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आंतरिक विरोध से शिअद की पंथक राजनीति खतरे में

-सुखबीर, एसजीपीसी, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार पर उठने लगी अपनों की अंगुलियां -एसजीपीसी

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 10:03 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 10:03 PM (IST)
आंतरिक विरोध से शिअद की पंथक राजनीति खतरे में
आंतरिक विरोध से शिअद की पंथक राजनीति खतरे में

-सुखबीर, एसजीपीसी, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार पर उठने लगी अपनों की अंगुलियां

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-एसजीपीसी प्रधान के चयन से पहले बढ़ सकती है परेशानी, विपक्षी हो सकते हैं हमलावर

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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल में आंतरिक विरोध के चलते पार्टी की पंथक राजनीति खतरे में दिख रही है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के पूर्व प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफी देने के मामले में अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं, एसजीपीसी की एक और सीनियर मेंबर और जनरल सेक्रेटरी रहीं किरणजोत कौर ने तो सुखबीर बादल को इस्तीफा मांग लिया है। इसके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा था कि श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम माफी विवाद के समय ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। इस सारे मामले को नवंबर महीने में होने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान के चयन के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखा जा सकता है। दोनों नेताओं का इस तरह सार्वजनिक तौर पर बोलना सुखबीर बादल की पार्टी पर पकड़ को कमजोर कर सकता है।

पंथ रतन मास्टर तारा सिंह की नाती किरणजोत कौर पार्टी में अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने शिरोमणि कमेटी के पूर्व प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ के बयान को आधार बनाकर कहा कि सिखों में इससे गुस्सा भरा हुआ है। मक्कड़ ने कहा था कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफ करने संबंधी फैसला सुखबीर बादल का था। किरणजोत ने कहा कि अगर अकाली दल को बचाना है, तो सुखबीर बादल को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और अकाली दल के मौजूदा संकट के लिए मर्यादा को तार-तार करने की जिम्मेदारी लेनी स्वीकार करनी चाहिए। इस सारे विवाद में विपक्षी दल भी हमलावर हो सकते हैं। शिअद के लिफाफे से निकलता है एसजीपीसी प्रधान का नाम

दो महीने बाद ही एसजीपीसी के प्रधान का चयन होना है। प्रथा यही रही है कि प्रधान का चयन एसजीपीसी के सदस्यों की बजाय शिरोमणि अकाली दल के प्रधान के लिफाफे से निकली चिट्ठी से किया जाता है। इस बीच अकाली दल के अपने ही ग्रुप के वरिष्ठ नेताओं ने सुखबीर बादल की प्रधानगी पर सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसे में एसजीपीसी के प्रधान का सर्वसम्मति से चयन कितना संभव होगा, यह देखने वाली बात होगी। अकाली दल के एक सीनियर नेता का कहना है कि यह इतना आसान नहीं होगा। एसजीपीसी के पूर्व प्रधान डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफी देने के बारे में अकाली दल के प्रधान पर अंगुली उठाएं, तो यह पार्टी काडर में गुस्सा भरने वाली बात है। अभी केवल दो नेताओं ने सवाल उठाया है, आने वाले दिनों में और भी सवाल उठाएंगे। मुझे लगता है कि इस स्थिति को संभालने के लिए अकाली दल में बड़े स्तर पर फेरबदल की जरूरत है। मक्कड़ ने कहा था, सुखबीर ने दिलाई डेरा प्रमुख को माफी

एसजीपीसी के पूर्व प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा था सुखबीर ने उन्हें 24 सितंबर 2015 को अपनी कोठी में डेरा प्रमुख को माफी के संबंध में बुलाया था। उन्होंने इस पर चेतावनी दी कि इससे सिखों में नाराजगी बढ़ जाएगी, हमें अन्य संगठनों से बात कर लेनी चाहिए। सुखबीर मान गए और कहा कि शाम को फिर बात करेंगे, लेकिन थोड़ी देर बाद मैसेज आया कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफ कर दिया है। मक्कड़ ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को जत्थेदार पद से मुक्त करने की मांग की। लगभग यही मांग अकाली दल के सेक्रेटरी जनरल सुखदेव सिंह ढींढसा भी कर चुके हैं। गौरतलब है कि डेरा प्रमुख ने श्री गुरु गोबिंद सिंह का वेश धारण कर लोगों को उनकी तरह अमृतपान कराया था, जिससे सिख कौम में काफी रोष था। इस मुद्दे पर श्री अकाल तख्त ने उन्हें शिअद के दबाव में माफी दे दी थी।


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