गठबंधन में टकराव, भाजपा ने कहा, आरएसएस सिख विरोधी है तो गठबंधन तोड़े शिअद
आरएसएस द्वारा दिल्ली में आयोजित समारोह पर एसजीपीसी प्रमुख बडूंगर के बयान के बाद भाजपा ने कड़ा रुख अपनाया है। कहा कि शिअद चाहे तो भाजपा से नाता तोड़ सकता है।
जेएनएन, चंडीगढ़। राष्ट्रीय सिख संगठन की ओर से श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व पर दिल्ली में हुए समारोह को लेकर शुरू हुए विवाद से शिअद-भाजपा में टकराव बढ़ गया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने बढ़ते विवाद को देखते हुए शुक्रवार को एक बयान में कहा कि शिरोमणि अकाली दल चाहे तो भाजपा से नाता तोड़ सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली में हुए समारोह का श्री अकाल तख्त साहिब ने बहिष्कार किया था, क्योंकि राष्ट्रीय सिख संगठन राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा है। एक निजी न्यूज चैनल पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान किरपाल सिंह बडूंगर ने आरएसएस और भाजपा को सिख विरोधी बताया था। इसके बाद से ही दोनों दलों में इस मुद्दे पर टकराव बढ़ गया था।
अब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल इस विवाद को और हवा दे दी है। उन्होंने कहा कि अगर आरएसएस व बीजेपी सिख विरोधी हैं, तो अकाली दल को चाहिए कि वह भाजपा से नाता तोड़ ले और अकेले ही चुनाव लड़े। इस पर अकाली दल ने कहा कि ऐसी बातें गठबंधन के किसी भी नेता को सार्वजनिक मंच पर नहीं करनी चाहिए। यह मुद्दा को-ऑर्डिनेशन कमेटी में उठाना चाहिए।
पिछले वर्ष भी हुई थी तनातनी
वर्ष 2016 में भी दोनों राजनीतिक दलों के गठबंधन के टूटने को लेकर माहौल खासा गर्म हो गया था, लेकिन दोनों पार्टियों की वरिष्ठ नेताओं ने गठबंधन पर ही विश्वास जताया और एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ा। ग्रेवाल ने कहा, एक तरफ अकाली दल भाजपा की ही गोद में बैठे रहना चाहता है और दूसरी तरफ भाजपा को ही सिख विरोधी बता रहा है। यह उचित नहीं है।
अकाली दल ने ग्रेवाल के इस बयान को गंभीरता से लिया है। अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा, 'एसजीपीसी अध्यक्ष की यह ड्यूटी बनती है कि श्री अकाल तख्त साहिब के फरमान को आगे रखें। जहां तक गठबंधन की बात है तो को-आर्डिनेशन कमेटी में इस मुद्दे को उठाना चाहिए। दोनों ही दलों के नेताओं को इस तरह की बातें मीडिया या सार्वजनिक मंच नहीं करनी चाहिए। इससे गलत संदेश जाता है।'
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