Panthak Politics: पंजाब मेंं पंथक क्षेत्रों में खोई साख को प्राप्त करने में जुटा शिअद , बनाई खास रणनीति
Panthak Politics पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने पंथक क्षेत्राें व सियासत में खोई साख फिर से हासिल करने में जुुट गया है। इसके लिए वह विशेष रणनीति के तहत कार्य कर रहा है। इसके के तहत उसने अलग हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के विरोध में मार्च निकाला।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल पंजाब में पंथक क्षेत्रों व सियासत में अपनी खोई साख फिर से हासिल करने की कोशियों मेंं जुट गया है। इसके लिए उनसे खास रणनीति अपनाई है। इस रणनीति के तहत ही उसने हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मान्यता देने के विरोध में दो तख्त साहिबान तख्त श्री दमदमा साहिब और तख्त श्री केसगढ़ साहिब से श्री अकाल तख्त साहिब तक रोष मार्च निकाला।
बरगाड़ी कांड व बेअदबी की घटनाओं के कारण शिअद की गिरी थी साख
दरअसल , 2015 में बरगाड़ी कांड और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं को लेकर जिस प्रकार का रवैया अकाली भाजपा सरकार ने अपनाया था उससे पंथक हलकों में पार्टी की साख बुरी तरह गिर गई। इसका असर 2017 और 2022 के चुनाव में देखने को मिला जब पार्टी को क्रमश: 15 और तीन सीटें ही विधानसभा चुनाव में मिलीं। यहां तक कि पार्टी के दिग्गज, प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल, सिकंदर सिंह मलूका सहित तमाम बड़े नेता भी चुनाव हार गए। यही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को करारा झटका लगा। पार्टी को मात्र दो सीटें ही मिल पाईं।
शिअद का पंथक वोट बैंक टूटा
पार्टी का पंथक वोट बैंक बुरी तरह से टूट गया है। पार्टी ने इससे पहले बंदी सिखों की रिहाई का मुद्दा उठाकर पंथक वोट बैंक को बहाल करने का प्रयास किया था लेकिन उसमें सफलता नहीं मिल पाई। इंटरनेट मीडिया पर लोगों ने यह सवाल करना शुरू कर दिया कि जब दस साल तक शिअद सत्ता में था तो उन्होंने रिहाई के लिए क्या प्रयास किए। इसका कोई पुख्ता जवाब पार्टी नेताओं के पास नहीं है जो लोगों के रोष को शांत कर सके।
हरियाणा के लिए अलग शिरोमणि सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का शिअद को मिला मुद्दा
अब जब सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मान्यता देने के चल रहे केस में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को हार का करारा झटका लगा है तो शिरोमणि अकाली दल को एक मुद्दा मिल गया। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने इसे सिखों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी बताया है तो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि गुरुद्वारा एक्ट 1925 का उल्लंघन करके यह फैसला दिया गया है।
एसजीपीसी ने इस फैसले के खिलाफ रोष जताने के लिए पहले तेजा सिंह समुद्री हाल में एक जनरल इजलास बुलाया और सड़कों पर रोष मार्च किया। अब पार्टी शिरोमणि अकाली दल और एसजीपीसी मिलकर तख्त साहिबान से रोष मार्च निकाल रहे हैं। विशेष बात है कि इस रोष मार्च में शिअद और एसजीसी दोनों संयुक्त तौर पर शामिल है।
पहली बार सिखों में मीरी-पीरी के सिद्धांत को लेकर साथ चल रहे हैं। सिख पंथ में मीरी-पीरी के सिद्धांत का विशेष महत्व है। जब छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी ने गुरुगद्दी संभाली तो उन्होंने दो तलवारें धारण की थीं। इन तलवारों को मीरी-पीरी नाम दिया गया। एक धर्म के लिए एक शासन के लिए।
तख्त श्री दमदमा साहिब और तख्त श्री केसगढ़ साहिब से रोष मार्च निकालते हुए श्री अकाल तख्त साहिब तक पहुंचने में पार्टी पूरा मालवा, दोआबा और माझा कवर करना चाहती है। हालांकि इन दिनों धान की कटाई में उलझे हुए किसान कितना इस मार्च में शामिल हो पाएंगे इसको लेकर संदेह है। लेकिन पार्टी लगातार प्रयासरत है कि किसी न किसी तरह उनका पंथक वोट बैंक वापिस लौट आए।