छी-खासी लॉबिंग की थी। घुग्गी के बाद मान के हाथों में कमान आई, तो केजरीवाल के मजीठिया से माफी मांगने के बाद उठे विवाद में भगवंत मान खुद खैहरा के इस्तीफे के सियासी ट्रैप में फंस गए और प्रधान पद छोड़ दिया। हालांकि, उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि अब खैहरा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी से हटाने में मान ने अंदरखाने भूमिका निभाई। आप विधायक दल के नेता हरपाल सिंह चीमा को मान का करीबी माना जाता है।

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डॉ. बलबीर सिंह को कार्यकारी प्रधान बनाकर मनीष सिसोदिया ने पार्टी प्रभारी बनकर कमान अपने हाथों में ले ली, लेकिन खैहरा को निशाने पर रखा। यही वजह है कि खैहरा को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाने के बाद मान के ही इशारे पर चीमा को उस पद पर बैठाया गया है।

अलग बात है कि पार्टी इसे दलितों एजेंडे का रूप देने में लगी है। डॉ. बलबीर सिंह का संबंध पटियाला से है। पटियाला उन चार संसदीय सीटों में से हैं, जहां से आप के सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी चुनकर लोकसभा पहुंचे। आप का पावर सेंटर संगरूर शिफ्ट होने के पीछे भले ही पार्टी कोई बड़ी वजह न मानती हो, लेकिन सियासत के गलियारों में यह चर्चा का बड़ा विषय है।

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