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जज्बे को सलाम

जज्बा जिसने जीवन जीना सिखाया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 09:21 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:09 AM (IST)
जज्बे को सलाम
जज्बे को सलाम

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जज्बा जिसने जीवन जीना सिखाया। हर मोड़ पर चुनौती दी और अपनी राह खुद बनाई। देश की ऐसे ही 73 महिलाओं को शुक्रवार को बाल भवन सेक्टर-23 में सम्मानित किया गया। एनजीओ इन्फोपार्क एजुकेशन सोसायटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में तपन दीवान और गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में मेयर राजेश कालिया पहुंचे। सम्मान समारोह में शामिल हुई तीन खास महिलाओं से हमने की बातचीत। मुझे मारने वाले भी अब हाथ जोड़ लेते हैं

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अमृतसर की 73 वर्षीय स्वराज ग्रोवर मुख्य आकर्षण रहीं। उन्होंने कहा कि जन्म से ही उन्होंने अपने घर में समाजसेवा देखी। पिता अध्यापक थे, जो हर किसी की मदद करते थे। ऐसे में मेरे मन में भी जरूरतमंदों की सेवा करने की सोच आई। शादी के बाद भोपाल जाना हुआ। एक मित्र के घर गई, तो देखा कि पड़ोसी अपनी पत्नी को पीट रहा है। मैंने अपनी मित्र से बोला तो उनसे कहा ये रोज का काम है। मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उस दंपती के घर गई। दरवाजा खोलते ही देखा कि एक लड़की खून से सनी हुई मेरे पास आई और खुद को बचाने की गुहार करने लगी। मैंने तुरंत उसके पति को डांटा और पुलिस में जाने को कहा। कुछ दिन उस औरत को मैंने अपने पास रखा और फिर उसके पति की काउंसलिग कर उस औरत को उसके पास भेजा। वर्ष 1968 में मैंने वहां वनिता मंडल की स्थापना की, जिसके तहत अनेकों महिलाओं को उनका हक दिलवाया। अब मैं अमृतसर में ही रहती हूं। मैंने कई महिलाओं को उनका हक दिलाया तो कई लोग मेरे दुश्मन भी बने। कुछ दिनों पहले की बात है, मैं कहीं भाषण देने गई। तो वहां एक गाड़ी मेरे करीब से तेजी से होकर गुजरी। मेरे भाषण देने के बाद दो युवक आए और उन्होंने मुझसे माफी मांगी, वह मुझे ही हानि पहुंचाने आए थे, मगर उन्होंने जब सुना कि मैं जरूरतमंद महिलाओं को मदद करती हूं, तो उनका दिल पिघल गया। हिमाचल की सड़क पर ट्रक चलाने वाली पहली महिला बनीं

25 वर्षीय पूनम नेगी भी सम्मान समारोह में पहुंचीं। उन्होंने कहा कि उनके घर में सभी ट्रांसपोर्ट से जुड़े हैं। ऐसे में घर में ही ट्रक और गाड़ियों की ड्राइविग की बातें होती थी। ऐसे में मैंने 10-11 वर्ष की उम्र में ही गाड़ी चलाना सीख लिया था। जब 17 वर्ष की हुई तो ट्रक चलाने लगी। लोगों ने सवाल उठाए, मगर मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा कि मैं लड़की होकर ट्रक चला रही हूं। करीबन सात वर्ष हो चुके हैं, अब देखती हूं कि कई महिलाएं ट्रांसपोर्ट में आ चुकी हैं, ये काफी सुखद लगता है। आज भी करीब 200 किलोमीटर ट्रक चला लेती हूं और अपनी खुद की ट्रांसपोर्ट कंपनी खोल चुकी हूं।

30 प्लस में भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हुई

35 वर्षीय मीनू आनंद को भी हॉकी की फील्ड में बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही हॉकी के प्रति आकर्षित थी। उन्होंने सोलन में कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। इसके बाद 12 बार नेशनल गेम्स में हिस्सा लिया। मगर उम्र हो जाने की वजह से वह कोचिग में व्यस्त हो गई। ऐसे में उन्होंने दुबई में कोच के रूप में नौकरी की। अब उन्होंने वापसी एक टूर्नामेंट के लिए की है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग उम्र के अनुसार हो रहा है। इसमें 30 प्लस कैटेगरी में वह भारतीय महिला टीम को लीड करेंगी। उन्होंने कहा कि वह खुश है कि उन्हें ये मौका मिला, अकसर इस उम्र में खिलाड़ी रिटायर होते हैं, मगर उन्हें दोबारा देश का नेतृत्व करने का मौका मिला। अपनी गायिकी से देता हूं संदेश

समारोह में विशेष प्रस्तुति देने पहुंचे गायक हरदीप रंधावा ने कहा कि वे अपनी गायिकी से सामाजिक संदेश देते हैं। अमृतसर के रहने वाले हरदीप ने कहा कि उन्होंने गायिकी की शुरुआत 2014 से की। जिसमें उन्होंने वर्तमान में चल रहे पंजाबी गीतों के विपरीत लोक गायिकी और अच्छी गायिकी को चुना। इसमें उन्होंने अपने गीत हवेली, डंडा वर्सेज पोता और ज्वाइंट फैमिली से लोगों को एंटरटेन करने के अलावा एक संदेश भी दिया है।


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