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एसजीपीसी अध्यक्ष चुनाव से शिअद ने की पंजाब में पंथक वोट बैंक साधने की कोशिश

Punjab Assembly Election 2022 शिरोमणि अकाली दल ने एसजीपीसी के अध्‍यक्ष व पदाधिकारियों के चुनाव के जरिये पंजाब में पंथक वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। इस चुनाव में चार पद जट्ट समुदाय को मिले हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 09:30 AM (IST)
एसजीपीसी अध्यक्ष चुनाव से शिअद ने की पंजाब में पंथक वोट बैंक साधने की कोशिश
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इंद्रप्रीत सिंह]। Punjab Assembly 2022: शिरोमणि अकाली दल ने शिरोमणि सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC)  के चुनाव के माध्‍यम से पंथक वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022) के मद्देनजर शिअद के लिए पंथक वोट बैंक बेहद महत्‍वपूर्ण है। यह पंथक वोटर उसका मुख्‍य आधार रहे हैं।

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यही कारण है कि बीबी जगीर कौर की जगह एक बार फिर से प्रोफेसर कृपाल ¨सह बंडूगर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का अध्यक्ष बनाने की तैयारी के बीच एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि संत बलबीर सिंह घुन्नस का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए आगे चल रहा था, लेकिन एडवोकेट हर¨जदर सिंह धामी बाजी मार गए। वह इससे पहले एसजीपीसी के मुख्य सचिव भी रहे हैं।

इसके अलावा रघुजीत ¨सह विर्क को वरिष्ठ उपाध्यक्ष, करनैल सिंह पंजौली को महासचिव बनाकर शिरोमणि अकाली दल ने साफ संकेत दिए हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी अपने जट्ट सिख वोट बैंक को मजबूत करेगी। यही नहीं, हरजिंदर सिंह धामी, करनैल सिंह पंजौली और प्रिंसिपल सुरिंदर सिंह तो पार्टी के बड़े पंथक चेहरे भी हैं।

एसजीपीसी की इस नई टीम के गठन में अहम भूमिका अदा करने वाले पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी का कोर वोट बैंक जट्ट समुदाय और पंथक वोटर ही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बेअदबी कांड के कारण यह दोनों ही पार्टी से छिटक गए थे। इस कारण पार्टी का वोट शेयर 30.5 प्रतिशत ही रह गया जो कभी 37 से लेकर 42 प्रतिशत तक रहता है। इतना बड़ा नुकसान पार्टी का कभी नहीं हुआ। हमेशा ही भाजपा की सीटें घटने या बढ़ने से पार्टी की सरकार बनती रही है या सत्ता से बाहर होती रही।

अब शिरोमणि काली दल को इसी वोट बैंक को वापिस लाना है और क्योंकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पर शिरोमणि अकाली दल का कब्जा है और इसके सदस्य पंथक वोट को प्रभावित करते हैं इसलिए लंबे समय बाद कमान उन लोगों को सौंपी गई है जो चिर परिचित पंथक चेहरे हैं।

एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी गरम ख्यालियों और विभिन्न संप्रदायों में अच्छा रसूख रखते हैं। सही मायने में वह पंथक चेहरा भी हैं। इसी तरह जूनियर उपाध्यक्ष बनाए गए प्रिंसिपल सुरिंदर सिंह भी सिख मिशनरी कालेज में रहने के कारण पंथक हलकों में जाना पहचाना चेहरा हैं। करनैल सिंह पंजौली किसी समय जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा का दाहिना हाथ माने जाते थे और उन्हें पहली बार महासचिव लगाया गया है। वह भी जाना पहचाना पंथक चेहरा हैं।

पंजौली पिछले लंबे समय से इंटरनेट मीडिया और प्रिंट मीडिया में अपने लेखों से पंथक मुद्दों को अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर बादल को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। पंजौली अपनी बात बेबाकी से रखने वाले नेता माने जाते हैं और महासचिव का महत्वपूर्ण पद देने से न केवल अकाली हलकों में हैरानी जाहिर की जा रही है बल्कि इसे सकारात्मक रूप से भी देखा जा रहा है। इसके साथ ही रघुजीत विर्क को वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाने से तीनों महत्वपूर्ण पद अब जट्ट समुदाय के पास हैं। रघुजीत को हरियाणा से प्रतिनिधित्व दिया गया है।


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